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कहीं नक्सली ना बन जाएं बच्चे इसलिए ग्रामीण टोटके का ले रहे सहारा, बूढ़ापहाड़ इलाके में छोटू खरवार बढ़ा रहा अपनी ताकत

Prevent children from becoming Naxalites. बूढ़ापहाड़ इलाके में ग्रामीण टोटके के जरिए कोशिश कर रहे हैं कि उनके बच्चे नक्सली ना बनें. कैसे हुई इस टोटके की शुरुआत जानिए इस रिपोर्ट में.

Prevent children from Naxalites
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 14, 2024, 9:12 PM IST

पलामू: बच्चे और ग्रामीण नक्सली दस्ते में शामिल नहीं हो, इस लिए ग्रामीण टोटका का सहारा ले रहे हैं. ग्रामीण अपने कुलदेवता और कुलदेवी की पूजा कर रहे हैं. दरअसल, कुछ दिनों पहले झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा से कुछ दूर मौजूद दौना गांव के दो बच्चे नक्सलियों के साथ चले गए थे. दोनों के परिवार वालों ने टोटका का सहारा लिया था. जिसके बाद दोनों बच्चे वापस लौटकर आ गए. हालांकि इसके बाद गांव के दो युवक नक्सलियों के साथ चले गए. अब ग्रामीण के बार फिर से टोटके का सहारा ले रहे हैं.

जिन परिवार के युवक नक्सलियों के साथ गए हैं वे अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अपने कुल देवता और कुलदेवी की पूजा कर रहे हैं. इस पूजा में अन्य ग्रामीण भी सहयोग कर रहे हैं ताकि युवक नक्सलियों के शिकंजे से वापस लौटकर आ जाएं. पूरा इलाका बूढ़ापहाड़ कॉरिडोर से दूरी पर है और छत्तीसगढ़ से करीब 50 किलोमीटर को दूरी पर है.

इस मामले पर नक्सल मामलों के जानकार देवेन्द्र गुप्ता का कहना है कि माओवादी और नक्सलवादी अंतिम सांस गिन रहे हैं, इस तरह की घटना से उनकी स्थिति जाहिर होती है. टोटका अंधविश्वास है, ग्रामीण अंधविश्वास में ना आकर पुलिस और प्रशासन का सहयोग मांगे. प्रशासनिक तंत्र को भी जरूरत है इन इलाकों में नजर रखने की.

माओवादी छोटू खरवार दस्ते में बढ़ाना चाहता है सदस्य

बूढ़ापहाड़ पर सुरक्षाबलों के कब्जे और नक्सलियों के टॉप कमांडरों के सफाए के बाद इलाके में उनकी स्थिति बेहद ही कमजोर हो गई है. जिसके बाद पकड़ को मजबूत करने के लिए बूढ़ापहाड़ के इलाके की जिम्मेदारी 15 लाख के इनामी माओवादी कमांडर छोटू खरवार को दी गई है. छोटू खरवार दस्ते में सदस्यों को बढ़ाना चाहता है. इसी वजह से उसने दोनों बच्चों को अपने दस्ते में जोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. बच्चे वापस लौट गए. छोटू खरवार को माओवादियों ने कोयल शंख जोन का इंचार्ज बनाया है. कोयल शंख जोन में लातेहार, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, गढ़वा और पलामू का इलाका आता है.

कैडर समस्या की जूझ रहे नक्सली, सैकड़ों से दर्जन में सिमट गई है संख्या

प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी कैडर की समस्या से जूझ रहा है. सैकड़ों की संख्या दर्जनों में सिमट गई है. बूढ़ापहाड़ से निकाल कर भागने के बाद नक्सलियों की संख्या 12 से 15 हो गई है. वहीं, झारखंड-बिहार सीमा पर पलामू के इलाके में इनकी संख्या आधा दर्जन के करीब है. दरअसल पूरा इलाका माओवादियों के झारखंड बिहार उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया के अंतर्गत आता है. जिसमें एक दशक पहले तक माओवादियों के लड़ाकों की संख्या चार हजार के करीब हुआ करती थी.

पलामू: बच्चे और ग्रामीण नक्सली दस्ते में शामिल नहीं हो, इस लिए ग्रामीण टोटका का सहारा ले रहे हैं. ग्रामीण अपने कुलदेवता और कुलदेवी की पूजा कर रहे हैं. दरअसल, कुछ दिनों पहले झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा से कुछ दूर मौजूद दौना गांव के दो बच्चे नक्सलियों के साथ चले गए थे. दोनों के परिवार वालों ने टोटका का सहारा लिया था. जिसके बाद दोनों बच्चे वापस लौटकर आ गए. हालांकि इसके बाद गांव के दो युवक नक्सलियों के साथ चले गए. अब ग्रामीण के बार फिर से टोटके का सहारा ले रहे हैं.

जिन परिवार के युवक नक्सलियों के साथ गए हैं वे अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अपने कुल देवता और कुलदेवी की पूजा कर रहे हैं. इस पूजा में अन्य ग्रामीण भी सहयोग कर रहे हैं ताकि युवक नक्सलियों के शिकंजे से वापस लौटकर आ जाएं. पूरा इलाका बूढ़ापहाड़ कॉरिडोर से दूरी पर है और छत्तीसगढ़ से करीब 50 किलोमीटर को दूरी पर है.

इस मामले पर नक्सल मामलों के जानकार देवेन्द्र गुप्ता का कहना है कि माओवादी और नक्सलवादी अंतिम सांस गिन रहे हैं, इस तरह की घटना से उनकी स्थिति जाहिर होती है. टोटका अंधविश्वास है, ग्रामीण अंधविश्वास में ना आकर पुलिस और प्रशासन का सहयोग मांगे. प्रशासनिक तंत्र को भी जरूरत है इन इलाकों में नजर रखने की.

माओवादी छोटू खरवार दस्ते में बढ़ाना चाहता है सदस्य

बूढ़ापहाड़ पर सुरक्षाबलों के कब्जे और नक्सलियों के टॉप कमांडरों के सफाए के बाद इलाके में उनकी स्थिति बेहद ही कमजोर हो गई है. जिसके बाद पकड़ को मजबूत करने के लिए बूढ़ापहाड़ के इलाके की जिम्मेदारी 15 लाख के इनामी माओवादी कमांडर छोटू खरवार को दी गई है. छोटू खरवार दस्ते में सदस्यों को बढ़ाना चाहता है. इसी वजह से उसने दोनों बच्चों को अपने दस्ते में जोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली. बच्चे वापस लौट गए. छोटू खरवार को माओवादियों ने कोयल शंख जोन का इंचार्ज बनाया है. कोयल शंख जोन में लातेहार, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, गढ़वा और पलामू का इलाका आता है.

कैडर समस्या की जूझ रहे नक्सली, सैकड़ों से दर्जन में सिमट गई है संख्या

प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी कैडर की समस्या से जूझ रहा है. सैकड़ों की संख्या दर्जनों में सिमट गई है. बूढ़ापहाड़ से निकाल कर भागने के बाद नक्सलियों की संख्या 12 से 15 हो गई है. वहीं, झारखंड-बिहार सीमा पर पलामू के इलाके में इनकी संख्या आधा दर्जन के करीब है. दरअसल पूरा इलाका माओवादियों के झारखंड बिहार उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया के अंतर्गत आता है. जिसमें एक दशक पहले तक माओवादियों के लड़ाकों की संख्या चार हजार के करीब हुआ करती थी.

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