लखनऊ: यूपी बोर्ड के प्रैक्टिकल परीक्षा शनिवार से शुरू हो रहे है. प्रैक्टिकल के दौरान होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए परिषद ने इस बार नया नियम शुरू किया है. प्रैक्टिकल परीक्षा के बाद परीक्षको अब किसी के घर या होटल में बैठकर प्रैक्टिकल के नंबर नहीं चढ़ा सकेंगे, जहां जिस केंद्र पर उनकी ड्यूटी है, ऐसे हर स्कूल में उनको जाना ही होगा. उन्हें प्रैक्टिकल वाले दिन स्कूल परिसर में ही आंतरिक परीक्षक और प्रधानाचार्य की मौजूदगी में प्रैक्टिकल के नंबर अपलोड करने होंगे.
सीसीटीवी कैमरे की निगरानी: यूपी बोर्ड ने इस बार प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए सख्त नियमावली जारी की है. इस नियमावली के अनुसार अगर किसी शिक्षक को पांच स्कूलों का परीक्षक बनाया गया है तो उसे उन सभी स्कूलों में जाना होगा. उसी दिन स्कूल परिसर में बैठकर नंबर अपलोड करने होंगे. ऐप में जियो लोकेशन भी होगी. साथ ही परीक्षक को अपनी फोटो भी अपलोड करनी होगी. यह भी निर्देश है कि प्रैक्टिकल परीक्षा का केंद्र उसी स्कूल को बनाया जाएगा, जहां पर सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे, कैमरों की रेकॉर्डिंग भी सुरक्षित रखनी होगी.
ऑडिट भी कराएगा बोर्ड: प्रैक्टिकल परीक्षाएं दो चरणों में एक से आठ फरवरी तक और नौ से 16 फरवरी तक होंगी. बोर्ड के सचिव की ओर से जारी किए गए निर्देशं में यह भी कहा गया है कि प्रयोगात्मक परीक्षाओं के लिए पर्यवेक्षकों की भी तैनाती की जाएगी. वे स्कूलों में जाकर निरीक्षण करेंगे. बोर्ड प्रयोगात्मक परीक्षा का ऑडिट भी कराएगा. इसमें 5% केंद्रों की रैंडम जांच होगी. अगर परीक्षक केंद्र पर नहीं पहुंचते हैं या फिर किसी तरह की कोई गड़बड़ी होती है तो नकल विरोधी अध्यादेश के तहत ऐक्शन लिया जाएगा.
बोर्ड को क्यों उठाना पड़ा यह कदम : माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष व पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि अभी तक प्रैक्टिकल परीक्षाओं को बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाता था. इनको लेकर बहुत शिकायतें आती थीं. ज्यादातर परीक्षक एक ही शहर हर में कई केंद्रों पर अपनी ड्यूटी लगवा लेते थे. उसके बाद वे कुछ केंद्रों पर जाकर परीक्षा लेते थे और कहीं तो जाते भी नहीं थे. अगर जाते भी थे तो प्रैक्टिकल के नंबर बाद में चढ़ा देते थे. कहा कि प्रैक्टिकल को लेकर छात्रों से वसूली और परीक्षक को खुश करने के लिए कई तरह की व्यवस्था की शिकायतें भी आती थीं. यहां तक शिकायतें थीं कि परीक्षक की होटल में रुकने की व्यवस्था कर दी गई और स्कूल की मर्जी से सारा खेल हो गया. पहले भी पारदर्शिता के निर्देश तो दिए जाते थे, लेकिन अब तकनीक से यह संभव हो सकेगा. यही वजह है कि ऐप पर उसी दिन जियोलोकेशन के साथ नंबर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं.