रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा मानसून सत्र के पहले दिन गरियाबंद जिला में फर्जी वन अधिकार पत्र का मामला उठा. इस मामले में जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की भी मांग की गई. इस मामले को लेकर सदन में हंगामा भी हुआ. सत्ता पक्ष के विधायकों का कहना था कि जिन्होंने फर्जी हस्ताक्षर कर यह इस तरह के दस्तावेज तैयार किए हैं, उसकी जांच हो और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. वही मंत्री ने इस पूरे मामले की जांच कराए जाने की बात कही हैं.
गरियाबंद में फर्जी वन अधिकार पत्र का मामला सदन में गूंजा: कांग्रेस विधायक जनक ध्रुव के प्रश्न के जवाब में मंत्री टंकराम वर्मा ने बताया कि गरियाबंद जिला के सरपंच और सचिव के हस्ताक्षर और फर्जी सील लगाकर वन अधिकार पट्टा प्राप्त करने की शिकायत कलेक्टर को हुई थी. कलेक्टर ने इसकी जांच के निर्देश दिए थे. कलेक्टर के निर्देश पर अनुविभागीय अधिकारी ने जांच की. जांच में पता चला कि जिस संजय नेताम पिता जौहर नेतमा और उनकी पत्नी अनिता नेताम के नाम से फर्जी पट्टा प्राप्त करने की शिकायत की गई थी. उन्होंने पट्टा के लिए किसी तरह का आवेदन नहीं दिया था. इसका प्रतिवेदन क्लेक्टर को भेजा गया, शिकायत निराधार पाया गया.
जनक ध्रुव ने कहा कि "मेरे पास दस्तावेज है जिसमें अपात्र लोगों ने वन भूमि हासिल किया है. वहीं, पात्रता रखने वालों को आज तक वन पट्टा नहीं मिल पा रहा है. इस पर जो दोषी लोग कार्यवाही की जाएगी। राज्य स्तरीय समिति बनाकर फिर से जांच कराने की मांग करता हूं."
इस पर मंत्री ने कहा कि "यदि आपके पास कुछ है तो हम उसका परीक्षण करेंगे. पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि यह प्रकरण 2018 का है. जो शिकायत मिली ग्राम वन समिति, एसडीएम स्तर और जिला स्तर की समिति ने कार्यवाही करने की मांग है. कार्यवाही करेंगे क्या, उमेश पटेल ने कहा कि यह फर्जी हस्ताक्षर का मामला है, आपने मांग पत्र वापस करा दिया. इसकी जांच होनी चाहिए.