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बालोद में लीज में दी गई रेत खदान का ग्रामीणों ने किया विरोध, दी आत्मदाह की चेतावनी - lease sand mine in Balod Saloni

Protest In Balod बालोद में लीज में दी गई रेत खदान का ग्रामीणों ने विरोध किया. ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचे. साथ ही आत्मदाह की चेतावनी दी. ग्रामीणों का कहना है कि रेत खनन करने से गांव में पानी की संकट पैदा हो जाता है. लोग पानी की एक एक बूंद के लिए मोहताज हो जाएंगे.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 24, 2024, 4:39 PM IST

lease sand mine in Balod Saloni
रेत खदान का ग्रामीणों ने किया विरोध (ETV BHARAT)
बालोद में लीज में दी गई रेत खदान का ग्रामीणों ने किया विरोध (ETV BHARAT)

बालोद: बालोद जिले के ग्राम सलोनी के ग्रामीण शुक्रवार को शासन द्वारा लीज में दी गई रेत खदान को बंद करने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे. लगभग 300 ग्रामीण खनिज शाखा के सामने बैठे रहे. ग्रामीणों का कहना है कि शासन की ओर से खसरा नंबर 491 में रेत खदान को लीज पर दिया गया है. इस खदान को शुरू करने की तैयारी की जा रही है. इस खदान को हम बंद करवाने के लिए आए हैं.

ग्रामीणों को पानी के लिए होना पड़ेगा मोहताज: ग्रामीणों की मानें तो यहां पर जब रेत का खनन किया जाता है, तो गांव में पेयजल संकट आता है. निस्तार की समस्या भी उत्पन्न होती है. भीषण गर्मी का मौसम है. यदि रेत खदान का संचालन किया गया तो हमें पानी के लिए मोहताज होना पड़ेगा. लीज में दी गई विधिवत खदान को बंद करने के लिए सैकड़ों ग्रामीण पहुंचे हुए हैं. हालांकि बालोद में आधा दर्जन से अधिक अवैध रेत खदान संचालित है, जिसे लेकर अब तक संबंधित गांवों और प्रशासनिक वर्ग में चुप्पी देखने को मिल रही है.

ग्रामीणों ने दी आत्मदाह की चेतावनी: इस बारे में ग्रामीण जामवंत देशमुख ने कहा कि, "रेत निकालने से पानी वहां पर रुकता नहीं है. अभी हम 30 मीटर में पानी निकालते हैं. इस मामले में यदि कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो हम सब ग्रामीण खदान में धरना प्रदर्शन करेंगे. जरूरत पड़ी तो हम आत्मदाह भी करेंगे, क्योंकि निस्तारी के लिए हम नदी के जल पर ही निर्भर हैं. हमारा पूरा गांव नदी पर आश्रित है. ऐसे में सरकार ने यदि लिख दिया है तो सरकार जाने हमें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई थी."

यहां कोई सुनने वाला नहीं: वहीं, ग्रामीण केदार देशमुख ने कहा कि, "हम यहां पर आए हैं तो हमारी बातों को सुनने वाला कोई नहीं है. खनिज अधिकारी से मिलने के बाद हमें कलेक्टर और अपर कलेक्टर से मिलने के लिए कहा गया. परंतु यहां पर कलेक्टर भी नहीं है और अपर कलेक्टर नहीं है. यहां पर हम जनप्रतिनिधियों से बात करने के लिए कोई तैयार भी नहीं होता. हमारा जीवन यापन नदी पर निर्भर है. ऐसा लगता है मानों कि प्रशासन और रेत खदान संचालकों की सेटिंग हो गई हो इसलिए हम काफी परेशान हैं. यहां पर अपने नदी को बचाने के लिए आए हैं. भीषण गर्मी है. हर तरफ जल संकट है. ऐसे में यदि नदी में उत्खनन किया जाता है, तो हम पानी के एक बूंद के लिए तरस जाएंगे."

ग्रामीणों ने खदान को बंद कराया था. इस मामले में जल्द ही कोई रास्ता निकालेंगे. दोनों पक्षों की बातों को हमने सुना है. प्रशासन ग्रामीणों को मना लेगी. भीषण गर्मी में पेयजल संकट भी एक बड़ी समस्या है.-मीनाक्षी साहू, माइनिंग अधिकारी

लीज में लेने के बाद नहीं खोद पाया रेत: खनिज विभाग की ओर से ग्रामीणों की सहमति लिए बिना यहां पर रेत खदान को लीज में दिया गया है, जिसका खामियाजा संबंधित ठेकेदार को उठाना पड़ रहा है क्योंकि लीज में लेने के बाद उसने उस जगह पर रेत खनन नहीं किया है. जब भी वह रेत निकालने की तैयारी करता है. ग्रामीण कलेक्ट्रेट जाकर उसे बंद कर देते हैं. अब समस्या यह है कि सरकार की ओर से खदानें लीज पर तो दी गई है, लेकिन ग्रामीणों की सहमति न होने के कारण सरकार के जेब में पैसा तो चला गया. हालांकि जिस ठेकेदार ने रेत खदान को लीज कराया है, उसका लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठेकेदार की ओर से 50 लाख रुपए इस खदान में लगाई गई है, जिसे वह वसूल भी नहीं पाया है.

