करनाल: आगामी 17 सितंबर के दिन विश्वकर्मा पूजाहै. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की जाती है. तो वहीं, जो भी मजदूर और कामगार होते हैं, वह अपने औजारों की पूजा करते हैं. इसके साथ-साथ भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा अर्चना करते हैं. भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड के इंजीनियर के रूप में जाना जाता है. इसलिए विश्वकर्मा पूजाके अवसर पर कोई भी मजदूर अपने औजारों से काम नहीं करता. वह इस दिन अपने सभी औजारों को आराम देते हैं और खुद भी आराम करते हैं. जो फैक्ट्री और कारखाने होते हैं. वहां पर भी मशीनों की पूजा अर्चना की जाती है.
कब होगी विश्वकर्मा पूजा: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि भाद्रपद महीने में जब सूर्य देवता सिंह राशि से गोचर करके कन्या राशि में प्रवेश करते हैं. उस दिन विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती है और उसकी पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सूर्य देवता 16 सितंबर की शाम को 7:29 से सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. जिसके चलते विश्वकर्मा पूजा अगले दिन 17 सितंबर को मनाई जाएगी. क्योंकि हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार या कोई अन्य विशेष दिन उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. जितने भी हाथ या तकनीकी कामसे जुड़े हुए लोग होते हैं, वह इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करते हैं. जिसे उनके कारोबार और काम पर भगवान विश्वकर्मा की कृपा बनी रहती है.
विश्वकर्मा पूजा पर है भद्रा का साया: पंडित ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दिन हिंदू पंचांग के अनुसार भद्रा का साया भी है. विश्वकर्मा पूजा के दिन 11:40 से भद्रा लग रही है. जो रात के 9:55 तक रहेगी. माना जा रहा है कि इस भद्रा का वास इस बार पृथ्वी लोक पर है. जो थोड़ी अशुभ मानी जा रही है. जिसके चलते इस दौरान कोई भी शुभ कार्य न करें.
विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त का समय: विश्वकर्मा पूजा के दिन भद्रा का साया है. ऐसे में शुभ समय में ही भगवान विश्वकर्मा और अपने औजार और मशीनों की पूजा अर्चना करें भद्र होने के चलते विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 6:07 से शुरू होकर दिन में 11:44 तक रहेगा. इस समय के दौरान भगवान विश्वकर्मा और अपने औजारों की पूजा कर सकते हैं. जो सबसे शुभ समय माना गया है.
विश्वकर्मा पूजा का विधि विधान: भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दिन सभी कामगार मजदूर कारखाने और फैक्ट्री में काम करने वाले लोग अपनी मशीनों और औजारों की साफ सफाई करके उनको भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर के पास रखते हैं. उसके बाद दुकान विश्वकर्मा की पूजा करने के बाद औजारों की पूजा करते हैं. इस दिन लोग अपने वाहनों की भी पूजा अर्चना करते हैं. क्योंकि कुछ लोगों के लिए वहां उनकी रोजी-रोटी होती हैं.
अपने सभी औजार और मशीनों की साफ सफाई करने के बाद स्नान इत्यादि करके भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करें और उनको प्रसाद का भोग लगाए. दुकान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करने के लिए बूंदी के लड्डू या मोतीचूर के लड्डू हलवे का भोग या चावल से बनी हुई खीर का भोग भगवान विश्वकर्मा को लगाया जाता है. जो अच्छे कारोबार से जुड़े हुए हैं, वह लोग इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान भी करते हैं. वह ऐसी चीज दान करें जो उनके जीवन में रोजाना प्रयोग में लाई जा सके और उससे वह अपनी रोजी-रोटी को कमा सके.
विश्वकर्मा पूजा का महत्व: पंडित ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा पूजा को काफी श्रद्धा के साथ बनाया जाता है. हालांकि यह एक कहावत है कि मजदूर और कामगार ही इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. हम लोग घर परिवार वाले लोग भी अपने घर में भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करते हैं. क्योंकि तकनीकी के जमाने में हर कोई मशीनी युग में जी रहा है. ऐसे में उनकी मशीन जो से है. अपने रोजाना के काम करते हैं या अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. इसलिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करने से वह आशीर्वाद मांगते हैं कि उनके सभी औजार और मशीन सही चलती रहे और उनके काम में भगवान बरकत करें.
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