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प्रवर समिति का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर साधा निशाना, भाजपा ने किया पलटवार

प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है. मामले को लेकर कांग्रेस मुखर है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

civic election uttarakhand
निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस मुखर (Concept Image)

देहरादून: प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर बनी प्रवर समिति का कार्यकाल 1 महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है. इस पर कांग्रेस पार्टी का कहना है कि भाजपा सरकार को निगम चुनाव में अपनी हार का डर साफ नजर आ रहा है. इसी वजह से एक बार फिर से सरकार ने उत्तराखंड में (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन विधेयक 2024 पर गठित प्रवर समिति के कार्यकाल को फिर बढ़ा दिया है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य आंदोलनकारी वीरेंद्र पोखरियाल का कहना है कि सरकार पहले परिसीमन के बहाने तो कभी जातीय जनगणना तो कभी पिछड़े वर्ग के आरक्षण के बहाने निकाय चुनाव को टालती आ रही है. अब एक बार फिर विधानसभा की प्रवर समिति का कार्यकाल 1 महीने और बढ़ाये जाने से यह प्रतीत होता है कि सरकार निकाय चुनाव कराने से पीछे हट रही है. उन्होंने कहा कि देहरादून स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं, लोग अपने वार्डों की समस्याओं से परेशान हैं. लेकिन लगता है कि फिर एक बार चुनावों को टालने का बहाना सरकार तलाश रही है.

वीरेंद्र पोखरियाल के इन आरोपों का भाजपा ने खंडन किया है. भाजपा के राजपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक खजान दास का कहना है कि ओबीसी को लेकर विधायकों ने चिंताएं व्यक्त की है. क्योंकि इसको लेकर जो रैपिड सर्वे किया गया है, उसमें यह सामने आया कि किसको ओबीसी माना जाए. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली या फिर अन्य प्रदेशों से आये लोगों को ओबीसी माना जाए या फिर नहीं माना जाए. लेकिन ओबीसी एक ही राज्य का माना जाएगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश का ओबीसी यहां नहीं माना जाएगा, इसलिए इसको लेकर गहन चिंतन की आवश्यकता है. प्रवर समिति आगे इस पर विचार करेगी और जो ठीक समझेगी उसी के अनुरूप निर्णय लेगी.
पढ़ें-दिसंबर में ही निकाय चुनाव करा सकती है सरकार, प्रवर समिति ने ओबीसी आरक्षण से लिए मांगा समय

देहरादून: प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर बनी प्रवर समिति का कार्यकाल 1 महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है. इस पर कांग्रेस पार्टी का कहना है कि भाजपा सरकार को निगम चुनाव में अपनी हार का डर साफ नजर आ रहा है. इसी वजह से एक बार फिर से सरकार ने उत्तराखंड में (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959) संशोधन विधेयक 2024 पर गठित प्रवर समिति के कार्यकाल को फिर बढ़ा दिया है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य आंदोलनकारी वीरेंद्र पोखरियाल का कहना है कि सरकार पहले परिसीमन के बहाने तो कभी जातीय जनगणना तो कभी पिछड़े वर्ग के आरक्षण के बहाने निकाय चुनाव को टालती आ रही है. अब एक बार फिर विधानसभा की प्रवर समिति का कार्यकाल 1 महीने और बढ़ाये जाने से यह प्रतीत होता है कि सरकार निकाय चुनाव कराने से पीछे हट रही है. उन्होंने कहा कि देहरादून स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं, लोग अपने वार्डों की समस्याओं से परेशान हैं. लेकिन लगता है कि फिर एक बार चुनावों को टालने का बहाना सरकार तलाश रही है.

वीरेंद्र पोखरियाल के इन आरोपों का भाजपा ने खंडन किया है. भाजपा के राजपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक खजान दास का कहना है कि ओबीसी को लेकर विधायकों ने चिंताएं व्यक्त की है. क्योंकि इसको लेकर जो रैपिड सर्वे किया गया है, उसमें यह सामने आया कि किसको ओबीसी माना जाए. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली या फिर अन्य प्रदेशों से आये लोगों को ओबीसी माना जाए या फिर नहीं माना जाए. लेकिन ओबीसी एक ही राज्य का माना जाएगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश का ओबीसी यहां नहीं माना जाएगा, इसलिए इसको लेकर गहन चिंतन की आवश्यकता है. प्रवर समिति आगे इस पर विचार करेगी और जो ठीक समझेगी उसी के अनुरूप निर्णय लेगी.
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