प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शहर उत्तरी के भाजपा विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह की चुनाव याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है. हर्षवर्धन की ओर से याचिका पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी. आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने अनुग्रह नारायण सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेंद्र, रवींद्र सिंह व शिवसागर सिंह और विधायक हर्षवर्धन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष गोयल व रवि आनंद अग्रवाल की दलीलों को सुनकर दिया.
हर्षवर्धन बाजपेयी ने सीपीसी के आदेश सात नियम 11 व आदेश छह नियम 16 की अर्जी में कांग्रेस प्रत्याशी अनुग्रह नारायण सिंह की चुनाव याचिका की स्वीकार्यता पर आपत्ति करते हुए कुछ पैराग्राफ हटाने की मांग की है. ऐसे में मुकदमे का ट्रायल चलेगा या नहीं, यह इस फैसले पर निर्भर करेगा.
अनुग्रह नारायण सिंह की चुनाव याचिका में आरोप लगाया गया है कि हर्षवर्धन बाजपेयी ने अपनी शैक्षिक योग्यता, संपत्ति स्वामित्व व लोन डिफाल्ट को लेकर निर्वाचन आयोग के समक्ष झूठा हलफनामा दाखिल किया है. यह भी कहा गया है कि हर्षवर्धन ने सरकारी जमीन पर मिलीभगत से लोन लिया. चुनाव में वोटरों को प्रभावित करने की कोशिश की. 2022 के विस चुनाव में वह विधायक चुने गए.
विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी की ओर से चुनाव याचिका की स्वीकार्यता पर आपत्ति की गई. कहा गया है कि याचिका जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नहीं है. याचिका की सत्य प्रतिलिपि नहीं दाखिल की गई है. याचिका दोषपूर्ण है. साथ ही जहां तक शैक्षिक योग्यता आदि का प्रश्न है, सुप्रीम कोर्ट से पहले ही तय हो चुका है. अर्जी में याचिका खारिज करने की मांग की गई है. अब इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया है.
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