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भगवान बुद्ध की असाधारण जीवन यात्रा को प्रदर्शित करेगी यूपी सरकार, देश-विदेश से अतिथी होंगे शामिल - Bodhi Yatra 2024

यूपी के बौद्ध विरासत स्थलों के माध्यम से भगवान बुद्ध की स्मृति में बोधि यात्रा 2024 का नई दिल्ली सहित पूरे देश में आयोजन किया जाएगा. यात्रा के शुभारंभ अवसर पर केन्द्रीय पर्यटन मंत्री के अलावा कई देशों के उच्चायुक्त एवं प्रदेश के उच्चाधिकारी भी इस दौरान शामिल होंगे.

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UP GOVERNMENT ORGANIZED BODHI YATRA 2024 (PHOTO CREDIT- social media)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 28, 2024, 7:13 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पर्यटन को असीमित संभावनाओं की तलाश कर उसे गति देने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में प्रदेश में तीर्थ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक नया प्रयोग पर्यटन विभाग की ओर से शुरू किया जा रहा है. प्रदेश के ख्याति प्राप्त बौद्ध तीर्थ स्थलों पर देश-विदेश के तीर्थ यात्री श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन विभाग 28 जून को बोधि यात्रा 2024 नाम से एक कार्यक्रम लॉन्च करने जा रहा है. यह कार्यक्रम देश की राजधानी दिल्ली से शुरू होगा.

उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया, कि इस यात्रा का उद्देश्य प्रदेश के बौद्ध विरासत स्थलों के माध्यम से भगवान बुद्ध की साधारण जीवन यात्रा के सस्मंरणों को प्रदर्शित करना है. मंत्री ने बताया, कि नई दिल्ली में इस कार्यक्रम का आयोजन होगा. इसके बाद पूरे देश में साल भर इस यात्रा के माध्यम से लोगों को भगवान बुद्ध के जीवन से परिचित कराया जाएगा. उन्होंने बताया, कि पर्यटन विभाग की तरफ से बुद्ध कला संस्कृति के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के योगदान और भगवान बुद्ध के जुड़ाव और महत्व को विभिन्न कलात्मक प्रस्तुतियों के जरिए दर्शाया जाएगा. कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए देश-विदेश के अतिथियों को भी आमंत्रित किया जा रहा है. बोधि यात्रा कार्यक्रम के दौरान इंटरएक्टिव कल्चरल सेशन का आयोजन किया जाएगा. इस कार्यक्रम का आयोजन देश के विभिन्न शहरों में समय-समय पर होगा.

इसे भी पढ़े-जानिए यूपी के वे 6 स्थान जहां अवतरित हुए भगवान बुद्ध, कपिलवस्तु से कैसे बदल गया उनका जीवन?, पढ़िए डिटेल - Buddha Purnima 2024

यूपी प्रारंभिक बौद्ध धर्म का केंद्र: मंत्री जयवीर सिंह ने बताया, कि बोधि यात्रा उत्तर प्रदेश के बौद्ध धर्म से जुड़े स्थलों की मार्केटिंग और ब्राडिंग के लिए रखी गयी है. इसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश में अधिक से अधिक घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना हैं. उन्होंने बताया, कि उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म से जुड़े कई प्रमुख तीर्थ स्थल यहां हैं. उन्होंने ने कहा, कि यूपी प्रारंभिक बौद्ध धर्म का केंद्र रहा है. यहीं से यह धर्म दुनिया के बाकी हिस्सों में फैला है. बौद्ध धर्म को मानने वाले श्रद्धालु/पर्यटक प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में देश-दुनिया से उत्तर प्रदेश आते हैं. मंत्री ने बताया, कि उत्तर प्रदेश में बौद्ध विरासत स्थलों, पर्यटन आकर्षण, पारंपरिक कला और शिल्प और संस्कृति एवं पर्यटन क्षेत्र में एफडीआई को बढ़ावा देने के लिए निवेश के अवसर तथा उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति-2022 के लाभों और सब्सिडी के विवरण के विषय में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया जाएगा.

