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जानिए कितना खतरनाक है यूटराइन कैंसर? इस ट्रिक से करें सफल इलाज - uterine cancer is dangerous

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 14, 2024, 5:29 PM IST

यूटराइन कैंसर यानी कि गर्भाशय का कैंसर काफी खतरनाक होता है. इसका समय रहते इलाज हो जाए तो ठीक है. वरना ये जानलेवा भी हो सकता है. इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ से बातचीत की.

UTERINE CANCER
यूटराइन कैंसर (ETV Bharat)
जानिए कितना खतरनाक है यूटराइन कैंसर (ETV Bharat)

रायपुर: यूटराइन या गर्भाशय का कैंसर उस कैंसर को कहा जाता है, जो कि बच्चेदानी में होता है. गर्भाशय का कैंसर दो प्रकार का होता है, पहला एंडोमेट्रियल कैंसर और दूसरा सार्कोमा कैंसर कहलाता है. गर्भाशय का कैंसर कितना खतरनाक हो सकता है? किस उम्र की महिलाओं में यह देखने को मिलता है? इस दौरान कौन-कौन से लक्षण दिखाई पड़ते हैं? गर्भाशय का कैंसर होने पर इसके बचाव और इलाज कैसे किए जाए? इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर साबरी सक्सेना से बातचीत की.

जानिए क्या कहती हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने कहा, "गर्भाशय का कैंसर दो प्रकार का होता है, जिसमें पहला एंडोमेट्रियल कैंसर और दूसरा सार्कोमा कैंसर कहलाता है. गर्भाशय का कैंसर महिलाओं में 40 से 50 वर्ष के आसपास होता है. गर्भाशय के कैंसर में प्रमुख लक्षणों में माहवारी के दिनों में खून का ज्यादा आना या ज्यादा दिनों तक ब्लीडिंग होना या कम दिनों में अधिक ब्लीडिंग होना है. इस तरह के लक्षणों के अलावा महिलाओं में मेनोपॉज होने के बाद भी थोड़ा बहुत भी ब्लड आता है, तो इसको नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. मेनोपॉज होने के बाद एक या दो बूंद खून भी आता है तो ऐसे में डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. कई बार यही एक मात्र लक्षण गर्भाशय के कैंसर का होता है. पीरियड्स आने के पहले ब्लीडिंग होना, रिलेशन बनाने के बाद ब्लीडिंग आना ये भी लक्षण है. गर्भाशय का कैंसर अगर बढ़ता है तो पेट के निचले हिस्से में महिलाओं को दर्द होता है. पेशाब या शौच के समय दर्द होता है. वजन का जरूरत से ज्यादा कम होना, भूख कम लगना जैसी समस्या गर्भाशय का कैंसर बढ़ने के बाद इस तरह के लक्षण दिखाई पड़ता है."

ये भी हैं गर्भाशय के कैंसर के लक्षण:

  • किसी भी महिला को 40 साल की उम्र होने के बाद हमेशा अपने पीरियड्स को लेकर सजग रहना चाहिए.
  • पीरियड्स अगर ज्यादा दिन तक जा रहा है या ज्यादा हो रहा है तो भी चिकित्सक से संपर्क जरूर करें.
  • इसका मतलब यह नही है कि महिला को गर्भाशय का कैंसर हो गया है, इसके लिए कुछ जरूरी टेस्ट करवाने जरूरी होते हैं.
  • शुरुआती लक्षणों के आधार पर आसानी से गर्भाशय के कैंसर का इलाज किया जा सकता है.
  • टेस्ट करने के बाद शुरुआती लक्षण दिखने पर स्टेज को भी देखना जरूरी होता है कि किस स्टेज पर कैंसर पहुंच चुका है.
  • प्राइमरी इलाज के रूप में ऑपरेशन करके उसे बाहर निकाला जाता है, लेकिन इस दौरान कैंसर किस स्टेज पर पहुंचा है.
  • इसको भी देखना जरूरी होता है. उसी के आधार पर इलाज संभव है.
  • गर्भाशय कैंसर के लक्षण को शुरुआती दिनों में जांच के दौरान पकड़ में आता है तो गर्भाशय का कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है.
  • ऐसे में महिलाओं को चाहिए कि एक उम्र के बाद हर साल चिकित्सक से संपर्क जरूर करें.

