जयपुर: पुरानी कारों के ट्रांसफर और पुनः रजिस्ट्रेशन पर टैक्स वृद्धि के विरोध में बुधवार को प्रदेश भर के कार बाजार व्यापारी लामबंद हुए और जयपुर जिला कलक्ट्रेट पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. पुरानी कारों का काम करने वाले कारोबारियों ने कहा कि अप्रत्याशित टैक्स वृद्धि से न केवल उनका व्यापार प्रभावित हो रहा है बल्कि इसका असर मध्यम वर्ग पर भी पड़ा है. उन्होंने सरकार से टैक्स वृद्धि वापस लेने की मांग की और इस संबंध में मुख्य सचिव को ज्ञापन भी दिया. व्यापारियों ने उग्र आंदोलन की भी चेतावनी दी है.
ऑल राजस्थान वाहन व्यापार संगठन के बैनर तले प्रदेश भर के पुरानी कारों के व्यापारी जयपुर जिला कलक्ट्रेट पर एकत्र हुए और यहां केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए नारेबाजी की. संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रजत छाबड़ा ने बताया कि राज्य सरकार ने 10 जुलाई को अपना बजट पेश किया था. जिसमें पुरानी कारों पर टैक्स बढ़ाया. इससे पुरानी कारों का व्यापार करने वाले लोग प्रभावित हो रहे हैं. हजारों व्यापारी इसके कारण बेरोजगार हो गए हैं. उन्होंने कहा कि टैक्स वृद्धि से मध्यम वर्ग भी अधिक प्रभावित हुआ है क्योंकि अधिकतर पुरानी कारें खरीदने वाले लोग मध्यम वर्ग से जुड़े होते हैं. हम लोग ही कम कीमत पर आम जनता को कार उपलब्ध कराते हैं.
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संगठन के अन्य पदाधिकारी ने बताया कि आंकड़ों के हिसाब से बात की जाए, तो कार ट्रांसफर का शुल्क राज्य सरकार ने दोगुना कर दिया है और अन्य राज्यों से आने वाली कारों का रजिस्ट्रेशन प्रदेश में कराया जाता है, तो उसका टैक्स सरकार ने 300 से 400 फीसदी बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा कि अन्य भाजपा शासित राज्यों की बात करें, तो राजस्थान से वहां के व्यापारी गाड़ी लेकर जाते हैं और अच्छे से पुरानी कारों का व्यापार कर रहे हैं. वहां इस तरह की कोई टैक्स में वृद्धि नहीं की गई है. केवल राजस्थान में ही इस तरह से टैक्स बढ़ाकर पुरानी कारों का व्यापार करने वाले लोगों को परेशान किया जा रहा है.
जयपुर वाहन बाजार समिति के अध्यक्ष अजय भाटिया ने बताया कि टैक्स वृद्धि के बाद हम लोग नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों से मिल चुके हैं. वित्त सचिव से भी मुलाकात हो चुकी है. इसके बावजूद भी हमारी सुनवाई नहीं हो रही है. यदि आने वाले दिनों में सरकार हमारी मांग नहीं मानती है, तो हम अपने आंदोलन को और उग्र करेंगे. उन्होंने कहा कि हम अपने आंदोलन में नई कारों को बेचने वाले व्यापारियों को भी शामिल करेंगे क्योंकि यदि पुरानी कारें बिकेंगी, तो ही नई कारें बिकेगी. आने वाले दिनों में हम हड़ताल और आमरण अनशन जैसे कठोर कदम भी उठाएंगे.
रजत छाबड़ा ने बताया कि यदि किसी अन्य राज्य से कार लाकर प्रदेश में उसका रजिस्ट्रेशन कराया जाता है, तो पहले उसके रजिस्ट्रेशन के 25 हजार रुपए लग रहे थे. शुल्क वृद्धि के बाद अब यह लागत 1 लाख 10 हजार रुपए हो गई है. इसी तरह से राजस्थान की किसी कार को ट्रांसफर किया जाता है, तो उसका शुल्क पहले 12.50 फीसदी लग रहा था जो अब बढ़कर अब दुगना करीब 25 फीसदी कर दिया गया है.
उन्होंने बताया कि राजस्थान को छोड़कर यदि किसी अन्य राज्य में कार उपभोक्ता के नाम से ट्रांसफर की जाती है, तो उसका शुल्क मात्र 300 रुपए ही लगता है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में पुरानी कारों पर इस तरह से टैक्स में अप्रत्याशित वृद्धि किसी भी तरह से न्याय संगत नहीं है. इसलिए इसे कम किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह से टैक्स बढ़ाने से सरकार को राजस्व की हानि होगी. क्योंकि इतना टैक्स देकर कोई भी पुराना वाहन नहीं खरीदेगा.