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पूर्वांचल में बीजेपी की हार क्या लगाएगी विधानसभा की 50 सीटों पर डेंट, देखें रिपोर्ट - BJP defeat in Purvanchal

यदि आज के परिवेश में विधानसभा चुनाव होते हैं तो निश्चित रूप से बीजेपी को पूर्वांचल में लगभग 50 विधानसभा सीटों पर डेंट लग सकता है, जिसमें बनारस की भी कुछ सीट शामिल हो सकती हैं.

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वाराणसी में पीएम मोदी का फाइल फोटो. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 12, 2024, 10:35 AM IST

पूर्वांचल की सीटों पर भाजपा की हार को लेकर संवाददाता प्रतिमा तिवारी की खास रिपोर्ट. (वीडियो क्रेडिट; Etv Bharat)

वाराणसी: लोकसभा चुनाव के परिणाम में पूर्वांचल में बीजेपी को गहरा घाव मिला है. पूर्वांचल की 12 लोकसभा सीटों में 9 सीटों पर बीजेपी को करारी हार मिली है. बड़ी बात यह है कि 9 सीटों के दर्द के साथ अब बीजेपी को लगभग 50 विधानसभा सीटों के हाथ से निकलने का डर भी सता रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यदि आज के परिवेश में विधानसभा चुनाव होते हैं तो निश्चित रूप से बीजेपी को पूर्वांचल में लगभग 50 विधानसभा सीटों पर डेंट लग सकता है, जिसमें बनारस की भी कुछ सीट शामिल हो सकती हैं.

एक लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र जुड़े होते हैं. इस हिसाब से पूर्वांचल की लगभग 12 लोकसभा सीटों जिसमें वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, गाजीपुर, भदोही, बलिया, मऊ, रॉबर्ट्सगंज, आजमगढ़, लालगंज, जौनपुर, मछली शहर, सलेमपुर शामिल हैं. जिनमें लगभग 65 विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

2022 के विधानसभा में बीजेपी ने यहां कुल 40 सीटें जीती थीं. हालांकि आजमगढ़, गाजीपुर की 17 सीटों पर पार्टी को करारी हार का भी सामना करना पड़ा था. ऐसे में इस बार रॉबर्ट्सगंज, जौनपुर, बलिया, चंदौली और मऊ में बीजेपी की हार ने विधानसभा चुनाव में मजबूत जीत के दावे को लेकर चिंता और भी ज्यादा बढ़ा दी है. इस बार बीजेपी के सामने विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना भी एक बड़ी चुनौती है.

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. विजय नारायण कहते हैं कि यदि लोकसभा चुनाव के पहले 2022 विधानसभा चुनाव के परिणाम देखें तो पूर्वांचल में आजमगढ़, गाजीपुर को छोड़ दें तो बीजेपी का ठीक प्रदर्शन था. ज्यादातर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा या उसके सहयोगी दल के जो प्रत्याशी हैं उनमें सेकेंड फाइटर समाजवादी पार्टी रही है. ऐसे में यदि वर्तमान समय में चुनाव होते हैं तो निश्चित रूप से समाजवादी पार्टी की वर्तमान हावी छवि बीजेपी का बड़ा नुकसान कर सकती है.

ऐसे में बीजेपी को मजबूती के साथ रणनीति बनानी होगी. हालांकि, अभी विधानसभा चुनाव को 2 साल है. राजनीतिक परिवेश समय-समय पर बदलता रहता है. लेकिन निश्चित रूप से अभी से ही बीजेपी को इस ओर काम करने की जरूरत है, ताकि लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान को वह विधानसभा चुनाव मजबूती के साथ रिकवर कर सकें.

पूर्वांचल में धर्म और जाति होती है प्रबल निर्णायक: पूर्वांचल में सामाजिक ताना-बाना कास्ट सिस्टम पर शोध करने वाले महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व भाग अध्यक्ष प्रोफेसर पांडे कहते हैं कि, पूर्वांचल में हमेशा से धर्म व जाति का मुद्दा सबसे ज्यादा प्रमुख रहा है. यहां जब-जब धार्मिक मुद्दे रहे हैं, तब तब बीजेपी एक अच्छे मार्जिन से जीती है. लेकिन इस बार राम मंदिर का मुद्दा उतना प्रबल नहीं हुआ, जितना जाति गोलबंदी काम की रही.

यही वजह है कि इस बार समाजवादी पार्टी के खाते में बड़ी सीट आई हैं, जो विधानसभा में उनके लिए मददगार साबित हो सकते हैं. वहीं वाराणसी के परिप्रेक्ष्य में वह कहते हैं कि, बनारस में भी चंदौली में तीन विधानसभा सीट शामिल हैं, जहां इस बार समाजवादी पार्टी के सांसद चुने गए हैं.

