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भैरमगढ़ में आदिवासियों ने दिखाया इंजीनियर को आईना, अफसर रोते रहे गांव वालों ने बना दिया पुल - Jugaad culvert - JUGAAD CULVERT

कहते हैं एक किसान अच्छा इंजीनियर साबित हो सकता है, लेकिन एक इंजीनियर अच्छा किसान नहीं बन सकता. इस बात को सौ फीसदी सच साबित किया है भैरमगढ़ के किसानों ने. सरकार की बेरुखी से परेशान गांव वालों ने चंदा कर जुगाड़ का पुलिया बना दिया है. गांव वालों के सहयोग से बना अब ये पुलिया अफसरों को मुंह चिढ़ा रहा है.

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जुगाड़ का पुलिया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 25, 2024, 3:40 PM IST

Updated : Jul 25, 2024, 5:17 PM IST

बीजापुर: कहते हैं अगर हौसले बुलंद हों तो आसमान को भी झुकना पड़ता है. भैरमगढ़ ब्लाक के एरामंगी के आदिवासियों ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. दरअसल गुदमा और एरामगी गांव को जोड़ने वाला पुल कई दिनों से टूटा पड़ा था. सरकार से लाख मिन्नतों के बाद भी पुल को ठीक नहीं कराया गया. नाराज गांव वालों ने जब देखा कि अफसर उनकी चिंता नहीं कर रहे, तो वो खुद ही अपना रास्ता बनाने के लिए निकल पड़े.

गांव वालों ने बना दिया जुगाड़ का पुलिया: गांव वालों ने अपनी मुसीबत का हल खुद ही खोज लिया. आपस में सभी ने मिलकर चंदा किया. जिससे जितनी हो सकी उसने उतनी मदद की. पैसा जमा होते ही गांव वालों ने पुल निर्माण का काम शुरु किया. आदिवासियों ने चंदे के पैसों से पहले तार के पेड़ खरीदे. पेड़ों को काटकर जर्जर पुलिया के ऊपर सेट किया. ताड़ के पेड़ सेट होने के बाद उसके ऊपर मिट्टी की परत डाल दी. पहली नजर में आपको ये लगेगा ही नहीं कि आप किसानों के बनाए पुलिया का इस्तेमाल कर रहे हैं.

क्यों गांव वालों को बनना पड़ा इंजीनियर: जिस जगह पर जुगाड़ का पुलिया बनाया गया है वहां पर दो साल पहले पुलिया बना था. तेज बहाव में ये पुलिया बह गई थी. गांव वालों ने कई बार इसकी शिकायत अफसरों से की. जिला पंचायत सीईओ और PMGSY विभाग से भी मदद की मांग की. गांव वालों की मुसीबत पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया. विधायक और जनप्रतिनिधि भी समस्या सुलझाने से बचते रहे. आखिरकार गांव वालों ने खुद ही समस्या के समाधान का रास्ता निकाला.

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गांव वालों ने बना दिया जुगाड़ का पुलिया: गांव वालों ने अपनी मुसीबत का हल खुद ही खोज लिया. आपस में सभी ने मिलकर चंदा किया. जिससे जितनी हो सकी उसने उतनी मदद की. पैसा जमा होते ही गांव वालों ने पुल निर्माण का काम शुरु किया. आदिवासियों ने चंदे के पैसों से पहले तार के पेड़ खरीदे. पेड़ों को काटकर जर्जर पुलिया के ऊपर सेट किया. ताड़ के पेड़ सेट होने के बाद उसके ऊपर मिट्टी की परत डाल दी. पहली नजर में आपको ये लगेगा ही नहीं कि आप किसानों के बनाए पुलिया का इस्तेमाल कर रहे हैं.

क्यों गांव वालों को बनना पड़ा इंजीनियर: जिस जगह पर जुगाड़ का पुलिया बनाया गया है वहां पर दो साल पहले पुलिया बना था. तेज बहाव में ये पुलिया बह गई थी. गांव वालों ने कई बार इसकी शिकायत अफसरों से की. जिला पंचायत सीईओ और PMGSY विभाग से भी मदद की मांग की. गांव वालों की मुसीबत पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया. विधायक और जनप्रतिनिधि भी समस्या सुलझाने से बचते रहे. आखिरकार गांव वालों ने खुद ही समस्या के समाधान का रास्ता निकाला.

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Last Updated : Jul 25, 2024, 5:17 PM IST
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