नई दिल्ली: इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज (IP कॉलेज) के 100 साल पूरे होने पर आयोजित शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शिक्षा और सामाजिक प्रगति में कॉलेज के स्थायी योगदान पर जोर देते हुए इसकी स्मरणीय विरासत की सराहना की. उन्होंने टिप्पणी की कि सौ साल की यात्रा कभी भी आसान नहीं होती है, लेकिन इस संस्थान के पास सराहनीय उपलब्धियों, उच्च साख के साथ सदी की यात्रा तय करने का रिकॉर्ड है. जिससे हर कोई गौरवान्वित है.
यह संस्थान परिवर्तन का केंद्र है. नए भारत के निर्माण का तंत्रिका केंद्र है. उपराष्ट्रपति ने कॉलेज की छात्राओं से कहा कि मैं आपको भारतीय संसद के नए भवन में अपने अतिथि के रूप में आमंत्रित करता हूं. आप इसके परिवर्तन को देखकर चकित रह जाएंगे. उन्होंने नारी शक्ति की सराहना करते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह पूरी तरह आपके नाम था. नारी शक्ति वंदन अधिनियम से देश की लोकसभा में भी 100 से ज्यादा महिला सांसद चुनी जाएंगी. ये हमारे लिए गौरव की बात है. देश के लोकतंत्र में आपकी पूरी हिस्सेदारी है.
धनखड़ ने आईपी कॉलेज की छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि थल सेना, वायु सेना, नौसेना, इसरो, डीआरडीओ सहित चारों तरफ अब नारी शक्ति ही दिखती है. आने वाला समय आपका है. आप चमक रहे हो इसलिए देश चमक रहा है. उन्होंने कहा कि भारतीयता ही हमारी पहचान है. देश के बड़े-बड़े उद्योगपति विदेशी शिक्षण संस्थानों को मोटा अनुदान देते हैं. मैं उनसे कहता हूं कि अपने देश के शिक्षण संस्थानों को अनुदान दें.
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी डॉक्टर सुदेश धनखड़ भी मौजूद रहीं. कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने और आईपी कॉलेज के 100वें वर्ष तथा विभिन्न क्षेत्रों में इसकी अभूतपूर्व योगदान पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने विश्वविद्यालय की समग्र शैक्षणिक उत्कृष्टता में कॉलेज के योगदान की प्रशंसा की.
कार्यक्रम में महाविद्यालय के चेयरमैन आलोक बी. श्रीराम ने कहा कि आईपी कॉलेज के नाम पर कई चीजें पहली बार दर्ज की गई हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में यह पहला गर्ल्स कॉलेज है. महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. पूनम कुमरिया ने कहा कि इंद्रप्रस्थ कॉलेज ने अपनी तरह के पहले W-20 सेमिनार नारायणी नमोस्तुते के माध्यम से महिला सशक्तिकरण की भावना को गर्व से प्रदर्शित किया है.
प्राचार्या ने कहा कि कॉलेज के 100 वर्ष पूरे होना बड़े ही गौरव का विषय है. मैं इसका हिस्सा हूं, ये मेरा सौभाग्य है. उन्होंने कहा कि अपने एक साल के कार्यकाल में कॉलेज में 121 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कराई है. यह सबसे बड़ी उपलब्धि है. आगे राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरी तरह धरातल पर उतारने का उनका प्रयास रहेगा.
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शताब्दी समारोह में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से इंद्रप्रस्थ कॉलेज की वर्षों की गौरवशाली यात्रा को प्रदर्शित किया गया. करीब 4000 से अधिक छात्राओं और पूर्व छात्राओं ने कार्यक्रम में शिरकत की. बता दें, कॉलेज की शुरुआत सन् 1904 में किनारी बाजार, चांदनी चौक की गली अनार में 'इंद्रप्रस्थ हिंदू कन्या पाठशाला' के रूप में हुई थी. यह कॉलेज महिला शिक्षा के लिए देश का अग्रणी संस्थान है.
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