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उन्नाव में डिप्थीरिया का खौफ, 8 बच्चों की मौत, 56 बीमार, परिजन बोले- टीकाकरण में देरी से बिगड़ रहे हालात - Unnao Diphtheria Outbreak

उन्नाव में डिप्थीरिया से का प्रकोप है. कई बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि कई अभी अस्पताल में भर्ती हैं. लोगों ने स्वास्थ्य महकमे पर लापरवाही का आरोप लगाया है. उनके अनुसार टीकाकरण में देरी से बच्चे बीमार पड़ रहे हैं.

कई बच्चों का अस्पताल में चल रहा इलाज.
कई बच्चों का अस्पताल में चल रहा इलाज. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 1, 2024, 9:59 AM IST

उन्नाव में डिप्थीरिया से कई बच्चे बीमार हैं. (Video Credit; ETV Bharat)

उन्नाव : जिले में डिप्थीरिया (गलाघोंटू ) ने पैर पसार लिए हैं. इस बीमारी से अब तक 8 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं 56 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इनमें से कुछ के स्वास्थ्य में सुधार होने पर उन्हें घर भेज दिया गया. स्वास्थ्य विभाग लगातार जागरूकता अभियान चलाकर वैक्सिनेशन करवा रहा है. हालांकि अभिभावक 5 वर्ष तक के बच्चों का समय से टीकाकरण न कराने की बात कह रहे हैं. उनके अनुसार इसी लापरवाही के कारण ज्यादातर बच्चों की तबीयत बिगड़ी.

पांच वर्ष से अधिक आयु वाले बच्चों को डिप्थीरिया की रोकथाम के लिए लगने वाले डीपीटी टीकाकरण में ब्लॉक स्तर पर हुई लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के गले की फांस बनती जा रही है. असोहा ब्लाक क्षेत्र में मौत और मरीज बढ़ने के पीछे का कारण लोग टीकाकरण में लापरवाही बता रहे हैं. कई ब्लॉक तो ऐसे हैं जिन्होंने लक्ष्य के सापेक्ष टीकाकरण भी नहीं किया है.

एएनएम को किया निलंबित : असोहा ब्लाक में डिप्थीरिया बीमारी फैलने के बाद लापरवाही सामने आने पर एएनएम को निलंबित भी कर दिया गया है. अभी भी कई ब्लॉक ऐसे हैं जो लक्ष्य से काफी पीछे हैं. 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के लिए 5 वर्ष से अधिक उम्र वाले बच्चों को डिप्थीरिया रोकने वाला टीका डीपीटी लगाने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया था .प्रतिरक्षण अधिकारी डायरेक्टर डॉक्टर नरेंद्र सिंह के अनुसार 1 वर्ष के लिए बच्चों के टीकाकरण की जो संख्या तय की गई है, उसकी तुलना में आठ प्रतिशत बच्चों का ही प्रतिमाह टीकाकरण हो रहा है.

टीकाकरण का लक्ष्य अभी नहीं हुआ पूरा : आंकड़ों के अनुसार गुजरे जुलाई माह तक सभी ब्लॉकों में औसतन 32% टीकाकरण होना चाहिए लेकिन सुमेरपुर में 18.3, फतेहपुर 84 में 18.81, उन्नाव शहर में 19.40, हसनगंज में 21.41,अचलगंज में 22.31, नवाबगंज में 22.48, प्रतिशत बच्चों का ही टीकाकरण किए जाने से यह ब्लॉक लक्ष्य से काफी पीछे हैं जबकि बिछिया 31.01, सिकंदरपुर सिरोसी 31.53,हिलौली 32.35 और मियागंज 33.65 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने में सफल रहे हैं.

असोहा में सबसे ज्यादा मौतें : असोहा के सहरावां ग्राम पंचायत के मजरा नवाज़ खेड़ा,दरियाई खेड़ा सहरावा आदि में 20 दिन से लगातार मौतें हो रही हैं. नए मरीज भी मिल रहे हैं. इसके बाद सक्रिय हुए स्वास्थ्य विभाग व राज्य सर्विलांस तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीमों ने सहरावा और उसके मजरों में कैंप किया है तो यह खुलकर सामने आया है कि जो बच्चे बीमार मिले हैं या मृत्यु हुई है उनमें 70% को डीपीटी का टीका ही नहीं लगा था.

