नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आगामी नगर निकाय चुनाव कराने के लिए जारी आरक्षण नियमावली 2024 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की और राज्य सरकार को चार हफ्ते के अंदर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. मामले की अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी.
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया. अदालत ने सरकार को चार हफ्ते के अंदर जवाबी हलफनामा (एफिडेविड) जमा करने को कहा है. इससे पहले मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अपन पक्ष रखा गया जिसमें उन्होंने कहा कि आरक्षण का नोटिफिकेशन जारी करते समय प्रदेश सरकार ने नियमों की अवहेलना की, और उसी शाम चुनावी कार्यक्रम घोषित किए गए. जिससे याचिकाकर्ता अपनी आपत्ति नहीं जता सके.
याचिका में ये कहा गया है: याचिका में कहा गया है कि नियमों के तहत आरक्षण की घोषणा के बाद आपत्ति जताने का प्रावधान है और राज्य सरकार और चुनाव आयोग ने इस नियम की अनदेखी की है.
10 हजार से कम वाली सीटों को नहीं किया जाना आरक्षित: याचिका में ये भी कहा गया है कि 10 हजार से कम आबादी वाली ओबीसी (OBC) और एसटी (ST) सीटें आरक्षित नहीं की जानी चाहिए थी, बल्कि जिन सीटों पर अधिक आबादी है उन्हें आरक्षित करना चाहिए था. याचिकाकर्ताओं ने ओबीसी और एसटी की कम आबादी वाली अल्मोड़ा सीट को आरक्षित करने पर आपत्ति जताई. याचिकाकर्ताओं का ये भी मानना है कि ज्यादा आबादी वाली देहरादून और हल्द्वानी जैसी सीटों को आरक्षित की श्रेणी में रखना चाहिए था.
राज्य सरकार ने कोर्ट में क्या कहा: वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पिछले साल 20 सितंबर को अधिसूचित उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर पालिका एक्ट, 1916) Amendment Act के प्रोविजन्स के मुताबिक आरक्षण पूरी तरह लागू किया गया है. राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखा कि जो सीटें आरक्षित की गई हैं वो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 टी के अनुसार आरक्षित हुई हैं. सरकार की ओर से दलील दी गई है कि इस याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसे चुनाव याचिका के रूप में दायर किया जाना चाहिए था.
गौर हो कि, उत्तराखंड में 11 नगर निगमों, 43 नगर पालिका परिषदों और 46 नगर पंचायतों के लिए 23 जनवरी को मतदान किया जाएगा. जबकि 25 जनवरी को वोटों की गिनती (मतगणना) होगी.
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