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मोदी के सामने 3 बार जमानत जब्त करा चुके अजय राय क्या इस बार बनारस का छोरा Vs बाहरी के सहारे करेंगे खेला - Election 2024 Result Prediction

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और गठबंधन प्रत्याशी अजय राय ने चुनाव में बाहरी बनाम काशीवासी बनाने की कोशिश की. 29 मई 2024 का सोशल मीडिया साइट एक्स पर अजय राय का एक पोस्ट है, जिसमें उन्होंने लिखा है, 'कल चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 3, 2024, 10:18 AM IST

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कांग्रेस नेता अजय राय और पीएम नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Archive)

वाराणसी: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा चुनाव खत्म हो चुका है. एक जून को सातवां यानी अंतिम चरण का चुनाव था. इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी को '400 पार' का मंत्र दिया था. एक जून को ही पीएम मोदी के संसदीय सीट यानी वाराणसी में मतदान हुआ है.

उनके खिलाफ INDI गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय मैदान में थे. चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद तमाम वादों के बीच एक बात जो कॉमन दिखी वह थी अजय राय और INDI गठबंधन की एक टिप्पणी. उन्होंने मतदान की तारीख तक कहा कि यह चुनाव 'वाराणसी के बेटे बनाम बाहरी' का चुनाव है यानी 'काशीवासी का एक ही नारा, प्रवासी हटाओ, काशी बचाओ.'

लोकसभा चुनाव-2024 संपन्न हो चुका है. वाराणसी सीट पर मतदान 01 जून को था. सबसे पहले हम आंकड़ों में बात करें तो 01 जून की शाम 6 बजे तक वाराणसी में कुल 56.35 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है.

वहीं विधानसभावार अगर बात करें तो शहर उत्तरी में 54.55 फीसदी, शहर दक्षिणी में 57.7 फीसदी, कैंट में 51.47 फीसदी, सेवापुरी में 60.93 फीसदी, रोहनिया में 58.77 फीसदी, शिवपुर में 63.53 फीसदी, अजगरा में 65.63 फीसदी मतदान हुआ है.

वहीं अगर बात करें प्रत्याशियों की तो इस बार कुल 7 प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में थे. इनमें से अजय राय (कांग्रेस), अतहर जमाल लारी (बसपा) और नरेंद्र मोदी (भाजपा) से चुनावी मैदान में थे.

'प्रवासी जी की विदाई तय है': उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और गठबंधन प्रत्याशी अजय राय ने चुनाव में बाहरी बनाम काशीवासी बनाने की कोशिश की. 29 मई 2024 का सोशल मीडिया साइट एक्स पर अजय राय का एक पोस्ट है, जिसमें उन्होंने लिखा है, 'कल चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है.

जिस तरह से काशीवासी INDI गठबंधन के साथ खड़ेल हुए हैं, उससे पूरे देश को यह विश्वास हो गया है कि प्रवासी जी की विदाई तय है.' उनका एक पोस्ट और 29 मई का ही है. उन्होंने लिखा है, 'नहीं सुनेगा बनारस अब प्रवासी की कोई बात. काशीवासियों का हाथ होगा INDI गठबंधन के साथ.'

'काशीवासी का एक ही नारा, प्रवासी हटाओ, काशी बचाओ': सोशल मीडिया साइट एक्स पर 27 मई के एक पोस्ट में कांग्रेस नेता अजय राय ने लिखा है, 'लोकसभा क्षेत्र के शहर दक्षिणी के बेनियाबाग में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए INDI गठबंधन के पक्ष में मतदान करने की अपील की.

उपस्थित जनसमूह ने यह विश्वास दिलाया कि काशी अपनी संस्कृति और परंपरा बचाने के लिए प्रवासी जी को विदा करने के लिए तैयार हो गया है. हर काशीवासी का एक ही नारा है, प्रवासी हटाओ, काशी बचाओ.' 25 मई का एक पोस्ट है, जिसमें लिखा है, 'बोल रहे वाराणसी के वासी, बचेगा काशी हटेंगे प्रवासी.' ऐसे कई सोशल मीडिया पोस्ट @kashikirai (अजय राय) के हैंडल से किए गए हैं.

खुद को बनाया मां गंगा और काशी का बेटा: राजनीतिक विश्लेषक प्रो विजय नारायण कहते हैं कि, वाराणसी में साल 2014, 2019 और 2014 में लोकसभा चुनाव हुए हैं. इन तीनों चुनावों में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बाहरी बनाकर पेश करने की कोशिश की गई है.