नोट: यहां लिखी सारी बातें चिकित्सक द्वारा बताई गई बातें हैं.

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रायपुर: यूटराइन या गर्भाशय का कैंसर उस कैंसर को कहा जाता है, जो कि बच्चेदानी में होता है. गर्भाशय का कैंसर दो प्रकार का होता है, पहला एंडोमेट्रियल कैंसर और दूसरा सार्कोमा कैंसर कहलाता है. गर्भाशय का कैंसर कितना खतरनाक हो सकता है? किस उम्र की महिलाओं में यह देखने को मिलता है? इस दौरान कौन-कौन से लक्षण दिखाई पड़ते हैं? गर्भाशय का कैंसर होने पर इसके बचाव और इलाज कैसे किए जाए? इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर साबरी सक्सेना से बातचीत की.

जानिए क्या कहती हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने कहा, "गर्भाशय का कैंसर दो प्रकार का होता है, जिसमें पहला एंडोमेट्रियल कैंसर और दूसरा सार्कोमा कैंसर कहलाता है. गर्भाशय का कैंसर महिलाओं में 40 से 50 वर्ष के आसपास होता है. गर्भाशय के कैंसर में प्रमुख लक्षणों में माहवारी के दिनों में खून का ज्यादा आना या ज्यादा दिनों तक ब्लीडिंग होना या कम दिनों में अधिक ब्लीडिंग होना है. इस तरह के लक्षणों के अलावा महिलाओं में मेनोपॉज होने के बाद भी थोड़ा बहुत भी ब्लड आता है, तो इसको नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. मेनोपॉज होने के बाद एक या दो बूंद खून भी आता है तो ऐसे में डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. कई बार यही एक मात्र लक्षण गर्भाशय के कैंसर का होता है. पीरियड्स आने के पहले ब्लीडिंग होना, रिलेशन बनाने के बाद ब्लीडिंग आना ये भी लक्षण है. गर्भाशय का कैंसर अगर बढ़ता है तो पेट के निचले हिस्से में महिलाओं को दर्द होता है. पेशाब या शौच के समय दर्द होता है. वजन का जरूरत से ज्यादा कम होना, भूख कम लगना जैसी समस्या गर्भाशय का कैंसर बढ़ने के बाद इस तरह के लक्षण दिखाई पड़ता है."

ये भी हैं गर्भाशय के कैंसर के लक्षण:

  • किसी भी महिला को 40 साल की उम्र होने के बाद हमेशा अपने पीरियड्स को लेकर सजग रहना चाहिए.
  • पीरियड्स अगर ज्यादा दिन तक जा रहा है या ज्यादा हो रहा है तो भी चिकित्सक से संपर्क जरूर करें.
  • इसका मतलब यह नही है कि महिला को गर्भाशय का कैंसर हो गया है, इसके लिए कुछ जरूरी टेस्ट करवाने जरूरी होते हैं.
  • शुरुआती लक्षणों के आधार पर आसानी से गर्भाशय के कैंसर का इलाज किया जा सकता है.
  • टेस्ट करने के बाद शुरुआती लक्षण दिखने पर स्टेज को भी देखना जरूरी होता है कि किस स्टेज पर कैंसर पहुंच चुका है.
  • प्राइमरी इलाज के रूप में ऑपरेशन करके उसे बाहर निकाला जाता है, लेकिन इस दौरान कैंसर किस स्टेज पर पहुंचा है.
  • इसको भी देखना जरूरी होता है. उसी के आधार पर इलाज संभव है.
  • गर्भाशय कैंसर के लक्षण को शुरुआती दिनों में जांच के दौरान पकड़ में आता है तो गर्भाशय का कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है.
  • ऐसे में महिलाओं को चाहिए कि एक उम्र के बाद हर साल चिकित्सक से संपर्क जरूर करें.

नोट: यहां लिखी सारी बातें चिकित्सक द्वारा बताई गई बातें हैं.

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