लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम व सातवें चरण के लिए आज सुबह 7 बजे से मतदान हो रहा है. कहा जाता है की दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही गुजरता है. यूपी के झटके से उबरना मुश्किल है. यहां से कौन कितनी सीटें जीत रहा, इस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं.
ऐसे में एग्जिट पोल और 4 जून को लोकसभा इलेक्शन रिजल्ट से पहले पढ़िए सट्टा बाजार के नतीजे. सट्टा बाजार चुनावी नतीजों को लेकर काफी गर्म है. देश के नामी सट्टा बाजारों ने दलों पर लगी बोली के आधार पर अपने-अपने आंकड़े पेश किए हैं, जिनमें ओवरआल मोदी के अगुवाई वाले NDA को बढ़त मिलती दिख रही है.
कई सट्टा बाजारों ने NDA को देशभर में 400 से ज्यादा सीटें जिता दी हैं. वहीं, कुछ सट्टा बाजार 500+ सीटें भी NDA को दे रहे हैं. लेकिन, इन सबके बीच यूपी यानी उत्तर प्रदेश में NDA की स्थिति को लेकर भाजपाई जरूर चिंतित हो सकते हैं.
क्या 4 जून को भाजपा का दावा पास होगा: क्योंकि, भाजपा यूपी में 80 की 80 सीटें जीतने का दावा शुरू से करती आ रही है. लेकिन, सट्टा बाजार NDA को 55 से 70 के बीच में ही रोक रहा है. सपा-कांग्रेस गठबंधन को यूपी में थोड़ी बढ़त मिलती हुई सट्टा बाजार बता रहा है.
बसपा को एक भी सीट नहीं दे रहा सट्टा बाजार: जबकि पिछले चुनाव में यूपी की 10 सीटों पर कब्जा जमाने वाली बसपा को सट्टा बाजार बहुत हल्के में आंक रहा है. किसी भी सट्टा बाजार में बसपा पर कोई बोली नहीं लगी है.
देखें कौन सट्टा बाजार यूपी में किसको कितनी दे रहा सीट?
मुंबई सट्टा बाजार
- NDA 64-66
- INDIA 14-16
फलोदी सट्टा बाजार
- NDA 55-65
- INDIA 15-25
रतलाम सट्टा बाजार
- NDA 64-66
- INDIA 14-16
इंदौर सर्राफ सट्टा बाजार
- NDA 65-70
- INDIA 10-15
चुनाव 2024 के नतीजे 4 जून को: ईटीवी भारत इन सट्टा बाजार के आंकड़ों पर समर्थन नहीं करता है. असल नतीजे तो 4 जून को चुनाव आयोग ही घोषित करेगा. उसके बाद ही पता चलेगा कि देश में किसकी सरकार बन रही है और कौन विपक्ष का राजा होगा. यूपी ने किसकी भरी झोली, किसको रखा खाली हाथ?
2014 में NDA ने किया सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन: इस बार यूपी की 80 सीटों पर 7 चरणों में मतदान हो रहा है. 2014 में 'मोदी लहर' में NDA को कुल 73 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसमें बीजेपी को 71 और उसके सहयोगी अपना दल- सोनेलाल को 2 सीटें मिली थीं. कांग्रेस 2 और सपा 5 सीटें जीत पाए थे. बसपा तो खाता ही नहीं खोल पाई थी. लेकिन इसके बाद 2019 के आम चुनाव में मोदी मैजिक नहीं चला और NDA की सीटें घटकर 64 रह गईं. भाजपा 62 और अपना दल 2. यानी कि 5 साल में 9 सीटों का नुकसान? अगर ऐसा ही ट्रेंड इस बार भी देखने को मिला तो मोदी-शाह-योगी की तिकड़ी को यूपी से बड़ा झटका लग सकता है. राजनितिक जानकारों के मुताबिक प्रदेश से 50 या 50 से नीचे सीटें मिलने पर NDA की दिल्ली की राह आसान नहीं होगी। हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि इस बार कई सीटों पर टफ फाइट की स्थिति है, कई बड़े नेताओं की सीटें फंसी हुई हैं, ऐसे में ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है.
इस बार बदले हैं सियासी पार्टनर्स: 2014 में कांग्रेस और रालोद का गठबंधन था जबकि 2024 में रालोद अब NDA का हिस्सा है और सपा-कांग्रेस एक साथ. बसपा अकेले दम पर ताल ठोंक रही है. 2019 में सपा-बसपा-रालोद ने महागठबंधन बनाया था. इस अलायन्स से सबसे ज्यादा फायदा बसपा को मिला और उसने 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा जतका लगा था. राहुल गांधी खुद अमेठी से हार गए और पार्टी को यूपी में सिर्फ एक सीट मिल पाई. रायबरेली से सोनिया गांधी ही जित सकी थीं. सपा भी अपने कुनबे की 5 सीटें बचा ले गई थी. अब 4 जून को देखना दिलचस्प होगा कि इस बार वोटर क्या गुल खिलता है?
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