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यूपी के किसानों की राह हुई आसान, फसल कटाई में ऐप और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल

क्रॉप कटिंग प्रयोगों के माध्यम से इन फसलों की उत्पादकता का सटीक आकलन किया जा रहा है. किसानों को समय पर मुआवजा मिल रहा है.

फसल कटाई प्रक्रिया में ऐप व आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल
यूपी के किसानों की राह हुूई आसान, (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 17 hours ago

लखनऊ : CCE एग्री ऐप और GCES ऐप के साथ अत्याधुनिक उपकरण फसल कटाई प्रक्रिया को आसान बना रहे हैं. यह ऐप फसल की स्थिति, उत्पादन क्षमता और संभावित हानि का सटीक डेटा उपलब्ध कराते हैं, जिससे बीमा कंपनियों को सही जानकारी मिल रही है. इससे किसानों को समय पर मुआवजा मिल रहा है. खरीफ मौसम में 10 फसलों को इस योजना में शामिल किया गया है. धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, उड़द, मूंग, तिल, मूंगफली, सोयबीन व अरहर शामिल हैं.

क्रॉप कटिंग प्रयोगों के माध्यम से इन फसलों की उत्पादकता का सटीक आकलन किया जा रहा है. इस पहल से न सिर्फ किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में उत्तर प्रदेश को अग्रणी बना रही है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत क्रॉप कटिंग प्रयोग (सीसीई) के माध्यम से उत्पादकता मापने और किसानों की क्षति का आकलन कर, उन्हें समय पर बीमा लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है. इस साल खरीफ के मौसम में सीसीई एग्री ऐप के माध्यम से तीन लाख से अधिक क्रॉप कटिंग प्रयोग के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं.

इसमें अब तक 2.45 लाख प्रयोग पूरे किए जा चुके हैं. यह कृषि उत्पादन में पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम है. इसके अलावा जीसीईएस ऐप के जरिए 13,654 क्रॉप कटिंग प्रयोग के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 11,374 प्रयोग पूरे हो चुके हैं. यह प्रक्रिया न सिर्फ फसलों की उत्पादकता का आकलन करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि फसल बीमा योजना के तहत किसानों को क्षतिपूर्ति जल्द और सटीक तरीके से प्राप्त हो.

खराब फसल की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने में मददगार है यह प्रयोग: राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक क्रॉप कटिंग या फसल कटाई के प्रयोग द्वारा फसल की औसत पैदावार निकाली जाती है. क्रॉप कटिंग आधार पर ही जनपदों के कृषि उत्पादन के आंकड़े तैयार करके शासन को भेजे जाते हैं. क्रॉप कटिंग के प्राप्त आंकड़ों के आधार पर फसल बीमा धारक किसान को नुकसान का मुआवजा दिया जाता है. कृषि विभाग सभी जनपदों के समस्त क्षेत्रों के क्रॉप कटिंग आंकड़ों का औसत निकालकर शासन को भेजता है.

इसके आधार पर ही जनपद में विभिन्न फसलों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता का निर्धारण किया जाता है. योगी सरकार आंकड़ों की शुद्धता के लिए 15% अनिवार्य निरीक्षण के लिए जनपद में कृषि, राजस्व एवं विकास विभाग के अधिकारियों को नामित किया है. इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत प्रदेश में इम्पैनल्ड बीमा कम्पनियों के प्रतिनिधियों की तरफ से भी 30% क्राप-कटिंग प्रयोगों का सह अवलोकन कराया जा रहा है.

क्रॉप कटिंग के जरिए प्राप्त आंकड़ों का उपयोग: पीएमएफबीवाई के तहत सरकार प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति देती है. इस योजना के तहत फसल क्षति होने पर किसानों को संबंधित बीमा कंपनियों से मुआवजा मिलता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए इन योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर दिया है.

तेजी से बढ़ रहा क्रॉप कटिंग प्रयोगों के नेटवर्क का विस्तार: प्रदेश में कृषि क्षेत्र पर बड़ी संख्या में लोगों की निर्भरता है. फसलों की क्षति की स्थिति में किसान किसी भी आर्थिक संकट से बच सकें इसके लिए संबंधित विभाग के कर्मचारियों की तरफ से रैंडमली ऑनलाइन चयनित, गांव के एक खेत में समबाहु त्रिभुज के प्रति 10 मीटर भुजा वाले क्षेत्र के अंतर्गत फसल की कटाई व उससे प्राप्त अनाज का वजन किया जाता है.

उपजिलाधिकारी व तहसीलदारों से क्रॉप कटिंग प्रयोगों के सम्पादन की समीक्षा की जाती है. क्रॉप कटिंग प्रयोगों का यह विस्तृत नेटवर्क न सिर्फ किसानों को राहत प्रदान कर रहा है, बल्कि कृषि उत्पादकता के उन्नयन और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में भी सहायक साबित हो रहा है.

