देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग वनाग्नि की घटनाओं को लेकर प्रदेश भर के वन क्षेत्रों में इंटेलिजेंस सिस्टम को बढ़ाने की कवायद में जुट गया है. इसके लिए जिला प्रशासन और दूसरी एजेंसियों की भी मदद ली जाएगी. मौसम में आए बदलाव के बाद वन क्षेत्र में आग की घटनाओं के आंकड़े कम हो रहे हैं. इसके बाद भी विभाग वनाग्नि की घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों की जानकारी जुटाने के लिए इंटेलिजेंस सिस्टम डेवलप करने पर जोर दे रहा है.
उत्तराखंड वन विभाग के सामने जंगलों की आग इस वक्त की सबसे बड़ी चुनौती है. स्थिति ये है कि वन महकमे से लेकर शासन और पूरी सरकार इस समय इससे निपटने के लिए प्रयास कर रही है. पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य भर में हुई बारिश के कारण आग लगने की घटनाओं में कमी आई है. आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य में केवल 8 आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं. जिसमें कुल 11.75 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इससे पहले जंगलों में आग लगने की घटनाओं का आंकड़ा 40 से 50 के बीच रिकॉर्ड किया जा रहा था.
उत्तराखंड वन विभाग के लिए मानव जनित वनाग्नि की घटनाएं सबसे बड़ी चिंता की बात है. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए विभाग अब वन क्षेत्रों में इंटेलिजेंस सिस्टम को बढ़ाने पर जोर दे रहा है. विभाग ने इसके लिए प्रयास तेज करते हुए वन क्षेत्र में खुफिया तंत्र को मजबूत करने के नए-नए तरीके भी अपनाने शुरू किए हैं. वन्य जीव सुरक्षा के लिए वन विभाग वन क्षेत्र में इंटेलिजेंस को डेवलप करने पर काम करता है, लेकिन अब यही काम जंगलों में आग की घटनाओं पर रोकथाम के लिए भी किया जाएगा.
वन विभाग वैसे तो महकमें के भीतर ही खुफिया तंत्र को विकसित करने के लिए काम कर रहा है लेकिन इसके अलावा विभाग बाकी एजेंसियों की भी मदद लेकर ऐसे लोगों की धर पकड़ या पहचान करने के प्रयास में है जो इन आग की घटनाओं के लिए जिम्मेदार है. माना जाता है कि कई शरारती तत्व जंगलों में आग लगाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. इन्हें चिन्हित करना विभाग के लिए काफी मुश्किल होता है. इसी परेशानी को देखते हुए अब इंटेलिजेंस सिस्टम को बढ़ाने का विचार किया जा रहा है.
उधर प्रदेश में मौसम के बदले मिजाज के बाद वन विभाग की चिंताएं कुछ कम हुई हैं. राज्य में हो रही बारिश के कारण जंगलों में आग की घटनाएं भी कम हुई हैं. रविवार को राज्य भर में केवल 8 घटनाएं ही रिकॉर्ड की गई. जिसमें गढ़वाल मंडल में दो, कुमाऊं मंडल में चार और वन्य जीव क्षेत्र में दो घटनाएं हुई हैं.
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