धौलपुर. होली रंगों का त्योहार होने के साथ प्रेम भाईचारा और सांप्रदायिक सौहार्द का पर्व भी माना जाता है. इस बीच धौलपुर जिले के भेंसेना गांव में पड़वा की रात्रि को ग्रामीणों की ओर से अनूठी परंपरा का निर्वहन किया जाता है. ग्रामीण रात में शोक और दुख कम करने के लिए होली के पारंपरिक गीत गाते हैं. दरअसल, जिस परिवार में मौत हो जाती है, उस परिवार को होली के उत्सव में शामिल कर शोक को दूर किया जाता है.
स्थानीय ग्राम पंचायत भेंसेना के सरपंच यादव सिंह ने बताया कि होली प्रेम और भाईचारे का त्योहार है, लेकिन भेंसेना गांव में होली की अलग परंपरा रही है. पड़वा के दिन होली का त्योहार रंग गुलाल लगाकर एक दूसरे से सेलिब्रेट किया जाता है. रात्रि को गांव की मंडली की ओर से घर-घर जाकर ढोलक, मृदंग हारमोनियम, मजीरा आदि साज के माध्यम से पारंपरिक होली का गायन गाया जाता है. खास बात यह है कि साल के अंदर गांव में जिन परिवारों में मौत हो जाती हैं. उन परिवारों के घर जाकर शोक और दुख को पारंपरिक होली गायन के माध्यम से दूर किया जाता है.
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उन्होंने बताया यह परंपरा गांव की सदियों से रही है. गांव की मंडलियों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया जाता है. होली के त्योहार को सभी ग्रामीण हर्ष उल्लास पूर्वक एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर और मिठाई खिलाकर सेलिब्रेट करते हैं. एक दूसरे को गले लगा कर शुभकामनाएं दी जाती हैं. रंग गुलाल लगाने के साथ मिठाइयां भी खिलाई जाती हैं. गमजदा परिवार को पारंपरिक होली गीतों के माध्यम से होली की मस्ती में सराबोर कर दिया जाता है.