सीएमओ डॉक्टर सत्य प्रकाश ने सहरावा की एएनएम को निलंबित कर दिया है. जनपद में अब तक कुल 56 मरीज इस बीमारी से पीड़ित मिल चुके हैं. 8 बच्चों की इस बीमारी से मौत भी हो चुकी है. जिले के कई ब्लॉक क्षेत्र में फैली डिप्थीरिया से पिछले 4 वर्ष में हुई मौतों और मरीज मिलने का रिकार्ड टूट गया है. वर्ष 2020 से 2023 के मध्य तीन से अधिक मौतें कभी नहीं हुई. जबकि वर्ष 2024 मेंआठ मौते हो चुकी हैं. नवाबगंज सिकंदरपुर करण अचलगंज, पुरवा,गंज मुरादाबाद आदि क्षेत्र में भी मरीज मिल रहे हैं.
असोहा में डीपीटी का टीका लगाने का लक्ष्य 3132 था जबकि टीकाकरण 932 का हुआ.

परिजन बोले- टीका न लगने के बीमार हुए बच्चे : जिला अस्पताल में बने ट्रामा सेंटर में डिप्थीरिया रोग से पीड़ित बच्चों को भर्ती करने के लिए एक वार्ड बनाया गया है. इसमें बच्चों को भर्ती किया जा रहा है. वार्ड में अबतक 57 मरीज भर्ती किए गए. 7 को अन्य अस्पताल में रेफर कर दिया गया. वहीं इसी वार्ड में भर्ती एक बच्चों के परिजनों ने बताया कि उनके बेटे को डीपीटी का टीका ही नहीं लगाया गया है. कुछ बच्चों को टीका तब लगाया गया है जब इस बीमारी ने अपने पैर पसार लिए थे.

गलाघोंटू बीमारी से पिछले पांच वर्षों में मिले इतने मरीज : साल 2020 में डिप्थीरिया से 3 की मौत हुई थी, जबकि 7 मरीज मिले थे. साल 2021 में किसी की मौत नहीं हुई, मरीजों की संख्या 7 ही थी. साल 2022 में 3 की मौत हुई जबकि 16 मरीज मिले थे. साल 2023 में 2 लोगों की मौत हुई. इस साल मरीजों की संख्या 16 थी. साल 2024 में 31 अगस्त तक 8 की मौत हो चुकी है. जबकि मरीजों की संख्या 57 है.

मीडिया से बातचीत में उन्नाव जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रियाज अली मिर्जा ने बताया कि उनके अस्पताल में 13 बच्चे डिप्थीरिया से पीड़ित भर्ती हैं. अभी तक 7 मरीजों को रेफर किया चा चुका है. जबकि अस्पताल आए अन्य बच्चों को स्वास्थ्य में सुधार होने पर घर भेजा जा चुका है.

क्या है डिप्थीरिया : डिप्थीरिया संक्रामक रोग है. यह कॉरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया से फैलता है. यह टॉन्सिल, गले, नाक, त्वचा पर अपना प्रभाव डालता है. 5 साल के कम उम्र के बच्चों में इसका खतरा ज्यादा होता है. कई मामलों में 60 साल के अधिक उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आ जाते हैं.

इलाज : इस बीमारी के होने पर डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन समेत अन्य दवाएं दी जाती हैं. इस बीमारी से पीड़ित होने पर अन्य के संक्रमित होने का खतरा रहता है. ऐसे में परिवार से रोगी को कुछ दिनों के लिए अलगाव की सलाह दी जाती है. बीमारी गंभीर हो जाने पर छह सप्ताह से अधिक समय तक बेड रेस्ट करना पड़ सकता है.

कैसे फैलती है यह बीमारी : डिप्थीरिया बहुत संक्रामक रोग है. संक्रमित लोगों के खांसने या छींकने पर यह बीमारी फैल सकती है. जिन बच्चों का टीकाकरण न हुआ हो उनमें बीमारी फैलने का खतरा ज्यादा रहता है.

