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पितृ पक्ष में बनारस में अनोखा पिंडदान, अजन्मी बेटियों को मोक्ष दिलाने के लिए किया श्राद्ध, बेटी बचाने का दिया संदेश - Pitru Paksha 2024 - PITRU PAKSHA 2024

वाराणसी में दशाश्वमेध घाट पर गर्भ में मारी जा रही अजन्मी अभागी बेटियों की मोक्ष के लिए गुरुवार को श्राद्ध कर्म सम्पन्न हुआ.यह आयोजन आगमन सामाजिक संस्था द्वारा 11 वर्षों से कराया जाता है. Pitru Paksha 2024

पितृ पक्ष 2024 : काशी में अजन्मी बेटियों का हुआ पिंडदान.
पितृ पक्ष 2024 : काशी में अजन्मी बेटियों का हुआ पिंडदान. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 27, 2024, 9:42 AM IST

वाराणसी : पितृ पक्ष के अवसर पर काशी में लोग अपने पितरों को पिंडदान करने के लिए दूर-दूर से आते हैं. यहीं पर त्रिपिंडी स्थापित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. इसी के तहत एक संस्था द्वारा जिन बेटियों को जन्म के पहले कोख में मार दिया जाता है. उनकी आत्मा की शांति के लिए काशी में श्राद्ध कर्म कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के तहत अजन्मी 18 हजार बेटियों को आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई. संस्था का कहना है कि कोख में मारी गई बेटियों को जीने का अधिकार तो नहीं मिल सका, लेकिन उन्हें मोक्ष तो मिलना ही चाहिए.

पितृ पक्ष 2024 : काशी में अजन्मी बेटियों का हुआ पिंडदान. देखें खबर (Video Credit : ETV Bharat)

गंगा तट के दशाश्वमेध घाट पर गर्भ में मारी गई बेटियों के मोक्ष की कामना लिए हुए आगमन सामाजिक संस्था के द्वारा वैदिक ग्रंथों में वर्णित परम्परा के अनुसार श्राद्ध कर्म और जल तर्पण कराया गया. संस्था प्रतिवर्ष पितृ पक्ष के मातृ नवमी को अजन्मी बेटियों का सनातन परंपरा और पुरे विधि विधान से श्राद्ध कर उनके मोक्ष की कामना करती है. गंगा तट पर मिट्टी के बनी वेदी पर 18 हजार पिंड निर्माण कर मंत्रों से आह्वान कर बारी बारी मृतक को प्रतीक स्वरूप स्थापित करने के बाद उनके मोक्ष की कामना की गई. पांच वैदिक ब्राह्मणों द्वारा उच्चारित वेद मंत्रों के बीच श्राद्धकर्ता संस्था के संस्थापक सचिव डॉ. संतोष ओझा ने 18 हजार बेटियों का पिंडदान और जल तर्पण के बाद ब्राह्मण भोजन के साथ आयोजन कराया.

संस्था के संस्थापक डॉ. संतोष ओझा का कहना है कि आमतौर पर आमजन द्वारा गर्भपात को महज ऑपरेशन माना जाता हैं, लेकिन स्वार्थ में डूबे परिजन यह भूल जाते हैं कि भ्रूण में प्राण-वायु के संचार के बाद किया गया गर्भपात जीव हत्या है. गर्भपात के नाम पर जीव -हत्या की जा रही है. धर्म -ग्रन्थ की बात करें तो किसी भी अकाल मृत्यु में शांति प्राप्ति न होने से जीव भटकता है जो परिजनों के दुख का कारण भी बनता है. शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार किसी जीव की अकाल मृत्यु के बाद आत्मा की शांति के लिए शास्त्रीय विधि से पूजन -अर्चन (श्राद्ध) करा कर जीव को शांति प्रदान की जा सकती है. सम स्मृति में श्राध्द के पांच प्रकारों का वर्णन है. नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृध्दि, श्राध्दौर और पावैण. नैमित्तिक श्राद्ध विशेष उद्देश्य को लेकर किया जाता है.

यह भी पढ़ें : पितृ पक्ष में इन 8 श्राद्ध का बेहद महत्व, दो मुख्य श्राद्ध जरूरी, जानिए इनके बारे में - 8 Shraddha of Pitru Paksha

यह भी पढ़ें : पितृ पक्ष 2024: कल धरती पर होगा पूर्वजों का आगमन, जानिए श्राद्ध कर्म विधान और किस दिन कौन सी तिथि? - Pitra Paksha 2024

वाराणसी : पितृ पक्ष के अवसर पर काशी में लोग अपने पितरों को पिंडदान करने के लिए दूर-दूर से आते हैं. यहीं पर त्रिपिंडी स्थापित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं. इसी के तहत एक संस्था द्वारा जिन बेटियों को जन्म के पहले कोख में मार दिया जाता है. उनकी आत्मा की शांति के लिए काशी में श्राद्ध कर्म कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के तहत अजन्मी 18 हजार बेटियों को आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई. संस्था का कहना है कि कोख में मारी गई बेटियों को जीने का अधिकार तो नहीं मिल सका, लेकिन उन्हें मोक्ष तो मिलना ही चाहिए.

पितृ पक्ष 2024 : काशी में अजन्मी बेटियों का हुआ पिंडदान. देखें खबर (Video Credit : ETV Bharat)

गंगा तट के दशाश्वमेध घाट पर गर्भ में मारी गई बेटियों के मोक्ष की कामना लिए हुए आगमन सामाजिक संस्था के द्वारा वैदिक ग्रंथों में वर्णित परम्परा के अनुसार श्राद्ध कर्म और जल तर्पण कराया गया. संस्था प्रतिवर्ष पितृ पक्ष के मातृ नवमी को अजन्मी बेटियों का सनातन परंपरा और पुरे विधि विधान से श्राद्ध कर उनके मोक्ष की कामना करती है. गंगा तट पर मिट्टी के बनी वेदी पर 18 हजार पिंड निर्माण कर मंत्रों से आह्वान कर बारी बारी मृतक को प्रतीक स्वरूप स्थापित करने के बाद उनके मोक्ष की कामना की गई. पांच वैदिक ब्राह्मणों द्वारा उच्चारित वेद मंत्रों के बीच श्राद्धकर्ता संस्था के संस्थापक सचिव डॉ. संतोष ओझा ने 18 हजार बेटियों का पिंडदान और जल तर्पण के बाद ब्राह्मण भोजन के साथ आयोजन कराया.

संस्था के संस्थापक डॉ. संतोष ओझा का कहना है कि आमतौर पर आमजन द्वारा गर्भपात को महज ऑपरेशन माना जाता हैं, लेकिन स्वार्थ में डूबे परिजन यह भूल जाते हैं कि भ्रूण में प्राण-वायु के संचार के बाद किया गया गर्भपात जीव हत्या है. गर्भपात के नाम पर जीव -हत्या की जा रही है. धर्म -ग्रन्थ की बात करें तो किसी भी अकाल मृत्यु में शांति प्राप्ति न होने से जीव भटकता है जो परिजनों के दुख का कारण भी बनता है. शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार किसी जीव की अकाल मृत्यु के बाद आत्मा की शांति के लिए शास्त्रीय विधि से पूजन -अर्चन (श्राद्ध) करा कर जीव को शांति प्रदान की जा सकती है. सम स्मृति में श्राध्द के पांच प्रकारों का वर्णन है. नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृध्दि, श्राध्दौर और पावैण. नैमित्तिक श्राद्ध विशेष उद्देश्य को लेकर किया जाता है.

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