इन तीन सीटों के यदि जातीय समीकरण को देखें तो, समाजवादी पार्टी वर्तमान परिदृश्य में मजबूत है. इसके साथ ही शहर के भीतरी हिस्से में उत्तरी और दक्षिणी को देखे तो यहां भी इंडिया गठबंधन मजबूत है. ऐसे में इन बीजेपी के गढ़ में भी सेंधमारी की संभावना अभी से नजर आ रही है.

यदि 2009 से पूर्वांचल में लोकसभा चुनाव के परिणाम देखें तो बीजेपी को दो, सपा को 6 और बसपा को चार सीट मिली थी. 2014 के मोदी लहर में बीजेपी के लिए यह आंकड़ा बढ़ा. बीजेपी को 10 सपा को 1 और अपना दल को एक सीट मिली. 2019 में फिर ग्राफ बदला बीजेपी के लिए आंकड़ा घटा, पार्टी को पांच, सपा को एक, बसपा को चार और अपना दल के खाते में 2 सीटें आईं.

हालांकि उपचुनाव में बीजेपी ने दो और सीटें भी जीती थीं. लेकिन, 2024 में फिर आंकड़ें बीजेपी के खिलाफ हो गए. भगवा रंग के गढ़ में चमक लाल रंग की दिखाई दी. इस बार सपा के हाथ 9 सीटें आईं. वहीं बीजेपी को दो अपना दल को एक सीट से संतोष करना पड़ा, बसपा का तो खाता भी नहीं खुला.

वाराणसी में विधानसभावार वोट के आंकड़े: वाराणसी लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें कैन'टी उत्तरी रोहनिया सेवापुरी और दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र शामिल है. इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे कम वोट दक्षिणी विधानसभा सीट से मिले. यहां से महज 97878 वोट ही मिले थे, जबकि वहीं अजय राय को 81732 वोट मिले. जबकि यह बीजेपी का सबसे महत्वपूर्ण गढ़ माना जाता है.

यहां पर वर्तमान में भाजपा विधायक भी हैं और यही वो इलाका है जहां पर काशी विश्वनाथ धाम बीजेपी सरकार ने तैयार कराया है. वहीं सबसे ज्यादा वोट कैंट विधानसभा क्षेत्र से मिले. यहां से बीजेपी को 1,45,922 वोट मिले हैं. इसके साथ उत्तरी में 1,31,241 सेवापुरी से 1,88,090 वोट मिले हैं. इसके साथ ही वाराणसी में चंदौली लोकसभा की भी तीन विधानसभा सीट आती हैं. जिसमें पिंडरा, अजगरा और शिवपुर विधानसभा सीट शामिल है. इस बार चंदौली से सपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह की जीत हुई है.

ये भी पढ़ेंः BJP के 218 MLA लोकसभा में नहीं जिता पाए अपना क्षेत्र, विधानसभा चुनाव आज हों तो चली जाए सीएम योगी की कुर्सी?

पूर्वांचल की सीटों पर भाजपा की हार को लेकर संवाददाता प्रतिमा तिवारी की खास रिपोर्ट. (वीडियो क्रेडिट; Etv Bharat)

वाराणसी: लोकसभा चुनाव के परिणाम में पूर्वांचल में बीजेपी को गहरा घाव मिला है. पूर्वांचल की 12 लोकसभा सीटों में 9 सीटों पर बीजेपी को करारी हार मिली है. बड़ी बात यह है कि 9 सीटों के दर्द के साथ अब बीजेपी को लगभग 50 विधानसभा सीटों के हाथ से निकलने का डर भी सता रहा है.

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यदि आज के परिवेश में विधानसभा चुनाव होते हैं तो निश्चित रूप से बीजेपी को पूर्वांचल में लगभग 50 विधानसभा सीटों पर डेंट लग सकता है, जिसमें बनारस की भी कुछ सीट शामिल हो सकती हैं.

एक लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र जुड़े होते हैं. इस हिसाब से पूर्वांचल की लगभग 12 लोकसभा सीटों जिसमें वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, गाजीपुर, भदोही, बलिया, मऊ, रॉबर्ट्सगंज, आजमगढ़, लालगंज, जौनपुर, मछली शहर, सलेमपुर शामिल हैं. जिनमें लगभग 65 विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

2022 के विधानसभा में बीजेपी ने यहां कुल 40 सीटें जीती थीं. हालांकि आजमगढ़, गाजीपुर की 17 सीटों पर पार्टी को करारी हार का भी सामना करना पड़ा था. ऐसे में इस बार रॉबर्ट्सगंज, जौनपुर, बलिया, चंदौली और मऊ में बीजेपी की हार ने विधानसभा चुनाव में मजबूत जीत के दावे को लेकर चिंता और भी ज्यादा बढ़ा दी है. इस बार बीजेपी के सामने विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना भी एक बड़ी चुनौती है.

