गोरखपुर : पूरी दुनिया में क्रिया योग का पाठ पढ़ाने वाले परमहंस योगानंद की जन्मस्थली गोरखपुर में है. अब उनकी जन्मस्थली को सैकड़ों वर्षों के बाद पर्यटन और योग केंद्र के रूप में विकसित करने की तैयारी है. योगी सरकार ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व इसके निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृति की थी. माना जा रहा है कि विश्व योग दिवस पर 21 जून को इसकी आधारशिला रखी जा सकती है. पर्यटन विभाग इसकी तैयारियों में जुटा है.
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रविंद्र मिश्रा का कहना है कि दुनियाभर में फैले परमहंस योगानंद के शिष्य गोरखपुर भी आते रहते हैं. उन्होंने इनके जन्म स्थान को देखने और योग केंद्र के रूप में उसे विकसित करने की इच्छा जताई थी. इसके क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रस्ताव तैयार हुआ, यह स्वीकृत भी हो चुका है. पहली किस्त में 19 करोड़ रुपये भवन के निर्माण और जमीन का मुआवजा देने में खर्च किया जाएगा.
80 से अधिक देशों में हैं अनुयायी : उन्होंने बताया कि योगानंद के पिता रेलवे में कर्मचारी थे और वह मूलत: बंगाल के निवासी थे. वह परिवार सहित गोरखपुर में कोतवाली के पास रहते थे. यहीं पर योगनंद का जन्म हुआ और यहीं रहते हए उन्होंने शिक्षा ली और योग के क्षेत्र में नाम कमाया. दुनिया के कई देशों में वह क्रिया योग के प्रवर्तक बन गए. इनकी 80 से अधिक देशों में अनुयायियों की संख्या लाखों में है.
विकास के लिए 50 करोड़ रुपये मंजूर : क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी ने बताया कि 50 करोड़ में से 19 करोड़ रुपए मिलने के बाद, पर्यटन विभाग जन्मस्थली पर बने भवन और जमीन के अधिग्रहण की तैयारी शुरू कर दी गई है. योगानंद के पिता भगवती चरण घोष बंगाल तिरहुत रेलवे (जो वर्तमान में पूर्वोत्तर रेलवे के नाम से जाना जाता है) के कर्मचारी के तौर पर 1885 के दौरान गोरखपुर में तैनात थे.
जन्मस्थली को विकसित करने की हो रही थी मांग : परिवार के साथ वह कोतवाली के पास की गली में शेख अब्दुल रहीम उर्फ अच्छन बाबू के यहां किराए पर रहते थे. उनके गोरखपुर रहने के दौरान ही 5 जनवरी 1893 को योगानंद का जन्म हुआ. इनका मूल नाम मुकुंद लाल घोष था. योग गुरु के रूप में योगानंद के नाम से उन्हें पूरी दुनिया में जाना जाता है. इनके जन्मस्थली को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की मांग लंबे समय से चल रही थी.
पिछले साल भेजा गया था प्रस्ताव : तमाम विदेशी उनके अनुयायी, गोरखपुर में उनकी जन्मस्थली के जुड़े लोग इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे थे. पिछले साल इसके प्रस्ताव बनाकर भेजा गया. मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की. 50 करोड़ में से 19 करोड़ का बजट जारी कर दिया. जल्द ही जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई होगी. शेष धनराशि लोकसभा चुनाव के बाद पर्यटन विभाग को मिल जाएगी.
योगानंद की प्रतिमा भी लगेगी : पर्यटन अधिकारी ने बताया कि यहां बनाए जाने वाले संग्रहालय में पर्यटन विभाग की प्राथमिक योजना के मुताबिक, जनस्थली पर एक संग्रहालय बनाया जाएगा. इसमें योगानंद से जुड़ी हुई वस्तुएं संरक्षित की जाएंगी. जिन्हें अच्छन बाबू के पुत्र ने सुरक्षित कर रखा है. यहां योगानंद की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी.
भारत सरकार ने जारी किया था डाक टिकट : परमहंस योगानंद की मृत्यु 7 मार्च 1952 को लॉस एंजिल्स कैलिफोर्निया में हुई थी. उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की है. इसमें भगवद गीता और जीसस क्राइस्ट में दी गई शिक्षाओं पर भी उनकी विस्तृत टीका प्रकाशित हो चुकी है. उनके सम्मान में भारत सरकार ने एक विशेष स्मारक डाक टिकट भी जारी किया. मोदी सरकार में 7 मार्च 2017 को जारी किया था.
32 साल अमेरिका में रहे थे : योग विशेषज्ञों ने उन्हें पश्चिम में योग का जनक माना. उन्होंने अपने अंतिम 32 वर्ष अमेरिका में गुजारे. उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की थी. प्रारंभिक शिक्षा उनकी गोरखपुर में हुई. जिस मकान में वह रहते थे वहां के मोहल्लेवासी कहते हैं कि, उनके बारे में जो सुना वह बहुत ही अच्छा सुना है.
स्थानीय निवासी मुख्तार खान कहते हैं कि उनके अंदर एक अजीब शक्ति थी, ऐसा उन्होंने लोगों से सुना है. बुद्ध की तरह वह भी शांत स्वभाव के कहे जाते थे. उनकी योग की चर्चा तो पूरी दुनिया करती है. जब उनके मोहल्ले का यह स्थान पर्यटन केंद्र के रूप में बदलेगा तो बहुत अच्छा नजारा यहां देखने को मिलेगा.
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