विदिशा। 7 मई को मध्यप्रदेश की 9 लोकसभा सीटों पर मतदान हो गया है. विदिशा से इस बार भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रताप भानु शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है. विदिशा में साल 1989 से भाजपा की जीत हो रही है. जबकि कांग्रेस इस सीट में अपने वनवास को खत्म करने की कोशिश में जुटी हुई है.
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2023 के विधानसभा नतीजे
अपनी सीट को बचाने के लिए शिवराज सिंह चौहान लगातार लोगों के बीच जनसंपर्क कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस भी लगातार लोगों के बीच जाकर केंद्र सरकार और शिवराज सिंह की नाकामियां गिना रही है. विदिशा संसदीय सीट भाजपा का अभेद्य किला है, जिसे कई सालों से कांग्रेस नहीं भेद पाई है. विधानसभा के नतीजों की बात करें तो विदिशा संसदीय क्षेत्र में रायसेन, विदिशा, सीहोर और देवास जिले की आठ विधानसभा सीटें हैं. इसमें कांग्रेस को रायसेन जिले की सिलवानी सीट पर ही जीत मिली थी, जबकि भोजपुर, सांची, विदिशा, बासौदा, बुधनी, इच्छावर और खातेगांव सीट पर भाजपा ने अपना परचम लहराया था.
विदिशा लोकसभा सीट का इतिहास
वर्ष 1989 से यहां कांग्रेस के लिए सूखे का दौर शुरू हो गया था. इस साल यानि 1989 में राघव जी ने विदिशा सीट से जीत हासिल की. इसके बाद साल 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी इस सीट से जीते थे लेकिन उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि वह लखनऊ से भी सांसद चुने गए थे. जाहिर सी बात है यहां फिर उपचुनाव हुए और उपचुनाव में शिवराज सिंह चौहान जीते और साल 2006 तक लगातार सांसद रहे. इसके बाद 2006 के उपचुनाव भाजपा के रामपाल सिंह ने बाजी मारी. इसके बाद साल 2009 से 2019 तक सुषमा स्वराज यहां से सांसद चुनी गईं. फिर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में रमाकांत भार्गव को जनता ने सांसद चुना. और इस बार शिवराज सिंह चौहान फिर चुनावी मैदान में हैं.
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2019 चुनाव के नतीजे
2019 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से रमाकांत भार्गव को टिकट दिया था और कांग्रेस ने पूर्व विधायक शैलेन्द्र पटेल को प्रत्याशी घोषित किया था. इस चुनाव में बीजेपी के रमाकांत भार्गव ने 5 लाख 3 हजार 84 वोटों से प्रचंड जीत हासिल की थी.