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आसान नहीं होगी आतिशी की राह, दिल्ली CM के तौर पर सामने हैं ये 5 बड़ी चुनौतियां - Challenges for Delhi New Cm Atishi

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 18, 2024, 2:26 PM IST

Challenges as Delhi Cm for Atishi: मंगलवार को जिस वक्त आतिशी का नाम दिल्ली के नए सीएम के तौर पर अनाउंस किया गया, उस वक्त गोपाल राय ने मीडिया में कहा कि विषम हालातों में आतिशी को सीएम बनाया गया है. उनके बयान से एक बात तो तय है कि कि आतिशी के लिए सीएम कुर्सी का काम बहुत सी चुनौतियों से घिरा हुआ है. आइए जानें...

CM के तौर पर आतिशी के सामने ये हैं 5 बड़ी चुनौतियां
CM के तौर पर आतिशी के सामने ये हैं 5 बड़ी चुनौतियां (SOURCE: ETV BHARAT)

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में चालू वित्त वर्ष का बजट पेश करते हुए बतौर वित्त मंत्री आतिशी ने दिल्ली वालों के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया था. जिसमें अहम है दिल्ली की महिलाओं को दी जाने वाली हर महीने 1000 हजार रुपए की सम्मान निधि, जो अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है. केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में बिजली-पानी मुफ्त देने के अलावा कई ऐसी योजनाओं का ऐलान होता रहा है. जिससे वर्ग विशेष को फायदा मिला है और सरकार चलती आ रही हैं. जानिए चुनौतियां

1. महिला सम्मान निधि योजना अधर में !
इस वर्ष बजट में महिलाओं के लिए सम्मान निधि योजना देने का ऐलान नया था. बजट पेश किए हुए छह महीने से अधिक समय बीत चुका है. तब आतिशी वित्त मंत्री थी और अब अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वह दिल्ली की मुख्यमंत्री होने जा रही हैं. ऐसे में जिम्मेदारी संभालते ही सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने सरकार की इस नई योजना को लागू करना होगा. इस योजना को अभी तक कैबिनेट में भी नहीं लाया जा सका है. दिल्ली विधानसभा चुनाव होने में भी कम दिन बचे हैं, योजना को मंजूरी दिलाना और इसे लागू करना बतौर महिला मुख्यमंत्री होने से आतिशी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनने वाली है.

2. पानी की समस्या से निजात दिलाना

साथ ही, दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार में सबसे अधिक व महत्वपूर्ण विभाग आतिशी के पास है. विपक्ष दिल्ली में बीते दो वर्षों में विकास कार्य ठप होने का आरोप लगाता रहा है. पिछले दिनों गर्मियों में दिल्ली में पानी की समस्या इस कदर हो गई थी कि लोग दिन और रात पानी के लिए सड़कों पर संघर्ष करते हुए दिखाई दिए थे. पानी की जरूरतों को लेकर आतिशी ने केंद्र व हरियाणा सरकार पर ठीकरा फोड़ा था, अब वह बतौर मुख्यमंत्री कैसे इस बुनियादी जरूरत का समाधान निकालेगी इस पर भी नज़रें टिकी रहेंगी.

3. प्रशासनिक चुनौती से निपटना होगा
पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल जब तिहाड़ जेल में थे और सरकार चलाने में अहम भूमिका आतिशी निभा रही थी उसे दौरान पानी सीवर बिजली आदि को लेकर कई ऐसे मौके आए जब आतिशी ने विभाग के सचिव अन्य वरिष्ठ अधिकारी को तलब किया था, उन्हें मेमो तक भेजें. उपराज्यपाल तक भी उनकी शिकायत की. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. अब वह दिल्ली की मुख्यमंत्री होंगीं तो उनके सामने ऐसे प्रशासनिक चुनौतियों को निपटाना आसान नहीं होगा.

4. सीनियर मंत्रियों के साथ सामंजस्य बैठाना
बतौर मुख्यमंत्री आतिशी के सामने बड़ी चुनौती यह भी है कि सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन हैं, जो उनसे वरिष्ठ हैं उनके साथ सामंजस्य बैठाकर काम करना. साथ ही दिल्ली सरकार में कोई भी योजना हो और किसी मुद्दे पर निर्णय लेने की बात हो अंतिम निर्णय अरविंद केजरीवाल लेते थे, अब पार्टी के अन्य बड़े नेता अपनी बात आतिशी के समक्ष किस रूप में रखते हैं और उसे फिर किस रूप में लागू किया जाता है. यह भी एक चुनौती होगी.

5. दिल्ली सरकार में दो नए कैबिनेट मंत्रियों के नामों पर सहमति
दिल्ली सरकार में दो नए कैबिनेट मंत्री भी बनाए जाने हैं उसमें कौन से चेहरों को जगह मिलेगी और इसमें मुख्यमंत्री की पसंद कितनी मायने रखती है, यह भी काफी मायने रखता है. कभी पार्टी के तमाम विधायक जो अपने-अपने क्षेत्र में विकास कार्य करने को लेकर सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क में रहते हैं. अब ऐसे विधायकों की ऐसी डिमांड को बतौर मुख्यमंत्री आतिशी किस तरह निपटाएंगी यह आने वाले दिनों में ही स्पष्ट होगा.

क्या दिल्ली में रामायण के भरत की तरह चलेगा राज-काज?
हालांकि मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी के नाम का ऐलान होने के बाद दिल्ली सरकार के मंत्री व पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि यह बात मायने नहीं रखती की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा, जनता ने तो केजरीवाल को चुना था कुर्सी केजरीवाल की है और आगे भी रहेगी. सिर्फ चुनाव तक कुर्सी पर भरत की तरह राम की खड़ाऊं रखकर एक व्यक्ति बैठेगा. मतलब आतिशी भरत की तरह सरकार चलाएंगी, इस खड़ाऊं छवि को लेकर किस तरह आतिशी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगी दिल्ली की जनता भी नजरें टिकाएं हैं.