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. विजय नारायण कहते हैं कि यदि लोकसभा चुनाव के पहले 2022 विधानसभा चुनाव के परिणाम देखें तो पूर्वांचल में आजमगढ़, गाजीपुर को छोड़ दें तो बीजेपी का ठीक प्रदर्शन था. ज्यादातर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा या उसके सहयोगी दल के जो प्रत्याशी हैं उनमें सेकेंड फाइटर समाजवादी पार्टी रही है. ऐसे में यदि वर्तमान समय में चुनाव होते हैं तो निश्चित रूप से समाजवादी पार्टी की वर्तमान हावी छवि बीजेपी का बड़ा नुकसान कर सकती है.

ऐसे में बीजेपी को मजबूती के साथ रणनीति बनानी होगी. हालांकि, अभी विधानसभा चुनाव को 2 साल है. राजनीतिक परिवेश समय-समय पर बदलता रहता है. लेकिन निश्चित रूप से अभी से ही बीजेपी को इस ओर काम करने की जरूरत है, ताकि लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान को वह विधानसभा चुनाव मजबूती के साथ रिकवर कर सकें.

पूर्वांचल में धर्म और जाति होती है प्रबल निर्णायक: पूर्वांचल में सामाजिक ताना-बाना कास्ट सिस्टम पर शोध करने वाले महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व भाग अध्यक्ष प्रोफेसर पांडे कहते हैं कि, पूर्वांचल में हमेशा से धर्म व जाति का मुद्दा सबसे ज्यादा प्रमुख रहा है. यहां जब-जब धार्मिक मुद्दे रहे हैं, तब तब बीजेपी एक अच्छे मार्जिन से जीती है. लेकिन इस बार राम मंदिर का मुद्दा उतना प्रबल नहीं हुआ, जितना जाति गोलबंदी काम की रही.

यही वजह है कि इस बार समाजवादी पार्टी के खाते में बड़ी सीट आई हैं, जो विधानसभा में उनके लिए मददगार साबित हो सकते हैं. वहीं वाराणसी के परिप्रेक्ष्य में वह कहते हैं कि, बनारस में भी चंदौली में तीन विधानसभा सीट शामिल हैं, जहां इस बार समाजवादी पार्टी के सांसद चुने गए हैं.

इन तीन सीटों के यदि जातीय समीकरण को देखें तो, समाजवादी पार्टी वर्तमान परिदृश्य में मजबूत है. इसके साथ ही शहर के भीतरी हिस्से में उत्तरी और दक्षिणी को देखे तो यहां भी इंडिया गठबंधन मजबूत है. ऐसे में इन बीजेपी के गढ़ में भी सेंधमारी की संभावना अभी से नजर आ रही है.

यदि 2009 से पूर्वांचल में लोकसभा चुनाव के परिणाम देखें तो बीजेपी को दो, सपा को 6 और बसपा को चार सीट मिली थी. 2014 के मोदी लहर में बीजेपी के लिए यह आंकड़ा बढ़ा. बीजेपी को 10 सपा को 1 और अपना दल को एक सीट मिली. 2019 में फिर ग्राफ बदला बीजेपी के लिए आंकड़ा घटा, पार्टी को पांच, सपा को एक, बसपा को चार और अपना दल के खाते में 2 सीटें आईं.

हालांकि उपचुनाव में बीजेपी ने दो और सीटें भी जीती थीं. लेकिन, 2024 में फिर आंकड़ें बीजेपी के खिलाफ हो गए. भगवा रंग के गढ़ में चमक लाल रंग की दिखाई दी. इस बार सपा के हाथ 9 सीटें आईं. वहीं बीजेपी को दो अपना दल को एक सीट से संतोष करना पड़ा, बसपा का तो खाता भी नहीं खुला.

वाराणसी में विधानसभावार वोट के आंकड़े: वाराणसी लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें कैन'टी उत्तरी रोहनिया सेवापुरी और दक्षिणी विधानसभा क्षेत्र शामिल है. इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे कम वोट दक्षिणी विधानसभा सीट से मिले. यहां से महज 97878 वोट ही मिले थे, जबकि वहीं अजय राय को 81732 वोट मिले. जबकि यह बीजेपी का सबसे महत्वपूर्ण गढ़ माना जाता है.

यहां पर वर्तमान में भाजपा विधायक भी हैं और यही वो इलाका है जहां पर काशी विश्वनाथ धाम बीजेपी सरकार ने तैयार कराया है. वहीं सबसे ज्यादा वोट कैंट विधानसभा क्षेत्र से मिले. यहां से बीजेपी को 1,45,922 वोट मिले हैं. इसके साथ उत्तरी में 1,31,241 सेवापुरी से 1,88,090 वोट मिले हैं. इसके साथ ही वाराणसी में चंदौली लोकसभा की भी तीन विधानसभा सीट आती हैं. जिसमें पिंडरा, अजगरा और शिवपुर विधानसभा सीट शामिल है. इस बार चंदौली से सपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह की जीत हुई है.

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