लखनऊः राजधानी में दहशत का पर्याय बन चुके बाघ के जंगल में आने जाने वाले मार्गों को चिह्नित कर लिया गया है. दिन और रात के समय बाघ रहमान खेड़ा जंगल में लगी लोहे की जाली के नीचे से निकलकर बेहता नाला के किनारे होते हुए आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में निकल जाता है और फिर वापस आकर दिन में जंगल की घनी झाड़ियों में आराम करता है. दिन में ज्यादातर बाघ की गतिविधियां जंगल के अंदर और जंगल से सटे मीठे नगर के जंगल में पाई जा रही है. बुधवार सुबह संस्थान के अंदर जाली के किनारे नाले की ओर बाघ के पगचिह्न पाए गए हैं. मचान के पास पड़वे बांधकर निगरानी की जा रही है. गुरुवार को दुधवा नेशनल पार्क से दो प्रशिक्षित हथिनियां बाघ को पकड़ने के लिए लखनऊ पहुंच रहीं हैं.
राजधानी के काकोरी के रहमान खेड़ा के 40 बीघे में फैले घने जंगल और 15 किलोमीटर के दायरे में फैले संस्थान सहित आसपास के गांव में बाघ के चहलकदमी से ग्रामीणों में दहशत बरकरार है. एक महीना गुजर चुका है. जंगल में एक बार फिर बाघ के पगचिह्न मिले हैं. ऐसी स्थिति को देखते हुए जंगल से आबादी की ओर आने वाले हर रास्ते पर कॉम्बिंग टीम की तैनाती की गई है. साथ ही नया मचान बनाकर पड़वा बांधा गया है, जहां बाघ के शिकार के लिए ट्रैंकुलाइज करने वाली टीम को अलर्ट कर दिया गया है. मंगलवार को बाघ की दहशत से रहमान खेड़ा संस्थान के बाहर से निकली रेलवे लाइन पर बने फाटक के गेटमैन की सुरक्षा के लिए केबिन को लोहे की जालियों से ढक दिया गया था. दिन के समय कई कर्मचारियों ने काम करते समय बाघ को रेलवे लाइन पर देखा था.
डीएफओ सितांशु पांडेय ने बताया कि मीठे नगर मार्ग पर बनी पुलिया के पास रखे पिंजरे में पड़वे को बांधकर निगरानी की जा रही है. बाघ के ज्यादातर गतिविधियों वाले इलाके में मचान से निगरानी की जा रही थी उसी से सौ मीटर दूर दूसरी मचान तैयार हो गयी है . मचान के पास पड़वे बांधकर निगरानी की जा रही है. इन्हीं दोनों मचानों के आसपास बाघ के सबसे ज्यादा पगचिन्हों सहित गतिविधियां पाई गई हैं.
जंगल मे ही मिले पगचिह्नः डीएफओ ने बताया कि बुधवार सुबह सात बजे संस्थान के अंदर जाली के किनारे नाले की ओर बाघ के पगचिह्न पाए गए हैं. नाले के किनारे से होते हुए रेलवे लाइन क्रॉस कर जंगल में चला गया. डब्ल्यूटीआई के सदस्यों और प्राणि उद्यान के डॉक्टरों ने पुष्टि की है. हरदोई की संडीला रेंज और सीतापुर की सिधौली रेंज के स्टाफ के द्वारा आसपास के ग्रामीणों को सतर्क किया और बचाव के उपाय बताए. आज 2 फरवरी को दुधवा से दो प्रशिक्षित हथिनिया रहमान खेड़ा पहुंच जाएंगी. बुधवार को संस्थान के अंदर जाली के किनारे नाले की ओर जंगल मे ही बाघ के पगचिह्न पाए गए हैं. नए मचान के पास पड़वे बांधकर निगरानी की जा रही है.