विदिशा। जिला मुख्यालय के किले के अंदर रायसेन दरवाजे के द्वार पर श्री संकट मोचन सिद्धिविनायक गणेश जी का मंदिर विदिशा के साथ ही आसपास के जिलों में विख्यात है. मंदिर के इतिहास के बारे में पुजारी पंडित तरुण दुबे ने बताया "भादौ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को 173 वर्ष पूरे हो गए हैं. वहीं, कुछ लोगों के अनुसार यह मंदिर इससे भी ज्यादा पुराना है तो कुछ विद्धानों का मानना है कि विविध दिशाओं के लिए यहां से मार्ग जाने के कारण ही इस नगर का नाम विदिशा पड़ा."
इतिहास के 4 प्रमुख गणेश मंदिरों में से एक
विदिशा के बारे में जानने वाले बताते हैं कि मध्य युग आते-आते विदिशा का का नाम सूर्य (भैलास्वामीन) के नाम पर भेल्लि स्वामिन, भेलसानी या भेलसा हो गया था. जब बेस नगर हुआ करता था, उस समय 4 गणेश जी के मंदिर हुआ करते थे. उसमें रायसेन गेट वाले संकट मोचन सिद्धिविनायक गणेश जी भी आते थे. इस मंदिर की व्यवस्था फूल माली गुलाब चंद्र सैनी और उनके परिवार के सदस्य करते रहे. सैनी के अनुसार इस मंदिर को उनके सास-ससुर द्वारा उनकी पत्नी को दान किया गया था. आज से सौ-सवा सौ साल पहले यहां पर एक ब्राह्मणी सेवा करती थी, जो उस मोहल्ले में भिक्षावृत्ति करके अपना जीवनयापन करती थी.
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बुधवार के अलावा एकादशी पर मंदिर में रातभर भजन
बताया जाता है कि ब्राह्मणी के गुजर जाने के बाद गुलाबचंद सैनी के ससुर गप्पू लाल फूल माली ने यहां के सूबे साहब से इस मंदिर की सेवा करने की विनती की. इस मंदिर का पूजन अभी पंडित तरुण दुबे कर रहे हैं. उनके अनुसार इस मंदिर पर किसी भी व्यक्ति को संतान संबंधी और विवाह संबंधी समस्याओं को लेकर आते हुए देखते हैं और उनकी सारी समस्याएं यहां आकर दूर हो जाती हैं. सभी संकटों को दूर करने वाले श्री संकट मोचन सिद्धि विनायक गणेश जी रिद्धि-सिद्धि के साथ यहां पर विराजमान हैं. यहां पर बुधवार और एकादशी को रात्रि जागरण होता है.