बीकानेर. सनातन धर्म में वैशाख अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि इसी माह में त्रेता युग की शुरुआत हुई थी. साथ ही वैशाख अमावस्या पर कुंडली में मौजूद काल सर्प जैसे कष्टकारी दोषों को दूर करने के लिए पूजा का विधान है. वहीं, दान-स्नान और पितरों को तर्पण करने से कुल को यश व वैभव की प्राप्ति होती है.
वैशाख अमावस्या का महत्व : वैशाख अमावस्या के दिन स्नान-दान की मान्यता है. अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण या कर्मकांड करने से बहुत पुण्य मिलता है. पितरों की शांति के लिए जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए. इसके साथ ही बहते जल में तिल का प्रवाह करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता बनी रहती है.
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दान-पुण्य करें : वैशाख अमावस्या पर सूर्य देव को अर्घ्य देना बेहद शुभ माना गया है. इस दिन सामर्थ्य के अनुसार दान करना भी चाहिए. कुंडली में काल सर्प दोष को दूर करने के लिए इस दिन योग्य पंडित के हाथों पूजा करवानी चाहिए. इसके अलावा पीपल के पेड़ को जल अर्पित करने से परिजनों को सुफल की प्राप्ति होती है. वहीं, गौशाला में गायों को हरी घास खिलाने के साथ-साथ उनकी देखभाल के लिए पैसे भी दान कर सकते हैं.
जरूर करें ये काम : इस अमावस्या को सुतवाई अमावस्या भी कहते हैं. वहीं. पितृ दोष से मुक्ति के लिए परिवार के सभी सदस्यों संग एक पात्र में सिक्के एकत्रित करें और उन्हें मंदिर में दान करें. संध्या के समय घर पर सपिरवार पूजा करें और अपने पितरों का स्मरण करें. साथ ही कौवा, चिड़िया, कुत्ते और गायों को भोजन कराएं. साथ ही माथे पर केसर का तिलक लगाकर श्री हरि विष्णु का जाप करें.