ये हैं बीमारी के लक्षण : इसमें गले में भारीपन लगता है. खराश रहती है. खाना या कोई अन्य चीज निगलने में परेशानी होने लगती है. बुखार आ सकता है. कमजोरी महसूस होने लगती है.

यह भी पढ़ें : यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा, 2 लाख पुलिसकर्मियों ने की निगरानी, 16 हजार CCTV कैमरों ने कैद की हर गतिविधि, एक पद के लिए 53 दावेदार

उन्नाव में डिप्थीरिया से कई बच्चे बीमार हैं. (Video Credit; ETV Bharat)

उन्नाव : जिले में डिप्थीरिया (गलाघोंटू ) ने पैर पसार लिए हैं. इस बीमारी से अब तक 8 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं 56 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इनमें से कुछ के स्वास्थ्य में सुधार होने पर उन्हें घर भेज दिया गया. स्वास्थ्य विभाग लगातार जागरूकता अभियान चलाकर वैक्सिनेशन करवा रहा है. हालांकि अभिभावक 5 वर्ष तक के बच्चों का समय से टीकाकरण न कराने की बात कह रहे हैं. उनके अनुसार इसी लापरवाही के कारण ज्यादातर बच्चों की तबीयत बिगड़ी.

पांच वर्ष से अधिक आयु वाले बच्चों को डिप्थीरिया की रोकथाम के लिए लगने वाले डीपीटी टीकाकरण में ब्लॉक स्तर पर हुई लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के गले की फांस बनती जा रही है. असोहा ब्लाक क्षेत्र में मौत और मरीज बढ़ने के पीछे का कारण लोग टीकाकरण में लापरवाही बता रहे हैं. कई ब्लॉक तो ऐसे हैं जिन्होंने लक्ष्य के सापेक्ष टीकाकरण भी नहीं किया है.

एएनएम को किया निलंबित : असोहा ब्लाक में डिप्थीरिया बीमारी फैलने के बाद लापरवाही सामने आने पर एएनएम को निलंबित भी कर दिया गया है. अभी भी कई ब्लॉक ऐसे हैं जो लक्ष्य से काफी पीछे हैं. 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के लिए 5 वर्ष से अधिक उम्र वाले बच्चों को डिप्थीरिया रोकने वाला टीका डीपीटी लगाने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया था .प्रतिरक्षण अधिकारी डायरेक्टर डॉक्टर नरेंद्र सिंह के अनुसार 1 वर्ष के लिए बच्चों के टीकाकरण की जो संख्या तय की गई है, उसकी तुलना में आठ प्रतिशत बच्चों का ही प्रतिमाह टीकाकरण हो रहा है.

टीकाकरण का लक्ष्य अभी नहीं हुआ पूरा : आंकड़ों के अनुसार गुजरे जुलाई माह तक सभी ब्लॉकों में औसतन 32% टीकाकरण होना चाहिए लेकिन सुमेरपुर में 18.3, फतेहपुर 84 में 18.81, उन्नाव शहर में 19.40, हसनगंज में 21.41,अचलगंज में 22.31, नवाबगंज में 22.48, प्रतिशत बच्चों का ही टीकाकरण किए जाने से यह ब्लॉक लक्ष्य से काफी पीछे हैं जबकि बिछिया 31.01, सिकंदरपुर सिरोसी 31.53,हिलौली 32.35 और मियागंज 33.65 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने में सफल रहे हैं.

असोहा में सबसे ज्यादा मौतें : असोहा के सहरावां ग्राम पंचायत के मजरा नवाज़ खेड़ा,दरियाई खेड़ा सहरावा आदि में 20 दिन से लगातार मौतें हो रही हैं. नए मरीज भी मिल रहे हैं. इसके बाद सक्रिय हुए स्वास्थ्य विभाग व राज्य सर्विलांस तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीमों ने सहरावा और उसके मजरों में कैंप किया है तो यह खुलकर सामने आया है कि जो बच्चे बीमार मिले हैं या मृत्यु हुई है उनमें 70% को डीपीटी का टीका ही नहीं लगा था.

