लखनऊ : पीजीआई की डॉक्टर रुचिका टंडन को 6 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर तीन करोड़ की ठगी की गई. इसके साथ ही अलग-अलग चार राज्यों के साथ खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए. इसके बाद उन रुपयों से अपराधियों ने क्रिप्टो करेंसी खरीदी. यह खुलासा लखनऊ साइबर पुलिस की जांच में हुआ. इतना ही नहीं, साइबर पुलिस के मुताबिक, यह पूरी ठगी दुबई में बैठे साइबर अपराधियों ने की.
साइबर पुलिस के मुताबिक, बीते दिनों पीजीआई की डॉक्टर कृष्णा नगर निवासी रुचिका टंडन से की गई ठगी की रकम का बड़ा हिस्सा गुजरात के सूरत स्थित बैंक खाते में ट्रांसफर किया गया है. बाकी के रुपये राजस्थान, दिल्ली और बिहार के बैंक खातों में ट्रांसफर हुई है. जिसके बाद उन रुपयों को एक अन्य खाते में मौजूद 27.88 लाख फ्रीज कर दिए गए हैं.
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दरअसल, डॉ. रुचिका टंडन के मुताबिक 1 से आठ अगस्त तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट रखा गया. जालसाजों ने करीब 7 खातों में दो करोड़ 81 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए थे. पीड़ित डॉ. रुचिका के मुताबिक, जालसाजों ने उन्हें कई कागज और आईडी कार्ड दिखाए थे. इसकी वजह से उन्हें अपराधियों के जाल में फंसने का शक ही नहीं हुआ. रुचिका ने पांच खातों में कराई गई एफडी भी तुड़वाई थी. उन्होंने बताया कि कथित सीबीआई अधिकारी ने दावा किया था, कि वह लोग खाते में जमा रुपये के स्रोत की जांच के बाद रुपये लौटा देंगे.
सीबीआई अफसर से डर कर स्मार्ट फोन खरीदा : डॉ. रुचिका ने बताया कि जालसाज की बातों से वो इतना ज्यादा डर गई थी कि उन्हें पता ही नहीं चला कि वो क्या करती गई. यहां तक की वो कीपैड वाला मोबाइल इस्तमाल करती थी, लेकिन, जब सीबीआई अफसर ने स्काइप डाउनलोड करने के लिए कहा तो उन्होंने एक नया मोबाइल भी बाजार से जाकर खरीदा था. मोबाइल लाकर उसमें अपना सिम लगाया और वॉट्सएप के साथ स्काइप ऐप भी डाउनलोड किया. इसके बाद वाट्सएप पर भेजे गए लिंक खोल कर उनके बताए खातों में 2.81 करोड़ ट्रांसफर कर दिए.