विदेश से भी शामिल होंगे लोग: मंत्री जयवीर सिंह ने बताया, कि बोधि यात्रा कार्यक्रम में नेपाल, भूटान, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, श्रीलंका, लाओस पीडीआर, कंबोडिया, वियतनाम, इंडोनेशिया, सिंगापुर, जापान, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया, चीन आदि देशों के राजदूत, उच्चायुक्त एवं उच्चायोग के अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है. विदेश मंत्रालय के सचिव और अधिकारी गण, पर्यटन मंत्रालय एवं पर्यटन मंत्रालय के सचिव तथा अधिकारियों, संस्कृति मंत्रालय के सचिव एवं अधिकारी गण आमंत्रित हैं.

उत्तर प्रदेश में भगवान बुद्ध से जुड़े यह धार्मिक स्थल है महत्वपूर्ण: बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए उत्तर प्रदेश किसी वरदान से कम नहीं है. बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए प्रदेश की धरती आस्था का उच्च केंद्र है. प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के कपिलवस्तु में सिद्धार्थ गौतम ने शुरुआती 29 साल व्यतीत किए. यहीं पर वृद्ध, बीमार, शव तथा संन्यासी देखकर उद्विग्न हुए. बुद्ध का मन इतना उद्वेलित हुआ कि, एक दिन राज-महल त्यागकर सत्य की खोज में निकल पड़े. श्रावस्ती वह स्थान है, जहां गौतम बुद्ध ने जेतवन में 25 वर्षावास व्यतीत किए. प्रवचन और उपदेश दिए, जिन्हें त्रिपिटक में संकलित किया गया. कौशाम्बी में बुद्ध ने बुद्धत्व के छठें और नौवें वर्ष व्यतीत किए. भगवान बुद्ध ने कौशाम्बी के घोषिताराम में त्रिपिटक के कई अंशों की व्याख्या की. ऐसी मान्यता है कि महाराजगंज स्थित रामग्राम स्तूप में भगवान बुद्ध के अवशेष मौजूद है. कुशीनगर स्थित भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल को विशेष रूप से मुख्य आकर्षण के रूप में प्रदर्शित करता है. बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थल देश ही नहीं बल्कि, विदेश में भी पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है.

यह भी पढ़े-अब काशी के गुरुद्वारे और जैन मंदिरों का होगा कायाकल्प, अलग-अलग फेजों में किए जाएंगे तैयार - Gurudwara and Jain temples

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पर्यटन को असीमित संभावनाओं की तलाश कर उसे गति देने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में प्रदेश में तीर्थ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक नया प्रयोग पर्यटन विभाग की ओर से शुरू किया जा रहा है. प्रदेश के ख्याति प्राप्त बौद्ध तीर्थ स्थलों पर देश-विदेश के तीर्थ यात्री श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्यटन विभाग 28 जून को बोधि यात्रा 2024 नाम से एक कार्यक्रम लॉन्च करने जा रहा है. यह कार्यक्रम देश की राजधानी दिल्ली से शुरू होगा.

उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया, कि इस यात्रा का उद्देश्य प्रदेश के बौद्ध विरासत स्थलों के माध्यम से भगवान बुद्ध की साधारण जीवन यात्रा के सस्मंरणों को प्रदर्शित करना है. मंत्री ने बताया, कि नई दिल्ली में इस कार्यक्रम का आयोजन होगा. इसके बाद पूरे देश में साल भर इस यात्रा के माध्यम से लोगों को भगवान बुद्ध के जीवन से परिचित कराया जाएगा. उन्होंने बताया, कि पर्यटन विभाग की तरफ से बुद्ध कला संस्कृति के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के योगदान और भगवान बुद्ध के जुड़ाव और महत्व को विभिन्न कलात्मक प्रस्तुतियों के जरिए दर्शाया जाएगा. कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए देश-विदेश के अतिथियों को भी आमंत्रित किया जा रहा है. बोधि यात्रा कार्यक्रम के दौरान इंटरएक्टिव कल्चरल सेशन का आयोजन किया जाएगा. इस कार्यक्रम का आयोजन देश के विभिन्न शहरों में समय-समय पर होगा.