ये भी पढ़ें- जानिए कौन हैं आतिशी, जो होंगी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री

ये भी पढ़ें- न घर न जमीन, कितनी प्रॉपर्टी की मालकिन हैं आतिशी, जानकर रह जाएंगे हैरान

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में चालू वित्त वर्ष का बजट पेश करते हुए बतौर वित्त मंत्री आतिशी ने दिल्ली वालों के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया था. जिसमें अहम है दिल्ली की महिलाओं को दी जाने वाली हर महीने 1000 हजार रुपए की सम्मान निधि, जो अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है. केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में बिजली-पानी मुफ्त देने के अलावा कई ऐसी योजनाओं का ऐलान होता रहा है. जिससे वर्ग विशेष को फायदा मिला है और सरकार चलती आ रही हैं. जानिए चुनौतियां

1. महिला सम्मान निधि योजना अधर में !
इस वर्ष बजट में महिलाओं के लिए सम्मान निधि योजना देने का ऐलान नया था. बजट पेश किए हुए छह महीने से अधिक समय बीत चुका है. तब आतिशी वित्त मंत्री थी और अब अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वह दिल्ली की मुख्यमंत्री होने जा रही हैं. ऐसे में जिम्मेदारी संभालते ही सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने सरकार की इस नई योजना को लागू करना होगा. इस योजना को अभी तक कैबिनेट में भी नहीं लाया जा सका है. दिल्ली विधानसभा चुनाव होने में भी कम दिन बचे हैं, योजना को मंजूरी दिलाना और इसे लागू करना बतौर महिला मुख्यमंत्री होने से आतिशी के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनने वाली है.

2. पानी की समस्या से निजात दिलाना

साथ ही, दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार में सबसे अधिक व महत्वपूर्ण विभाग आतिशी के पास है. विपक्ष दिल्ली में बीते दो वर्षों में विकास कार्य ठप होने का आरोप लगाता रहा है. पिछले दिनों गर्मियों में दिल्ली में पानी की समस्या इस कदर हो गई थी कि लोग दिन और रात पानी के लिए सड़कों पर संघर्ष करते हुए दिखाई दिए थे. पानी की जरूरतों को लेकर आतिशी ने केंद्र व हरियाणा सरकार पर ठीकरा फोड़ा था, अब वह बतौर मुख्यमंत्री कैसे इस बुनियादी जरूरत का समाधान निकालेगी इस पर भी नज़रें टिकी रहेंगी.

3. प्रशासनिक चुनौती से निपटना होगा
पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल जब तिहाड़ जेल में थे और सरकार चलाने में अहम भूमिका आतिशी निभा रही थी उसे दौरान पानी सीवर बिजली आदि को लेकर कई ऐसे मौके आए जब आतिशी ने विभाग के सचिव अन्य वरिष्ठ अधिकारी को तलब किया था, उन्हें मेमो तक भेजें. उपराज्यपाल तक भी उनकी शिकायत की. लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. अब वह दिल्ली की मुख्यमंत्री होंगीं तो उनके सामने ऐसे प्रशासनिक चुनौतियों को निपटाना आसान नहीं होगा.

4. सीनियर मंत्रियों के साथ सामंजस्य बैठाना
बतौर मुख्यमंत्री आतिशी के सामने बड़ी चुनौती यह भी है कि सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन हैं, जो उनसे वरिष्ठ हैं उनके साथ सामंजस्य बैठाकर काम करना. साथ ही दिल्ली सरकार में कोई भी योजना हो और किसी मुद्दे पर निर्णय लेने की बात हो अंतिम निर्णय अरविंद केजरीवाल लेते थे, अब पार्टी के अन्य बड़े नेता अपनी बात आतिशी के समक्ष किस रूप में रखते हैं और उसे फिर किस रूप में लागू किया जाता है. यह भी एक चुनौती होगी.

5. दिल्ली सरकार में दो नए कैबिनेट मंत्रियों के नामों पर सहमति
दिल्ली सरकार में दो नए कैबिनेट मंत्री भी बनाए जाने हैं उसमें कौन से चेहरों को जगह मिलेगी और इसमें मुख्यमंत्री की पसंद कितनी मायने रखती है, यह भी काफी मायने रखता है. कभी पार्टी के तमाम विधायक जो अपने-अपने क्षेत्र में विकास कार्य करने को लेकर सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क में रहते हैं. अब ऐसे विधायकों की ऐसी डिमांड को बतौर मुख्यमंत्री आतिशी किस तरह निपटाएंगी यह आने वाले दिनों में ही स्पष्ट होगा.

क्या दिल्ली में रामायण के भरत की तरह चलेगा राज-काज?
हालांकि मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी के नाम का ऐलान होने के बाद दिल्ली सरकार के मंत्री व पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि यह बात मायने नहीं रखती की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा, जनता ने तो केजरीवाल को चुना था कुर्सी केजरीवाल की है और आगे भी रहेगी. सिर्फ चुनाव तक कुर्सी पर भरत की तरह राम की खड़ाऊं रखकर एक व्यक्ति बैठेगा. मतलब आतिशी भरत की तरह सरकार चलाएंगी, इस खड़ाऊं छवि को लेकर किस तरह आतिशी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगी दिल्ली की जनता भी नजरें टिकाएं हैं.

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