लखनऊ: यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की कॉपियों का मूल्यांकन निर्धारित समय 31 मार्च से पहले ही शनिवार को समाप्त हो गया. ऐसे में यूपी बोर्ड का रिजल्ट (UP Board exam result 2024) अप्रैल के पहले हफ्ते में ही जारी होगा. 16 मार्च से शुरू हुई मूल्यांकन प्रक्रिया 30 मार्च तक चली. इसमें 3.1 करोड़ कॉपियों को चेक किया गया. इसके साथ ही मूल्यांकन कार्य में लगे 1.50 लाख से अधिक शिक्षकों ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई है. बड़ी बात ये है कि पहली बार 12 कार्य दिवसों में यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन समाप्त हो सका है और इसके लिए समय नहीं बढ़ाना पड़ा है. नहीं तो हर बार कॉपियां चेक करने का समया बढ़ाना ही पड़ता था. इस बारे में माध्यामिक शिक्षा परिषद सचिव दिव्यकांत शुक्ला ने बताया कि पहली बार 12 कार्य दिवसों में यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन समाप्त हुआ है. इससे पहले इतने कम समय में कॉपियां कभी नहीं चेक हुई है. उन्होने शिक्षकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नकलविहीन परीक्षा और शुचितापूर्ण मूल्यांकन तीने प्रक्रिया में शिक्षकों का अहम योगदान है. बता दें कि मूल्यांकन के दौरान प्रदेश के शिक्षकों ने चार दिन का मूल्यांकन बहिष्कार भी किया था. इस हड़ताल का मूल्यांकन पर असर नहीं पड़ा है.
36 करोड़ से अधिक का करना होगा भुगतान
यूपी बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पूरा होने के बाद अब विभाग को शिक्षकों को 36 करोड़ से अधिक रुपयों का भुगतान करना होगा. सचिव परिषद दिव्यकांत शुक्ला के मुताबिक अभी मौजूदा व्यवस्था में दसवीं में प्रत्येक कॉपी का 11 रुपये और इंटरमीडिएट में प्रति कॉपी का 13 रुपये मूल्यांकन का पारिश्रमिक शुल्क भुगतान विभाग को भुगतान करना होगा.
सोमवार से शुरू होगी आगे की प्रक्रिया
मूल्यांकन समाप्ति के बाद अब सोमवार को बोर्ड परीक्षा के परिणाम को लेकर आगे की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. सचिव दिब्यकांत शुक्ला ने बताया परीक्षा परिणाम में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न होन पाये इसको विशेष ध्यान में रखते हुए परिणाम की घोषणा की जायेगी. संभवत: अप्रैल माह के पहले सप्ताह में परिणाम जारी हो जाएगा.
तीन शिफ्टों में निगरानी तंत्र आया काम
24 घंटे के क्रम में तीन शिफ्टों में कंट्रोल रूम से आनलाइन निगरानी हुई. जिसका नतीजा इस बार ये रहा है कि प्रश्नपत्रों की सुरक्षा हो या नकल विहीन परीक्षा हो, यहां तक मूल्यांकन व्यवस्था तक के पहली बार यूपी बोर्ड पर किसी भी तरह का प्रश्चचिन्ह नहीं लग पाया है. शनिवार को मूल्यांकन समाप्त होने के बाद लखनऊ से लेकर इलाहाबाद तक के अधिकारियों ने राहत की सांस ली है. बोर्ड के अधिकारियो ने बताया कि परीक्षा, प्रश्नपत्र की सुरक्षा और मूल्यांकन की निगरानी करने के लिए कंट्रोल रूम पर कर्मचारियों की ड्यूटी तीन शिफ्टों में लगाई गई थी. आठ-आठ घंटे तक तीनों शिफ्टों में 180 लोगों ने लगातार परीक्षा केन्द्रों से लेकर मूल्यांकन केन्द्रों पर निगरानी की. जिसके चलते पारदर्शिता के साथ परीक्षा समाप्त हुई और निर्धारित समय से पहले मूल्यांकन प्रक्रिया भी समाप्त हुई. वहीं मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों से जब बोर्ड ने पूछा कि क्या किसी छात्र-छात्रा की एक जैसी कॉपी मिली तो सभी शिक्षकों का यही कहना था कि इस बार कॉपियां देखकर भी पता चलता है कि परीक्षा पूर्ण रूप से नकलविहीन हुई है. शिक्षकों कहना था कि कई बार ऐसा भी रहा है कि कुछ छात्रों की कॉपियां मिलती जुलती मिल जाती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है.
जिन केन्द्रों पर गड़बड़ी दिखी उन्हें जारी हुए नोटिस
माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव दिब्यकांत शुक्ला ने बताया कि परीक्षा के दौरान अलग-अलग केन्द्रों पर निगरानी में जो गड़बड़ियां मिली उसके लिए 400 नोटिस जारी किए गये. लापरवाह केन्द्र व्यवस्थापकों पर भी एक्शन हुआ.
पहली बार परीक्षा के बीच रद्द हुई कॉलेज की मान्यता
पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी परीक्षा केन्द्र की मान्यता बीच परीक्षा में रद्द की गई हो. इससे पहले बोर्ड ने इस तरह की कार्रवाई कभी नहीं की है. दरअसल आगरा के अतर सिंह इंटर कॉलेज में केंद्र व्यवस्थापक के पुत्र (कंप्यूटर ऑपरेटर) ने इंटरमीडिएट के दो पेपर की कॉपी परीक्षा शुरू होने के दो घंटे बाद व्हाट्सेप पर वायरल कर दिया. जिसके बाद परिषद सचिव व निदेशक की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी और डीआईओएस की ओर से मुकदमा भी दर्ज कराया गया.
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