वाराणसी: कैंट रेलवे स्टेशन अब जल संचयन के मामले में आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है, जिसके तहत हर दिन रेलवे 5 लाख लीटर पानी को रिसाइकल कर रहा है. यही नहीं जल्द ही एक नया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी शुरू होने जा रहा है, जिसके बाद रेलवे हर दिन 10 लाख लीटर पानी को रिसाइकल कर अलग-अलग कामों में प्रयोग करेगा.
बता दे कि, कैंट रेलवे स्टेशन पर लगातार कायाकल्प प्रोजेक्ट चल रहा है. जिसके क्रम में नई-नई सुविधा जोड़ी जा रही है. ऐसे में अब तक जहां रेलवे सोलर पैनल से बिजली बनाने में आत्मनिर्भर हो रहा है, तो वहीं जल संचालन के मामले में भी अब रेलवे नया मुकाम बना रहा है. जिसका परिणाम है, कि वर्तमान में कैंट स्टेशन पर हर महिने डेढ़ करोड़ लीटर पानी का संचयन कर उसे संरक्षित किया जा रहा है.
हर दिन 5 लाख लीटर पानी किया जाता हैं रिसाइकल: इस बारे में कैंट रेलवे स्टेशन निदेशक गौरव दीक्षित ने बताया, कि हमने जल संचयन को लेकर शुरुआत की है. ताकि रेलवे स्टेशन पर प्रयोग में आने वाले पानी को रिसाइकल कर उसे यूज किया जा सके और पानी का संरक्षण हो सके. इसी के तहत हमारे यहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट काम कर रहा है, जिसकी कैपेसिटी 500 लीटर पर डे है, जो की स्टेशन और वॉशिंग लाइन से निकले पानी को रिसाइकल करता है और प्रत्येक दिन हमारे यहां 5 लाख लीटर पानी को ट्वीट किया जाता है, यह संचालित हो रहा है.
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जल्द शुरू होगा नया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट: इसी के क्रम में इसकी महत्वता को देखते हुए हमने नई वॉशिंग लाइन पर भी 500 लीटर का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया है. जहां पर 5 लाख लीटर प्रत्येक दिन जल को रिसाइकल किया जाएगा, अभी यह शुरू नहीं हुआ है. जल्द ही इसकी शुरुआत कर ली जाएगी.इसके शुरू होने के बाद रेलवे प्रत्येक दिन 10 लाख लीटर पानी का संचयन शुरू कर देगा.उन्होंने बताया कि इस प्लांट के वजह से हर महीने डेढ़ करोड़ लीटर पानी रिसाइकल किया जा रहा है.ये रिसाईकल हुए पानी को दोबारा रेलवे स्टेशन की सफाई ट्रेनों की सफाई व अन्य कामों में प्रयोग किया जाता है. इस पानी को पीने में इस्तेमाल नहीं किया जाता लेकिन इससे एक बड़े स्तर पर जल को रिसाइकल का संरक्षित किया जाता है.
हर दिन 70 हजार यात्रियों का होता है आवागमन: गौरतलब हो, कि कैंट रेलवे स्टेशन पर हर दिन 70 हजार से ज्यादा यात्रियों का आवागमन होता है. इनके लिए 120 ट्रेनों का संचालन भी किया जाता है. जिनमें से दर्जनों ट्रेनें ऐसी रेलवे स्टेशन पर तैयार होती है, जिनके स्वच्छता में लाखों लीटर पानी लगता है. और ऐसे में अब रेलवे इस नई तकनीक से पानी को हार्वेस्ट कर दूसरे कार्यों में प्रयोग कर रहा है, जिससे जल की बर्बादी ना हो.
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