गोरखपुर : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वर्ष 2022 में गोरखपुर को एजुकेशन का हब बनने की भविष्यवाणी की थी, जो समय के साथ साकार होती दिखाई दे रही है. इस साल एमबीबीएस की 300 नई सीटों पर दाखिला शुरू होने जा रहा है. साथ ही गोरखपुर मंडल में एमबीबीएस की 675 सीटों पर पढ़ाई शुरू हो जाएगी. योगी सरकार और एमसीआई की वजह से इस मंडल में सात साल में एमबीबीएस की करीब सात गुना सीटें बढ़ गई हैं.
गोरखपुर समेत आसपास के कई मंडलों, सीमावर्ती बिहार और नेपाल तक के लोगों के इलाज के लिए एकमात्र बीआरडी मेडिकल काॅलेज ही था. इस पूरे अंचल में एमबीबीएस की पढ़ाई का भी एकमात्र केंद्र यही था. अव्यवस्था के चलते बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की मान्यता पर तलवार लटकती रही, लेकिन योगी सरकार की पहल के बाद गोरखपुर मंडल चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा के लिहाज से रोल मॉडल बनता जा रहा है. फिलवक्त गोरखपुर में एम्स, आयुष मेडिकल कॉलेज से लेकर निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज खोलने की कवायद चल रही है.
गोरखपुर मंडल के चार जिलों में पांच मेडिकल कॉलेज और विश्व स्तरीय एम्स भी है. लंबे समय तक यहां के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सौ सीटों पर पढ़ाई होती थी. इसमें 125 सीटों की वृद्धि गोरखपुर में एम्स खुलने के साथ हुई. 100 सीटों का इजाफा देवरिया में महर्षि देवरहा बाबा राज्य स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज की स्थापना से हुई. इस साल से तीन नए मेडिकल कॉलेजों में कुल 300 एमबीबीएस सीटों पर दाखिला और पढ़ाई होगी.
इनमें कुशीनगर में राज्य स्वायत्तशासी मेडिकल कॉलेज को 100, महराजगंज में पीपीपी मॉडल पर संचालित केएमसी मेडिकल कॉलेज को 150 और निजी क्षेत्र के महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के अंतर्गत संचालित श्रीगोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में एमबीबीएस की 50 सीटों के लिए एनएमसी मिल गई है.
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय को आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में बीएएमएस की सौ सीटों के लिए पहले से ही मान्यता प्राप्त है. गोरखपुर में इस साल के अंत तक राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य भी पूरा हो जाने की उम्मीद है. आयुष विश्वविद्यालय के पूर्णतः क्रियाशील होने के बाद आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी आदि चिकित्सा पद्धतियों से इलाज व इन पद्धतियों में शिक्षा का भी प्रसार और विस्तार होगा.