विपक्षी पार्टियों ने पीएम मोदी को पहले दो चुनावों में इसी मुद्दे पर हराने की तैयारी की थी. मगर बात नहीं बन सकी. पीएम मोदी ने तो अपने पहले ही चुनाव से खुद को मां गंगा का बेटा और काशी का बेटा बोलकर पूरा कैंपेन किया था.

उन्होंने कहा कि विपक्ष को प्रधानमंत्री मोदी के लिए इस तरह की टिप्पणी करना महंगा पड़ जाता है. पीएम मोदी ने जनता से अपने आप को जोड़ लिया है और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से लेकर तमाम विकास कार्य कर उन्होंने इसे बता भी दिया है.

'केम छो' बनाम 'हमार काशी, हमार मोदी': एक ओर जहां अजय राय ये कह रहे थे, 'इहां केम छो न चली. ई बनारस हौ इहां का हो गुरू चली'. वहीं दूसरी ओर बनारस में भाजपाइयों ने 'हमार काशी, हमार मोदी' का कैंपेन शुरू कर दिया था.

ऐसे में खुले तौर पर बनारस में बाहरी बनाम काशीवासी का चुनाव बन गया था. अजय राय ने अपने भाषणों में भी कहा कि, गुजरात के लोगों ने किसानों की जमीनें औने-पौने दाम में खरीद ली और गुजरात के व्यापारियों को बेंच दी. इस तरह से विपक्ष ने पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव को मोड़ने के कई प्रयास किए हैं. हालांकि यह 4 जून के परिणाम में ही पता चलेगा कि अजय राय के साथ ही विपक्ष का यह प्रयास कितना सफल रहा है.

पीएम मोदी के खिलाफ क्या रही है अजय राय की स्थिति: अगर बात करें अजय राय की लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सफलता में तो वे हमेशा तीसरे नंबर पर ही दिखाई पड़ते हैं. साल 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले थे.

कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. हालांकि वे जमानत नहीं बचा सके थे. वहीं साल 2019 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6,74,664 वोट मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को 1,95,159 वोट मिले थे. वहीं एक बार फिर 1,52,548 वोटों के साथ अजय राय तीसरे स्थान पर थे.

ये भी पढ़ेंः यूपी लोकसभा चुनाव 2024: इन 22 सीटों पर चौंकाने वाले होंगे परिणाम, बाकी 58 पर भाजपा करेगी क्लीन स्वीप

वाराणसी: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा चुनाव खत्म हो चुका है. एक जून को सातवां यानी अंतिम चरण का चुनाव था. इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी को '400 पार' का मंत्र दिया था. एक जून को ही पीएम मोदी के संसदीय सीट यानी वाराणसी में मतदान हुआ है.

उनके खिलाफ INDI गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय मैदान में थे. चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद तमाम वादों के बीच एक बात जो कॉमन दिखी वह थी अजय राय और INDI गठबंधन की एक टिप्पणी. उन्होंने मतदान की तारीख तक कहा कि यह चुनाव 'वाराणसी के बेटे बनाम बाहरी' का चुनाव है यानी 'काशीवासी का एक ही नारा, प्रवासी हटाओ, काशी बचाओ.'

लोकसभा चुनाव-2024 संपन्न हो चुका है. वाराणसी सीट पर मतदान 01 जून को था. सबसे पहले हम आंकड़ों में बात करें तो 01 जून की शाम 6 बजे तक वाराणसी में कुल 56.35 फीसदी मतदान दर्ज किया गया है.

वहीं विधानसभावार अगर बात करें तो शहर उत्तरी में 54.55 फीसदी, शहर दक्षिणी में 57.7 फीसदी, कैंट में 51.47 फीसदी, सेवापुरी में 60.93 फीसदी, रोहनिया में 58.77 फीसदी, शिवपुर में 63.53 फीसदी, अजगरा में 65.63 फीसदी मतदान हुआ है.

वहीं अगर बात करें प्रत्याशियों की तो इस बार कुल 7 प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में थे. इनमें से अजय राय (कांग्रेस), अतहर जमाल लारी (बसपा) और नरेंद्र मोदी (भाजपा) से चुनावी मैदान में थे.