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यूपी प्रारंभिक बौद्ध धर्म का केंद्र: मंत्री जयवीर सिंह ने बताया, कि बोधि यात्रा उत्तर प्रदेश के बौद्ध धर्म से जुड़े स्थलों की मार्केटिंग और ब्राडिंग के लिए रखी गयी है. इसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश में अधिक से अधिक घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना हैं. उन्होंने बताया, कि उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म से जुड़े कई प्रमुख तीर्थ स्थल यहां हैं. उन्होंने ने कहा, कि यूपी प्रारंभिक बौद्ध धर्म का केंद्र रहा है. यहीं से यह धर्म दुनिया के बाकी हिस्सों में फैला है. बौद्ध धर्म को मानने वाले श्रद्धालु/पर्यटक प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में देश-दुनिया से उत्तर प्रदेश आते हैं. मंत्री ने बताया, कि उत्तर प्रदेश में बौद्ध विरासत स्थलों, पर्यटन आकर्षण, पारंपरिक कला और शिल्प और संस्कृति एवं पर्यटन क्षेत्र में एफडीआई को बढ़ावा देने के लिए निवेश के अवसर तथा उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति-2022 के लाभों और सब्सिडी के विवरण के विषय में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया जाएगा.

विदेश से भी शामिल होंगे लोग: मंत्री जयवीर सिंह ने बताया, कि बोधि यात्रा कार्यक्रम में नेपाल, भूटान, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, श्रीलंका, लाओस पीडीआर, कंबोडिया, वियतनाम, इंडोनेशिया, सिंगापुर, जापान, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया, चीन आदि देशों के राजदूत, उच्चायुक्त एवं उच्चायोग के अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है. विदेश मंत्रालय के सचिव और अधिकारी गण, पर्यटन मंत्रालय एवं पर्यटन मंत्रालय के सचिव तथा अधिकारियों, संस्कृति मंत्रालय के सचिव एवं अधिकारी गण आमंत्रित हैं.

उत्तर प्रदेश में भगवान बुद्ध से जुड़े यह धार्मिक स्थल है महत्वपूर्ण: बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए उत्तर प्रदेश किसी वरदान से कम नहीं है. बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए प्रदेश की धरती आस्था का उच्च केंद्र है. प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के कपिलवस्तु में सिद्धार्थ गौतम ने शुरुआती 29 साल व्यतीत किए. यहीं पर वृद्ध, बीमार, शव तथा संन्यासी देखकर उद्विग्न हुए. बुद्ध का मन इतना उद्वेलित हुआ कि, एक दिन राज-महल त्यागकर सत्य की खोज में निकल पड़े. श्रावस्ती वह स्थान है, जहां गौतम बुद्ध ने जेतवन में 25 वर्षावास व्यतीत किए. प्रवचन और उपदेश दिए, जिन्हें त्रिपिटक में संकलित किया गया. कौशाम्बी में बुद्ध ने बुद्धत्व के छठें और नौवें वर्ष व्यतीत किए. भगवान बुद्ध ने कौशाम्बी के घोषिताराम में त्रिपिटक के कई अंशों की व्याख्या की. ऐसी मान्यता है कि महाराजगंज स्थित रामग्राम स्तूप में भगवान बुद्ध के अवशेष मौजूद है. कुशीनगर स्थित भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल को विशेष रूप से मुख्य आकर्षण के रूप में प्रदर्शित करता है. बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थल देश ही नहीं बल्कि, विदेश में भी पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है.

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