लखनऊ: उत्तर प्रदेश वन विभाग के कर्मचारियों (UP Government Employees) के लिए योगी सरकार (Yogi Government ) सौगात लेकर आई है. अब दैनिक कर्मचारियों को 18000 रुपए से कम वेतन नहीं मिलेगा. यह उनका न्यूनतम वेतन होगा. हालांकि एक शर्त भी है कि वन विभाग में कार्यरत उस दैनिक श्रमिक की नौकरी कम से कम 10 साल पुरानी हो. सरकार के इस कदम से 10 साल या उससे ज्यादा कार्यरत करीब 3,209 कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा. अपर मुख्य सचिव वन विभाग मनोज सिंह ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है, जिससे कर्मचारी काफी प्रसन्न हैं.
ये आदेश आयाः वन विभाग के प्रमुख सचिव की तरफ से ये शासनादेश नौ नवंबर 2023 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के तहत जारी किया गया है. इस शासनादेश में कहा गया है कि इस संबंध में नीति बनने में सभी विभागों से विचार विमर्श करने में समय लगने की संभावना है, इसलिए न्यायालय के आदेशों की अवहेलना से बचने के लिए यह आदेश जारी किया जा रहा है. सभी संबंधित प्रभागीय वनाधिकारी अपने स्तर से तत्काल इस राशि को कर्मचारियों को दिया जाना सुनिश्चित करें.
श्रमिकों की जिम्मेदारी तयः दैनिक श्रमिकों को कार्य और बजट के आधार पर प्रभागीय वनाधिकारी यानी डीएफओ रखते हैं, इसलिए वह बिना किसी पक्षपात के न्यूनतम 18000 रुपए का भुगतान दैनिक श्रमिकों को करेंगे. प्रभागीय वन अधिकारी ऐसे श्रमिकों की कार्यरत रहने की अवधि के सत्यापन के बाद ही उन्हें पेमेंट करेंगे.
कितने श्रमिकों का फायदा: गौरतलब है कि श्रमिकों को वेतनमान का न्यूनतम वेतन 18000 रुपए प्रतिमाह देने का साफ तौर पर आदेश दिया गया है. इससे वन विभाग में तैनात करीब 3,209 श्रमिक न्यूनतम 18000 रुपए पा सकेंगे.
कर्मचारियों में खुशी : हाईकोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वन विभाग के कर्मचारियों को न्यूनतम 18000 रुपए वेतन देने का शासनादेश जारी कर दिया है. इससे वन विभाग के कर्मचारियों में काफी खुशी है. हालांकि शर्त ये है कि उनकी सेवा 10 साल से कम नहीं होनी चाहिए. 10 साल से ऊपर की सेवा के कुल 3209 कर्मचारियों को लाभ देने की बात कही गई है.
ऐसे में 18000 रुपए मिलने की खुशी से उन कर्मचारियों को तो चेहरे पर खुशी है, लेकिन हजारों कर्मचारी इस शासनादेश के बाद असमंजस में हैं कि उन्हें 18000 रुपए न्यूनतम वेतन का लाभ मिलेगा या नहीं? "ईटीवी भारत" ने वन विभाग के कर्मचारियों से बात की.