'प्रवासी जी की विदाई तय है': उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और गठबंधन प्रत्याशी अजय राय ने चुनाव में बाहरी बनाम काशीवासी बनाने की कोशिश की. 29 मई 2024 का सोशल मीडिया साइट एक्स पर अजय राय का एक पोस्ट है, जिसमें उन्होंने लिखा है, 'कल चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है.

जिस तरह से काशीवासी INDI गठबंधन के साथ खड़ेल हुए हैं, उससे पूरे देश को यह विश्वास हो गया है कि प्रवासी जी की विदाई तय है.' उनका एक पोस्ट और 29 मई का ही है. उन्होंने लिखा है, 'नहीं सुनेगा बनारस अब प्रवासी की कोई बात. काशीवासियों का हाथ होगा INDI गठबंधन के साथ.'

'काशीवासी का एक ही नारा, प्रवासी हटाओ, काशी बचाओ': सोशल मीडिया साइट एक्स पर 27 मई के एक पोस्ट में कांग्रेस नेता अजय राय ने लिखा है, 'लोकसभा क्षेत्र के शहर दक्षिणी के बेनियाबाग में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए INDI गठबंधन के पक्ष में मतदान करने की अपील की.

उपस्थित जनसमूह ने यह विश्वास दिलाया कि काशी अपनी संस्कृति और परंपरा बचाने के लिए प्रवासी जी को विदा करने के लिए तैयार हो गया है. हर काशीवासी का एक ही नारा है, प्रवासी हटाओ, काशी बचाओ.' 25 मई का एक पोस्ट है, जिसमें लिखा है, 'बोल रहे वाराणसी के वासी, बचेगा काशी हटेंगे प्रवासी.' ऐसे कई सोशल मीडिया पोस्ट @kashikirai (अजय राय) के हैंडल से किए गए हैं.

खुद को बनाया मां गंगा और काशी का बेटा: राजनीतिक विश्लेषक प्रो विजय नारायण कहते हैं कि, वाराणसी में साल 2014, 2019 और 2014 में लोकसभा चुनाव हुए हैं. इन तीनों चुनावों में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बाहरी बनाकर पेश करने की कोशिश की गई है.

विपक्षी पार्टियों ने पीएम मोदी को पहले दो चुनावों में इसी मुद्दे पर हराने की तैयारी की थी. मगर बात नहीं बन सकी. पीएम मोदी ने तो अपने पहले ही चुनाव से खुद को मां गंगा का बेटा और काशी का बेटा बोलकर पूरा कैंपेन किया था.

उन्होंने कहा कि विपक्ष को प्रधानमंत्री मोदी के लिए इस तरह की टिप्पणी करना महंगा पड़ जाता है. पीएम मोदी ने जनता से अपने आप को जोड़ लिया है और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से लेकर तमाम विकास कार्य कर उन्होंने इसे बता भी दिया है.

'केम छो' बनाम 'हमार काशी, हमार मोदी': एक ओर जहां अजय राय ये कह रहे थे, 'इहां केम छो न चली. ई बनारस हौ इहां का हो गुरू चली'. वहीं दूसरी ओर बनारस में भाजपाइयों ने 'हमार काशी, हमार मोदी' का कैंपेन शुरू कर दिया था.

ऐसे में खुले तौर पर बनारस में बाहरी बनाम काशीवासी का चुनाव बन गया था. अजय राय ने अपने भाषणों में भी कहा कि, गुजरात के लोगों ने किसानों की जमीनें औने-पौने दाम में खरीद ली और गुजरात के व्यापारियों को बेंच दी. इस तरह से विपक्ष ने पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव को मोड़ने के कई प्रयास किए हैं. हालांकि यह 4 जून के परिणाम में ही पता चलेगा कि अजय राय के साथ ही विपक्ष का यह प्रयास कितना सफल रहा है.

पीएम मोदी के खिलाफ क्या रही है अजय राय की स्थिति: अगर बात करें अजय राय की लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सफलता में तो वे हमेशा तीसरे नंबर पर ही दिखाई पड़ते हैं. साल 2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले थे.

कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. हालांकि वे जमानत नहीं बचा सके थे. वहीं साल 2019 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6,74,664 वोट मिले थे, जबकि समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को 1,95,159 वोट मिले थे. वहीं एक बार फिर 1,52,548 वोटों के साथ अजय राय तीसरे स्थान पर थे.

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