वाराणसी : वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रशांत कुमार के फास्टट्रैक में बुधवार को ज्ञानवापी से जुड़े मूलवाद की सुनवाई टल गई थी. इस प्रकरण में आज परिसर के बाकी बचे हिस्सों के वैज्ञानिक सर्वे को लेकर अहम सुनवाई होनी थी. प्रकरण में ज्ञानवापी मुकदमे से जुड़े वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की तरफ से ज्ञानवापी परिसर के बाकी बचे हिस्सों का भी आर्कियोलॉजिकल सर्वे कराने और सभी चीजें स्पष्ट करने की मांग की गई हैं. हालांकि बार एसोसिएशन की हड़ताल के कारण सुनवाई टल गई है. अब 27 अगस्त को सुनवाई होगी.
साल 1991 का मूल वाद श्री आदिविशेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया के रूप में दर्ज है. इस मामले में हरिहर पांडेय और सोमनाथ व्यास की तरफ से मुकदमा दाखिल किया गया था. बाद में वादमित्र के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी यह पूरा मुकदमा देख रहे थे. अभी भी उन्हीं के द्वारा इस मुकदमे में पैरवी और बहस दोनों की जा रही है. विजय शंकर रस्तोगी ने ज्ञानवापी के बाकी बचे हिस्से के एएसआई सर्वे करने संबंधित अर्जी दाखिल की थी. इस पर बहस पूरी कर ली गई है. अब विपक्षी इस पर अपनी बहस पूरी करेंगे.
वहीं एक दिन पहले वृंदावन के कथा वाचक कौशल किशोर ठाकुर की तरफ से याचिका दाखिल की गई. दावा किया गया कि ज्ञानवापी परिसर उनके पूर्वजों का है. लिहाजा ज्ञानवापी के मूल वाद में उन्हें वादी बनाया जाए. इस पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 23 अगस्त की तिथि निर्धारित की है. सिविल जज सीनियर डिवीजन रितेश अग्रवाल की अदालत में इस मामले को लेकर बुधवार को सुनवाई हुई. इसे मूल वाद के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया गया है.
कथावाचक कौशल किशोर ने वादपत्र में कहा है कि ज्ञानवापी परिसर की सफाई और अन्य कमरों को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी से मुक्त करवारकर हिंदुओं को सौपा जाए. फिलहाल कोर्ट में वाद दाखिल करने वाले कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर को वादियों की ओर से वादमित्र के तौर पर बहस करने की अनुमति दी है.
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