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बालोद: बालोद जिले के ग्राम सलोनी के ग्रामीण शुक्रवार को शासन द्वारा लीज में दी गई रेत खदान को बंद करने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे. लगभग 300 ग्रामीण खनिज शाखा के सामने बैठे रहे. ग्रामीणों का कहना है कि शासन की ओर से खसरा नंबर 491 में रेत खदान को लीज पर दिया गया है. इस खदान को शुरू करने की तैयारी की जा रही है. इस खदान को हम बंद करवाने के लिए आए हैं.

ग्रामीणों को पानी के लिए होना पड़ेगा मोहताज: ग्रामीणों की मानें तो यहां पर जब रेत का खनन किया जाता है, तो गांव में पेयजल संकट आता है. निस्तार की समस्या भी उत्पन्न होती है. भीषण गर्मी का मौसम है. यदि रेत खदान का संचालन किया गया तो हमें पानी के लिए मोहताज होना पड़ेगा. लीज में दी गई विधिवत खदान को बंद करने के लिए सैकड़ों ग्रामीण पहुंचे हुए हैं. हालांकि बालोद में आधा दर्जन से अधिक अवैध रेत खदान संचालित है, जिसे लेकर अब तक संबंधित गांवों और प्रशासनिक वर्ग में चुप्पी देखने को मिल रही है.

ग्रामीणों ने दी आत्मदाह की चेतावनी: इस बारे में ग्रामीण जामवंत देशमुख ने कहा कि, "रेत निकालने से पानी वहां पर रुकता नहीं है. अभी हम 30 मीटर में पानी निकालते हैं. इस मामले में यदि कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो हम सब ग्रामीण खदान में धरना प्रदर्शन करेंगे. जरूरत पड़ी तो हम आत्मदाह भी करेंगे, क्योंकि निस्तारी के लिए हम नदी के जल पर ही निर्भर हैं. हमारा पूरा गांव नदी पर आश्रित है. ऐसे में सरकार ने यदि लिख दिया है तो सरकार जाने हमें किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई थी."

यहां कोई सुनने वाला नहीं: वहीं, ग्रामीण केदार देशमुख ने कहा कि, "हम यहां पर आए हैं तो हमारी बातों को सुनने वाला कोई नहीं है. खनिज अधिकारी से मिलने के बाद हमें कलेक्टर और अपर कलेक्टर से मिलने के लिए कहा गया. परंतु यहां पर कलेक्टर भी नहीं है और अपर कलेक्टर नहीं है. यहां पर हम जनप्रतिनिधियों से बात करने के लिए कोई तैयार भी नहीं होता. हमारा जीवन यापन नदी पर निर्भर है. ऐसा लगता है मानों कि प्रशासन और रेत खदान संचालकों की सेटिंग हो गई हो इसलिए हम काफी परेशान हैं. यहां पर अपने नदी को बचाने के लिए आए हैं. भीषण गर्मी है. हर तरफ जल संकट है. ऐसे में यदि नदी में उत्खनन किया जाता है, तो हम पानी के एक बूंद के लिए तरस जाएंगे."

ग्रामीणों ने खदान को बंद कराया था. इस मामले में जल्द ही कोई रास्ता निकालेंगे. दोनों पक्षों की बातों को हमने सुना है. प्रशासन ग्रामीणों को मना लेगी. भीषण गर्मी में पेयजल संकट भी एक बड़ी समस्या है.-मीनाक्षी साहू, माइनिंग अधिकारी

लीज में लेने के बाद नहीं खोद पाया रेत: खनिज विभाग की ओर से ग्रामीणों की सहमति लिए बिना यहां पर रेत खदान को लीज में दिया गया है, जिसका खामियाजा संबंधित ठेकेदार को उठाना पड़ रहा है क्योंकि लीज में लेने के बाद उसने उस जगह पर रेत खनन नहीं किया है. जब भी वह रेत निकालने की तैयारी करता है. ग्रामीण कलेक्ट्रेट जाकर उसे बंद कर देते हैं. अब समस्या यह है कि सरकार की ओर से खदानें लीज पर तो दी गई है, लेकिन ग्रामीणों की सहमति न होने के कारण सरकार के जेब में पैसा तो चला गया. हालांकि जिस ठेकेदार ने रेत खदान को लीज कराया है, उसका लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठेकेदार की ओर से 50 लाख रुपए इस खदान में लगाई गई है, जिसे वह वसूल भी नहीं पाया है.

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