सीएमओ डॉक्टर सत्य प्रकाश ने सहरावा की एएनएम को निलंबित कर दिया है. जनपद में अब तक कुल 56 मरीज इस बीमारी से पीड़ित मिल चुके हैं. 8 बच्चों की इस बीमारी से मौत भी हो चुकी है. जिले के कई ब्लॉक क्षेत्र में फैली डिप्थीरिया से पिछले 4 वर्ष में हुई मौतों और मरीज मिलने का रिकार्ड टूट गया है. वर्ष 2020 से 2023 के मध्य तीन से अधिक मौतें कभी नहीं हुई. जबकि वर्ष 2024 मेंआठ मौते हो चुकी हैं. नवाबगंज सिकंदरपुर करण अचलगंज, पुरवा,गंज मुरादाबाद आदि क्षेत्र में भी मरीज मिल रहे हैं.
असोहा में डीपीटी का टीका लगाने का लक्ष्य 3132 था जबकि टीकाकरण 932 का हुआ.

परिजन बोले- टीका न लगने के बीमार हुए बच्चे : जिला अस्पताल में बने ट्रामा सेंटर में डिप्थीरिया रोग से पीड़ित बच्चों को भर्ती करने के लिए एक वार्ड बनाया गया है. इसमें बच्चों को भर्ती किया जा रहा है. वार्ड में अबतक 57 मरीज भर्ती किए गए. 7 को अन्य अस्पताल में रेफर कर दिया गया. वहीं इसी वार्ड में भर्ती एक बच्चों के परिजनों ने बताया कि उनके बेटे को डीपीटी का टीका ही नहीं लगाया गया है. कुछ बच्चों को टीका तब लगाया गया है जब इस बीमारी ने अपने पैर पसार लिए थे.

गलाघोंटू बीमारी से पिछले पांच वर्षों में मिले इतने मरीज : साल 2020 में डिप्थीरिया से 3 की मौत हुई थी, जबकि 7 मरीज मिले थे. साल 2021 में किसी की मौत नहीं हुई, मरीजों की संख्या 7 ही थी. साल 2022 में 3 की मौत हुई जबकि 16 मरीज मिले थे. साल 2023 में 2 लोगों की मौत हुई. इस साल मरीजों की संख्या 16 थी. साल 2024 में 31 अगस्त तक 8 की मौत हो चुकी है. जबकि मरीजों की संख्या 57 है.

मीडिया से बातचीत में उन्नाव जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रियाज अली मिर्जा ने बताया कि उनके अस्पताल में 13 बच्चे डिप्थीरिया से पीड़ित भर्ती हैं. अभी तक 7 मरीजों को रेफर किया चा चुका है. जबकि अस्पताल आए अन्य बच्चों को स्वास्थ्य में सुधार होने पर घर भेजा जा चुका है.

क्या है डिप्थीरिया : डिप्थीरिया संक्रामक रोग है. यह कॉरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया से फैलता है. यह टॉन्सिल, गले, नाक, त्वचा पर अपना प्रभाव डालता है. 5 साल के कम उम्र के बच्चों में इसका खतरा ज्यादा होता है. कई मामलों में 60 साल के अधिक उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आ जाते हैं.

इलाज : इस बीमारी के होने पर डिप्थीरिया एंटीटॉक्सिन समेत अन्य दवाएं दी जाती हैं. इस बीमारी से पीड़ित होने पर अन्य के संक्रमित होने का खतरा रहता है. ऐसे में परिवार से रोगी को कुछ दिनों के लिए अलगाव की सलाह दी जाती है. बीमारी गंभीर हो जाने पर छह सप्ताह से अधिक समय तक बेड रेस्ट करना पड़ सकता है.

कैसे फैलती है यह बीमारी : डिप्थीरिया बहुत संक्रामक रोग है. संक्रमित लोगों के खांसने या छींकने पर यह बीमारी फैल सकती है. जिन बच्चों का टीकाकरण न हुआ हो उनमें बीमारी फैलने का खतरा ज्यादा रहता है.

ये हैं बीमारी के लक्षण : इसमें गले में भारीपन लगता है. खराश रहती है. खाना या कोई अन्य चीज निगलने में परेशानी होने लगती है. बुखार आ सकता है. कमजोरी महसूस होने लगती है.

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