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ससुराल में बढ़ा रावण का कद; मेरठ में दहन होगा 130 फीट का पुतला, यूपी में सबसे ऊंचा

कुम्भकरण का पुतला 120 फीट का और रावण के पुत्र मेघनाद का पुतला 110 फीट का मेरठ में तैयार किया गया.

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मेरठ में दहन होगा यूपी का सबसे ऊंचा रावण. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 12, 2024, 11:14 AM IST

Updated : Oct 12, 2024, 11:25 AM IST

मेरठ: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरे का पर्व आज है. आज ही के दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था और माता सीता को लंका से मुक्त कराया था. मेरठ यानी रावण की ससुराल में दामाद के वध को तैयारी पूरी हो चुकी हैं. यूपी में सबसे ऊंचा पुतला मेरठ में ही तैयार किया गया है.

यूं तो देशभर में इस पर्व को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. वर्षों से परम्परा है कि इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है. ऐसे में यूपी में हर जिले में रावण के पुतले का दहन होता है.

मेरठ में रावण दहन पर संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

मेरठ को रावण की ससुराल कहा जाता है. क्योंकि यह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका है. यहां के कैंट क्षेत्र के भैंसाली ग्राउंड पर होने वाली रामलीला बेहद खास मानी जाती है. यहां इस बार 130 फीट का रावण का पुतला दहन किया जाएगा. रावण के पुतले के अलावा हर साल रावण के भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाथ का पुतला भी तैयार किया जाता है और उनका भी दहन किया जाता है.

रावण, उसके भाई और पुत्र के पुतले को तैयार करने में लगे कारीगर असलम बताते हैं कि इस बार रावण के पुतले को 130 फीट का तैयार किया गया है. वहीं कुम्भकरण का पुतला 120 फीट का है और रावण के पुत्र मेघनाद का पुतला 110 फीट का तैयार किया गया है.

असलम यह भी दावा करते हैं कि प्रदेश में इससे बड़ा रावण का पुतला कहीं नहीं तैयार होता. असलम कहते हैं कि यह सभी यूपी में सर्वाधिक ऊंचाई वाले पुतले हैं. बता दें कि मेरठ कैंट में भैंसाली के ग्राउंड पर जिस जगह पर रावण दहन औऱ रामलीला का मंचन होता है, उस स्थान का भी अपना अलग ही महत्व है.

रामलीला संचालन से जुड़े दिनेश ऐरन बताते हैं कि पूर्व में इस मैदान की जगह पर एक तालाब हुआ करता था और राजा मयदानव की बेटी मंदोदरी यहां तालाब में स्नान के लिए आया करती थीं. इसके बाद वह भगवान भोलेनाथ के नजदीक में बने मंदिर में पूजा अर्चना किया करती थीं. वर के रूप में रावण को उन्होंने मांगा था. मान्यता यह भी है कि इसी स्थान पर रावण और मंदोदरी की पहली मुलाकात भी हुई थी.

बीते 45 साल से अधिक समय से मेरठ में रावण कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले तैयार करने वाले असलम भाई बताते हैं कि उन्हें बड़ी खुशी होती है यह काम करके. 8 से 10 कारीगरों के साथ मिलकर इस काम में लगे हैं. लगभग डेढ़ महीने से पुतला बनाने का काम जारी है. यह कोई ऐसे वैसे पुतले नहीं हैं.

हाइटेक रामलीला यहां होती है और उसी तरह पुतलों को भी खास ढंग से पूरी मेहनत से बनाते हैं. उनकी तो रोजी रोटी इससे चलती है और उन्हें अच्छा लगता है कि हिन्दू भाइयों के प्रमुख इस पर्व पर जिस रावण का वध होता है उसे वह तैयार करते हैं.

असलम का कहना है कि दशहरे की वजह से उनके घर की रोजी रोटी चलती है. पुतले बनाने में जुटे मोहम्मद असद बताते हैं कि पुतले तैयार करके उन्हें खुशी हो रही है. इससे उन्हें रोजी रोटी मिलती है. इस बार रावण का पुतला खास इसलिए भी है कि यह अट्ठाहस भी करेगा और 180 की डिग्री तक घूमता भी है. रावण का पुतला इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि यह अपने दांत भी लोगों को हिलाता और गुर्राता हुआ दिखाएगा.

असलम ने बताया कि ये पुतला यूपी में सबसे ऊंचा है. इसके साथ ही यह सात घोड़ों के रथ पर सवार रहेगा. सन 1982 में जब यहां कर्फ्यू लगा हुआ था तब भी उन्होंने रावण का पुतला बनाया था. ऐसे ही जब 1987 में कर्फ्यू लगा था तब भी पुतले बनाए. उसके बाद कोविड जब आया तो उस वक्भ भी कोरोना महामारी के बावजूद भैंसाली मैदान में उन्होंने रावण दहन के लिए पुतले बनाए थे.

असलम बताते हैं कि वह पूरे साल हिन्दू मुस्लिम एकता की भावना के साथ काम करते हैं और उन्हें अच्छा लगता है, इसी से उनकी और उनके साथ बहुत से लोगों की रोजी रोटी भी चलती है. असलम बताते हैं कि पूरे साल वह हिन्दू भाइयों के अलग-अलग आयोजनों के हिसाब से सामग्री तैयार करते हैं. जब कांवड़ यात्रा होती है तो वे कांवड़ तैयार करते हैं.

