जयपुर: विश्व हिंदू परिषद बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हिंसक अत्याचार के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहा है. इस बीच जयपुर प्रवास पर आए विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा पर दुःख व्यक्त किया और कहा कि बांग्लादेश के इस तरह दो फाड़ होने चाहिए, जैसे पाकिस्तान के हुए थे. उन्होंने कहा कि वहां वहां हिंदू समाज का सफाया करने का षड्यंत्र किया जा रहा है. दुनिया में बहुसंख्यक मुसलमान सह अस्तित्व में विश्वास नहीं करता, ऐसे में बांग्लादेश का विभाजन ही एकमात्र विकल्प है.
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि बांग्लादेश अहसान फरामोश है. बांग्लादेश के लिए 20 हजार भारतीय सैनिकों ने कुर्बानी दी, उसे विश्व में सम्मानजनक स्थान दिलाया, लेकिन वर्तमान हालात को देखकर ऐसा लग रहा है कि वहां का मुस्लिम समाज भारतीयों की ओर से किए गए सारे अहसान भूल गया है. अब लगता है कि अहसान फरामोशी उनके खून में है.
डॉ जैन ने धर्मांतरण विरोधी कानून पर राज्य सरकार का आभार जताते हुए कहा कि धर्मांतरण से पूरा विश्व त्रस्त है. लालच या दबाव से किसी का धर्म परिवर्तन अमानवीय है. राजस्थान की धरती पर लव जिहाद और धर्मांतरण जैसे काम खुलकर हुआ करते थे. धर्मांतरण के कारण कश्मीर हिंदू आबादी शून्य हो गई है. विश्व के कई देशों में हालात खराब हो गए हैं.
दो फाड़ हो बांग्लादेश की: डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व के हिंदुओं में बांग्लादेश के घटनाक्रम को लेकर आक्रोश है. तथाकथित सेक्युलरवादी हिंसा को लेकर कुछ बोल नहीं रहे हैं. केंद्र सरकार ने बांग्लादेश पर दबाव डालने के प्रयास किए हैं, जो पर्याप्त नहीं है. बांग्लादेश को दो भागों में बांटना ही पड़ेगा. एक हिंदू बांग्लादेश और दूसरा मुस्लिम बांग्लादेश. विहिप के संयुक्त महामंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ को बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार रोकने के लिए काम करना चाहिए. उसे अपना औचित्य सिद्ध करना चाहिए. यदि समझाने से नहीं रोक पा रहे हैं तो बलपूर्वक कार्रवाई करनी चाहिए.
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राजस्थान से अवैध बांग्लादेशियों को निकालें: डॉ जैन ने राजस्थान सरकार से अपील की कि वह बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करवाए और उन्हें राजस्थान से बाहर करवाए. बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकलने में विश्व हिंदू परिषद सरकार के साथ है.
जिहादी मानसिकता के प्रतीक हैं खादिम: जैन ने कहा कि अजमेर की दरगाह शरीफ का मामला न्यायालय में है. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इन मामलों पर आंशिक रोक लगा दी है. अब निर्णय न्यायपालिका को करना है और उनके निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए. अजमेर के खादिम जिहादी मानसिकता के प्रतीक हैं. सब जानते हैं कि वहां जाने वालों में अधिकांश हिंदू है, वही सबसे अधिक चढ़ावा चढ़ाते हैं. इसके बावजूद यदि वे हिंदुओं के खिलाफ खड़े होंगे तो यह स्वीकार नहीं होगा. आज की युवा पीढ़ी को जानने का अधिकार है कि उनके पूर्वजों के साथ कितने अत्याचार किए गए थे. उन्होंने कहा कि यहां के मुस्लिमों को अपने आप को औरंगजेब और मोहम्मद गौरी के साथ नहीं जोड़ना चाहिए. इस देश के प्रति निष्ठा होनी चाहिए.