दंतेवाड़ा: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा के मावली परघाव रस्म में शामिल होने के लिए माई की डोली दंतेवाड़ा से जगदलपुर के लिए रवाना किया गया है. जिस वाहन में रखकर डोली को विदा किया गया उस गाड़ी को कई क्विंटल फूलों से सजाया गया. दशहरा कार्यक्रम में शामिल होने के बाद 19 अक्टूबर को डोली को जगदलपुर से विदा किया जाएगा. 20 अक्टूबर की शाम को मां दंतेश्वरी की डोली वापस अपने धाम दंतेवाड़ा पहुंच जाएगी. मां की डोली भक्तों और पुजारियों ने विधि विधान से पूजा अर्चना कर रवाना किया.
मां दंतेश्वरी की डोली रवाना: माई की डोली को जिस गाड़ी में रखकर ले जाया गया उसे कई क्विंटल फूलों से सजाया गया. परंपरा के मुताबिक जवानों ने हर्ष फायर कर मां की डोली को विदा करने की रस्म निभाई. सेवादारों ने कंधों पर रखकर पहले मां की डोली को डंकनी पुल के पार कर माईजी के चबूतरे तक पहुंचाया. शारदीय नवरात्र के अष्टमी तिथि पर प्रतिवर्ष बस्तर दशहरा में शामिल होने माईजी की डोली और छत्र को जगदलपुर के लिए रवाना किया जाता है. इस बार अष्टमी तिथि दो दिन पड़ जाने से डोली नवमी तिथि को निकाली गई. परंपरा के अनुसार नवरात्र के पंचमी पर राजपरिवार बस्तर दशहरा में शामिल होने का आमंत्रण लेकर दंतेवाड़ा माईजी के पास पहुंचता है.
राजपरिवार देता है माईजी को निमंत्रण: बस्तर राजपरिवार अपने आराध्य देवी को मावली परघाव में शामिल होने का निमंत्रण मां को देता है. इसके बाद मंदिर के पुजारी पंचमी तिथि को ही डोली को मंदिर से निकालकर पटसार में रख देते हैं. अष्टमी के दिन मां की डोली की परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना की जाती है. माता की डोली को पुलिस के जवान हर्ष फायर कर सलामी भेंट करते हैं. इस मौके पर पारंपरिक बाजा मोहरी बजाया जाता है. सबसे पहले डोली को हारम चौक लाया जाता है जहां पर डोली का भव्य स्वागत भक्त करते हैं.
19 अक्टूबर को डोली लौटेगी दंतेवाड़ा: मंदिर के पुजारी विजेंद्र नाथ जीया ने बताया कि माईजी की डोली 12 अक्टूबर शनिवार को जगदलपुर जिया डेरा पहुंचेगी. राजपरिवार के सदस्यों की उपस्थिति में मावली परघाव रस्म होगी जिसके बाद डोली को लकड़ी से बने रथ पर रखकर बस्तर दशहरा के लिए नगर भ्रमण कराया जाएगा. करीब 8 दिनों तक बस्तर दशहरा के अलग अलग कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद माईजी की डोली को परापरागत तरीके से वापस दंतेवाड़ा के लिए विदा होगी. 19 अक्टूबर की देर रात डोली आंवराभाटा पहुंचेगी जहां रात्रि विश्राम के बाद डोली दूसरे दिन 20 अक्टूबर को अपने धाम दंतेश्वरी मंदिर के लिए निकलेगी.