ये भी पढ़ेंः UP का सबसे ऊंचा रावण पुतला दहन: किन जिलो में जलेंगे 130-50 फीट तक के पुतले, जानिए

मेरठ: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरे का पर्व आज है. आज ही के दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था और माता सीता को लंका से मुक्त कराया था. मेरठ यानी रावण की ससुराल में दामाद के वध को तैयारी पूरी हो चुकी हैं. यूपी में सबसे ऊंचा पुतला मेरठ में ही तैयार किया गया है.

यूं तो देशभर में इस पर्व को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. वर्षों से परम्परा है कि इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है. ऐसे में यूपी में हर जिले में रावण के पुतले का दहन होता है.

मेरठ में रावण दहन पर संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

मेरठ को रावण की ससुराल कहा जाता है. क्योंकि यह रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका है. यहां के कैंट क्षेत्र के भैंसाली ग्राउंड पर होने वाली रामलीला बेहद खास मानी जाती है. यहां इस बार 130 फीट का रावण का पुतला दहन किया जाएगा. रावण के पुतले के अलावा हर साल रावण के भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाथ का पुतला भी तैयार किया जाता है और उनका भी दहन किया जाता है.

रावण, उसके भाई और पुत्र के पुतले को तैयार करने में लगे कारीगर असलम बताते हैं कि इस बार रावण के पुतले को 130 फीट का तैयार किया गया है. वहीं कुम्भकरण का पुतला 120 फीट का है और रावण के पुत्र मेघनाद का पुतला 110 फीट का तैयार किया गया है.

असलम यह भी दावा करते हैं कि प्रदेश में इससे बड़ा रावण का पुतला कहीं नहीं तैयार होता. असलम कहते हैं कि यह सभी यूपी में सर्वाधिक ऊंचाई वाले पुतले हैं. बता दें कि मेरठ कैंट में भैंसाली के ग्राउंड पर जिस जगह पर रावण दहन औऱ रामलीला का मंचन होता है, उस स्थान का भी अपना अलग ही महत्व है.

रामलीला संचालन से जुड़े दिनेश ऐरन बताते हैं कि पूर्व में इस मैदान की जगह पर एक तालाब हुआ करता था और राजा मयदानव की बेटी मंदोदरी यहां तालाब में स्नान के लिए आया करती थीं. इसके बाद वह भगवान भोलेनाथ के नजदीक में बने मंदिर में पूजा अर्चना किया करती थीं. वर के रूप में रावण को उन्होंने मांगा था. मान्यता यह भी है कि इसी स्थान पर रावण और मंदोदरी की पहली मुलाकात भी हुई थी.

बीते 45 साल से अधिक समय से मेरठ में रावण कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले तैयार करने वाले असलम भाई बताते हैं कि उन्हें बड़ी खुशी होती है यह काम करके. 8 से 10 कारीगरों के साथ मिलकर इस काम में लगे हैं. लगभग डेढ़ महीने से पुतला बनाने का काम जारी है. यह कोई ऐसे वैसे पुतले नहीं हैं.

हाइटेक रामलीला यहां होती है और उसी तरह पुतलों को भी खास ढंग से पूरी मेहनत से बनाते हैं. उनकी तो रोजी रोटी इससे चलती है और उन्हें अच्छा लगता है कि हिन्दू भाइयों के प्रमुख इस पर्व पर जिस रावण का वध होता है उसे वह तैयार करते हैं.

असलम का कहना है कि दशहरे की वजह से उनके घर की रोजी रोटी चलती है. पुतले बनाने में जुटे मोहम्मद असद बताते हैं कि पुतले तैयार करके उन्हें खुशी हो रही है. इससे उन्हें रोजी रोटी मिलती है. इस बार रावण का पुतला खास इसलिए भी है कि यह अट्ठाहस भी करेगा और 180 की डिग्री तक घूमता भी है. रावण का पुतला इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि यह अपने दांत भी लोगों को हिलाता और गुर्राता हुआ दिखाएगा.

असलम ने बताया कि ये पुतला यूपी में सबसे ऊंचा है. इसके साथ ही यह सात घोड़ों के रथ पर सवार रहेगा. सन 1982 में जब यहां कर्फ्यू लगा हुआ था तब भी उन्होंने रावण का पुतला बनाया था. ऐसे ही जब 1987 में कर्फ्यू लगा था तब भी पुतले बनाए. उसके बाद कोविड जब आया तो उस वक्भ भी कोरोना महामारी के बावजूद भैंसाली मैदान में उन्होंने रावण दहन के लिए पुतले बनाए थे.

असलम बताते हैं कि वह पूरे साल हिन्दू मुस्लिम एकता की भावना के साथ काम करते हैं और उन्हें अच्छा लगता है, इसी से उनकी और उनके साथ बहुत से लोगों की रोजी रोटी भी चलती है. असलम बताते हैं कि पूरे साल वह हिन्दू भाइयों के अलग-अलग आयोजनों के हिसाब से सामग्री तैयार करते हैं. जब कांवड़ यात्रा होती है तो वे कांवड़ तैयार करते हैं.

ये भी पढ़ेंः UP का सबसे ऊंचा रावण पुतला दहन: किन जिलो में जलेंगे 130-50 फीट तक के पुतले, जानिए

Last Updated : Oct 12, 2024, 11:25 AM IST
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