लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश की तराई के लखीमपुर खीरी जिले में रविवार रात को बाढ़ का पानी पीलीभीत जिले की तरफ से आ गया. दरअसल, उत्तराखंड के बनबसा बांध से छोड़े गए सवा चार लाख क्यूसेक पानी से शारदा नदी में उफान आ गया. इससे पलिया तहसील के गांवों में पानी घुसना शुरू हुआ.
सोमवार सुबह तक गोला, निघासन और सदर तहसील होते हुए धौरहरा तहसील के करीब डेढ़ सौ गांव बाढ़ के पानी में डूब गए. उधर, नेपाल से आने वाली मोहाना सुहेली नदियों के पानी से घाघरा नदी ने भी उफान मारा. नेपाली और भारतीय पानी ने दोहरा वार कर बाढ़ को भीषण बना दिया. लोगों को सम्भलने का भी मौका नहीं मिला.
फूलबेहड़ ब्लॉक के जंगल नम्बर 11 गांव की रहने वाली नन्हीं देवी की झोपड़ी बाढ़ ने तबाह कर दी. घर में रखा राशन भी पानी में बह गया. नन्हीं देवी कहती हैं,' इतनो टाइम नइखे मिलल कि सामाने सुरक्षित कर लेईत. ई बार बाढ़ जुलाईए में आ गईल. अरे का बताई बाबू बहुते नुकसान हो गईल.'
पलिया तहसील के संपूर्णानगर गांव में रहने वाले जिला सहकारी बैंक में मैनेजर संजय वर्मा कहते हैं, सोमवार को बैंक किसी तरह बन्द कर जल्दी-जल्दी घर भागे. चीनी मिल रोड पर पानी चलने लगा. रात होते-होते घर में भी दो-दो फीट तक पानी घुस आया. पानी इतनी तेजी से बढ़ा कि किसी को कुछ समझ नहीं आया.
घरों में दो-दो फीट तक पानी भरा: बेड सोफा सामान ऊंचा करने में पूरा घर लग गया पर पानी में तब भी काफी सामान डूब गया. यहां तक कि सेफ की नीचे वाली रैक पूरी पानी में डूब गई. लखीमपुर खीरी जिले में बाढ़ की समस्या कोई नई नहीं है पर इस साल नौ जुलाई को बाढ़ आ गई. अभी खरीफ की बोआई चल रही थी. कई किसान तो धान की बेड़ भी नहीं लगा पाए थे. शारदा और घाघरा नदियों के बीच का पूरा इलाका बाढ़ की चपेट में आ गया है.
बाढ़ के पानी से रेल लाइल कटी: बाढ़ ने पलिया में मैलानी पलिया के बीच मीटर गेज की रेल लाइन काट दी तो पूरनपुर मैलानी रूट पर हाल ही में तैयार हुई ब्रॉड गेज की रेल लाइन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया. रेल लाइन के नीचे से पानी चलने लगा और देखते-देखते रेल लाइन मीटरों तक हवा में लटक गई.
नेपाल जाने वाला हाईवे बाढ़ के पानी में डूबा: यही हाल नेपाल को जोड़ने वाले एनएच 731 का भी हुआ. सड़क कई जगह से कट गई. निघासन रोड पर भी बाढ़ का पानी दो-दो फुट तक आ गया. इससे पलिया तहसील का पूरा सड़क रेल सम्पर्क ही कट गया.
इस गांव में कभी नहीं आती थी बाढ़, इस बार आ गई: संपूर्णानगर से सटे ट्रांस शारदा इलाके के पीलीभीत जिले में पड़ने वाले शांति नगर गांव के रहने वाले मनदीप सिंह कहते हैं, इस बार बाढ़ का पानी ज्यादा है. हमारे गांव में कभी पानी नहीं आता था पर इस बार आ गया.
खेतों में भरा बाढ़ का पानी, धान की फसल बर्बाद: शान्तिनगर गांव के ही परमेंन्दर सिंह कहते हैं, 'सात एकड़ धान लगाया था. पूरे पर बाढ़ में आई मिट्टी जम गई. लागत तो गई ही फसल भी मारी गई. किसानों का इस इलाके में साठा धान की तैयार फसल तबाह हो गई. गाद खेतों में भर गई.
बाढ़ में केले की फसल बर्बाद: शांति नगर के ही प्रदीप शुक्ला ने 10 एकड़ में केला लगाया था, सब बाढ़ में तबाह हो गया. बाढ़ से पलिया निघासन तहसील के सभी स्कूलों पर ताला डलवा दिया गया है. वहीं ईसानगर धौरहरा और नकहा ब्लॉक के भी दर्जनों विद्यालयों में बाढ़ का पानी घुसा है.
गन्ना-धान की फसल बर्बाद: बाढ़ ने निघासन तहसील में भी काफी तबाही मचाई है. गन्ने की तैयार फसल हो या धान की फसल सब में नुकसान हुआ है. घरों के गिरने और कटने से भी नुकसान हुआ. सदर तहसील के जंगल नम्बर 11 गांव के प्रधान तेज लाल निषाद कहते हैं कई कच्चे मकान बाढ़ में गिर गए. जमीन भी कट रही. शारदा नदी की बाढ़ में काफी नुकसान हुआ है. हम लोग चारों तरफ से पानी से घिरे हैं. प्रशासन राहत पहुंचा रहा, हम लोग भी पूड़ी बनवा कर बंटवा रहे.
लखीमपुर खीरी की बाढ़ में 3 लोगों की मौत: खीरी जिले में बाढ़ के पानी में डूबकर अभी तक तीन लोगों की मौत की आधिकारिक पुष्टि हुई है. एक पलिया तहसील में और दो निघासन तहसील में, इसके अलावा लेखपालों को अभी कच्चे पक्के गिरे मकानों का सर्वे करने के निर्देश दिए गए हैं. किसानों की फसलों के नुकसान के आकलन का भी आदेश दिया गया है.
खीरी जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद: डीएम दुर्गाशक्ति नागपाल कहती हैं, प्रशासन हर पीड़ित के साथ है. एसडीएम राहत सामग्री बंटवा रहे हैं. अलग-अलग जगहों से करीब दो दर्जन से ज्यादा बाढ़ में फंसे लोगों को एनडीआरएफ ने निकाला है. सबको मेडिकल सुविधा दिलाई गई. पानी अब कम हो रहा. रास्तों को ठीक कराने को पीडब्ल्यूडी को कहा गया है. जल्द ही पलिया तहसील का रास्ता भी खुल जाएगा.
सीएम योगी ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई और स्टीमर से सर्वे किया. बाढ़ पीड़ितों की मदद का अफसरों कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों को निर्देश दिए पर बाढ़ राहत क्या बाढ़ में उम्मीदों की बोई फसल या सपनों के घरौंदों को वापस ला पाएंगे. क्योंकि लेने वाले हाथ ज्यादा हैं और देने वाले कम.
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