यह भी पढ़े : यूपी में जल्द सस्ता होगा आलू; नया आलू देगा राहत, जानिए अभी क्यों महंगा है सब्जियों का राज

लखनऊ : CCE एग्री ऐप और GCES ऐप के साथ अत्याधुनिक उपकरण फसल कटाई प्रक्रिया को आसान बना रहे हैं. यह ऐप फसल की स्थिति, उत्पादन क्षमता और संभावित हानि का सटीक डेटा उपलब्ध कराते हैं, जिससे बीमा कंपनियों को सही जानकारी मिल रही है. इससे किसानों को समय पर मुआवजा मिल रहा है. खरीफ मौसम में 10 फसलों को इस योजना में शामिल किया गया है. धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, उड़द, मूंग, तिल, मूंगफली, सोयबीन व अरहर शामिल हैं.

क्रॉप कटिंग प्रयोगों के माध्यम से इन फसलों की उत्पादकता का सटीक आकलन किया जा रहा है. इस पहल से न सिर्फ किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में उत्तर प्रदेश को अग्रणी बना रही है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत क्रॉप कटिंग प्रयोग (सीसीई) के माध्यम से उत्पादकता मापने और किसानों की क्षति का आकलन कर, उन्हें समय पर बीमा लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है. इस साल खरीफ के मौसम में सीसीई एग्री ऐप के माध्यम से तीन लाख से अधिक क्रॉप कटिंग प्रयोग के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं.

इसमें अब तक 2.45 लाख प्रयोग पूरे किए जा चुके हैं. यह कृषि उत्पादन में पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम है. इसके अलावा जीसीईएस ऐप के जरिए 13,654 क्रॉप कटिंग प्रयोग के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 11,374 प्रयोग पूरे हो चुके हैं. यह प्रक्रिया न सिर्फ फसलों की उत्पादकता का आकलन करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि फसल बीमा योजना के तहत किसानों को क्षतिपूर्ति जल्द और सटीक तरीके से प्राप्त हो.

खराब फसल की क्षतिपूर्ति प्राप्त करने में मददगार है यह प्रयोग: राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक क्रॉप कटिंग या फसल कटाई के प्रयोग द्वारा फसल की औसत पैदावार निकाली जाती है. क्रॉप कटिंग आधार पर ही जनपदों के कृषि उत्पादन के आंकड़े तैयार करके शासन को भेजे जाते हैं. क्रॉप कटिंग के प्राप्त आंकड़ों के आधार पर फसल बीमा धारक किसान को नुकसान का मुआवजा दिया जाता है. कृषि विभाग सभी जनपदों के समस्त क्षेत्रों के क्रॉप कटिंग आंकड़ों का औसत निकालकर शासन को भेजता है.

इसके आधार पर ही जनपद में विभिन्न फसलों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता का निर्धारण किया जाता है. योगी सरकार आंकड़ों की शुद्धता के लिए 15% अनिवार्य निरीक्षण के लिए जनपद में कृषि, राजस्व एवं विकास विभाग के अधिकारियों को नामित किया है. इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत प्रदेश में इम्पैनल्ड बीमा कम्पनियों के प्रतिनिधियों की तरफ से भी 30% क्राप-कटिंग प्रयोगों का सह अवलोकन कराया जा रहा है.

क्रॉप कटिंग के जरिए प्राप्त आंकड़ों का उपयोग: पीएमएफबीवाई के तहत सरकार प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति देती है. इस योजना के तहत फसल क्षति होने पर किसानों को संबंधित बीमा कंपनियों से मुआवजा मिलता है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए इन योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर दिया है.

तेजी से बढ़ रहा क्रॉप कटिंग प्रयोगों के नेटवर्क का विस्तार: प्रदेश में कृषि क्षेत्र पर बड़ी संख्या में लोगों की निर्भरता है. फसलों की क्षति की स्थिति में किसान किसी भी आर्थिक संकट से बच सकें इसके लिए संबंधित विभाग के कर्मचारियों की तरफ से रैंडमली ऑनलाइन चयनित, गांव के एक खेत में समबाहु त्रिभुज के प्रति 10 मीटर भुजा वाले क्षेत्र के अंतर्गत फसल की कटाई व उससे प्राप्त अनाज का वजन किया जाता है.

उपजिलाधिकारी व तहसीलदारों से क्रॉप कटिंग प्रयोगों के सम्पादन की समीक्षा की जाती है. क्रॉप कटिंग प्रयोगों का यह विस्तृत नेटवर्क न सिर्फ किसानों को राहत प्रदान कर रहा है, बल्कि कृषि उत्पादकता के उन्नयन और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में भी सहायक साबित हो रहा है.

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