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चीर बंधन के साथ पहाड़ में शुरू हुई खड़ी होली, होल्यारों पर चढ़ने लगा फाग का रंग, शुरू हुआ गायन

Kumaoni Holi, khadi holi,cheer bandhan in kumaon Holi पहाड़ों में होली का आगाज हो गया है. चीर बंधन के साथ पहाड़ों में होल्यार होली के रंग में रंग गये हैं. चीर बंधन के बाद होल्यार घर घर जाकर खड़ी होली गायन कर रहे हैं.

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चीर बंधन के साथ पहाड़ में शुरू हुई खड़ी होली
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 20, 2024, 3:08 PM IST

Updated : Mar 20, 2024, 7:04 PM IST

चीर बंधन के साथ पहाड़ में शुरू हुई खड़ी होली

हल्द्वानी: कुमाऊं में होली में चीर या निशान बंधन का विशेष महत्व माना जाता है. होलिकाष्टमी के दिन मंदिरों में सार्वजनिक स्थानों पर एकादशी को मुहूर्त देखकर चीर बंधन किया जाता है. चीर बांधने के साथ ही होल्यार घर-घर जाकर खड़ी होली गायन शुरू करते हैं. चीर बंधन के साथ ही होली के गीतों और रंगों से पहाड़ होली के रंग में रंगना शुरू हो गया है.

कुंमाऊ में होली प्रारंभ करने से पहले प्रत्येक घर से एक-एक नए कपड़े के रंग-बिरंगे टुकड़े चीर के रूप में लंबे लट्ठे पर बांधे जाते हैं. उसके बाद राम, कृष्ण शिव पार्वती कैलै बांधी चीर, गणपति बांधी चीर होली गाकर होली का शुभांरभ किया जाता है. कुमाऊं में चीर हरण का भी प्रचलन है. गांव में चीर को दूसरे गांव वालों की पहुंच से बचाने के लिए दिन रात पहरा दिया जाता है. चीर चोरी चले जाने पर अगली होली से गांव की चीर बांधने की परंपरा समाप्त हो जाती है. कुछ गांवों में चीर की जगह लाल रंग के झंडे निशान का भी प्रचलन है.

चीर मंदिरों में होली से पूर्व एकादशी पर खड़ी होली के पहने दिन चीर बांधने का अपना ही महत्व है. इस दिन लोग बांस के लंबे डंडे पर नए कपड़ों की कतरन बांधकर मंदिर में स्थापित करते हैं. जिसके हाद चीर के चारों ओर लोग खड़ी होली गायन करते हैं. घर-घर जाकर खड़ी होली गाते हैं. होलिका दहन के दिन इस चीर को होलिका दहन वाले स्थान पर लाते हैं. बांस में बंधे कपड़ों के कतरन को प्रसाद के रूप में बांटते हैं. जिसे लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर बांधते हैं. मान्यता है कि इससे घर में बुरी शक्तियों का प्रवेश नहीं होता. घर में सुख-शांति बनी रहती है.

पढे़ं-Watch Video: यहां लोगों पर चढ़ा होली का खुमार, बिखेर रहे सुरों की छटा, जुगलबंदी कर रही लोगों को मंत्र-मुग्ध

पढे़ं- Kumaoni Holi: मैदान से पहाड़ तक होली की रौनक, बागेश्वर और हल्द्वानी में होल्यारों ने बांधा समां

चीर बंधन के साथ पहाड़ में शुरू हुई खड़ी होली

हल्द्वानी: कुमाऊं में होली में चीर या निशान बंधन का विशेष महत्व माना जाता है. होलिकाष्टमी के दिन मंदिरों में सार्वजनिक स्थानों पर एकादशी को मुहूर्त देखकर चीर बंधन किया जाता है. चीर बांधने के साथ ही होल्यार घर-घर जाकर खड़ी होली गायन शुरू करते हैं. चीर बंधन के साथ ही होली के गीतों और रंगों से पहाड़ होली के रंग में रंगना शुरू हो गया है.

कुंमाऊ में होली प्रारंभ करने से पहले प्रत्येक घर से एक-एक नए कपड़े के रंग-बिरंगे टुकड़े चीर के रूप में लंबे लट्ठे पर बांधे जाते हैं. उसके बाद राम, कृष्ण शिव पार्वती कैलै बांधी चीर, गणपति बांधी चीर होली गाकर होली का शुभांरभ किया जाता है. कुमाऊं में चीर हरण का भी प्रचलन है. गांव में चीर को दूसरे गांव वालों की पहुंच से बचाने के लिए दिन रात पहरा दिया जाता है. चीर चोरी चले जाने पर अगली होली से गांव की चीर बांधने की परंपरा समाप्त हो जाती है. कुछ गांवों में चीर की जगह लाल रंग के झंडे निशान का भी प्रचलन है.

चीर मंदिरों में होली से पूर्व एकादशी पर खड़ी होली के पहने दिन चीर बांधने का अपना ही महत्व है. इस दिन लोग बांस के लंबे डंडे पर नए कपड़ों की कतरन बांधकर मंदिर में स्थापित करते हैं. जिसके हाद चीर के चारों ओर लोग खड़ी होली गायन करते हैं. घर-घर जाकर खड़ी होली गाते हैं. होलिका दहन के दिन इस चीर को होलिका दहन वाले स्थान पर लाते हैं. बांस में बंधे कपड़ों के कतरन को प्रसाद के रूप में बांटते हैं. जिसे लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर बांधते हैं. मान्यता है कि इससे घर में बुरी शक्तियों का प्रवेश नहीं होता. घर में सुख-शांति बनी रहती है.

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Last Updated : Mar 20, 2024, 7:04 PM IST
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