कानपुर: उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को चुनाव होना है. उपचुनाव की घोषणा होते ही प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी तेज होने लगी है. इसमें कानपुर की सीसामऊ सीट भी शामिल है. यह सीट भाजपा के लिए साख की लड़ाई बन गई है. इस सीट पर भाजपा पिछले 28 सालों से जीत दर्ज नहीं कर सकी है. हालांकि BJP ने अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. सपा से विधायक रहे इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद खाली हुई सीट पर कब्जे के लिए बसपा भी पूरी जोर आजमाइश कर रही है. जबकि सपा ने इरफान की पत्नी नसीम को ही प्रत्याशी बनाया है. आइए जानते हैं, इस सीट के राजनीतिक समीकरण.
सपा से इरफान की पत्नी नसीम, बसपा ने रवि गुप्ता को दिया टिकट: सपा अध्यक्ष सीएम अखिलेश यादव ने इसी सीट पर तीन बार जीत दर्ज करने वाले पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया है. इसके पीछे बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि इरफान लगभग दो सालों से जेल में बंद हैं. इरफान के परिजनों का कहना है कि उन्हें साजिश के चलते फंसाया गया. सपा को उम्मीद है कि उसे परंपरागत के साथ ही सहानुभूति वोट भी मिलेंगे. इसीलिए इरफान की पत्नी नसीम को उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में अब उतार दिया है. गौरतलब है कि सोलंकी परिवार पिछले 10 सालों से इस सीट पर काबिज है. इसी तरह बसपा ने यहां विधानसभा चुनाव की तर्ज पर नए चेहरे को उतारा है. सीसामऊ के व्यापारी रवि गुप्ता को बसपा सुप्रीमो मायावती ने टिकट दिया है. 1996 के बाद से ही यहां जीत के लिए तरस रही भाजपा ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किया है.
बसपा प्रत्याशी का यह पहला चुनाव: सीसामऊ सीट को लेकर बसपा से प्रत्याशी बने रवि गुप्ता का कहना है कि वह जनता से लगातार संवाद कर रहे हैं. बसपा सुप्रीमो का निर्देश है कि क्षेत्र में हर वर्ग के लोगों से जुड़ना है. उनकी समस्याओं का समाधान कराना है. संगठन की बैठकें भी लगातार हो रही हैं. रवि ने कहा कि उनके लिए पहला चुनाव जरूर है, मगर वह भी पूरी तरह से लड़ने के लिए तैयार हैं.
नसीम सोलंकी को जीत का भरोसा: सपा से प्रत्याशी बनीं पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को जीत का भरोसा है. कहती हैं, सपा के सभी जिम्मेदार पदाधिकारियों संग बैठकें जारी हैं. हमारा फोकस हमारे मतदाताओं पर है. हम लगातार इस सीट पर जीतते रहे हैं. इसलिए पिछले चुनावों की तर्ज पर हम फिर से चुनाव लड़ेंगे. हर बूथ पर हमारा फोकस है.
भाजपा जिलाध्यक्ष बोले-इस बार परिणा हमारे पक्ष में: भाजपा जिलाध्यक्ष उत्तर दीपू पांडेय को उम्मीद है कि 28 साल बाद सीसामऊ सीट के परिणाम भाजपा के पक्ष में आएंगे. कहते हैं, अभी से लेकर वोटिंग वाले दिन तक हमारा प्रत्याशी कमल का फूल ही होगा. हम कमल का फूल लेकर चुनाव मैदान में आए हैं और काउंटिंग वाले दिन तक कमल का फूल लेकर ही जनता के बीच रहेंगे. दीपू पांडेय ने माना कि पिछले 28 सालों से यह सीट भाजपा ने नहीं जीती, लेकिन उन्होंने दावा किया कि अब इस सीट पर जो परिणाम होंगे, वह भाजपा के पक्ष में होंगे. बोले, बूथ स्तर तक हमारा कार्यकर्ता हमारे साथ हैं.
महिला का घर फूंकने में इरफान सोलंकी हुई है सजा: लगभग दो साल पहले कानपुर के जाजमऊ थाना क्षेत्र में जाजमऊ निवासी नजीर फातिमा ने सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी पर उनके घर को फूंकने का आरोप लगाया था. कुछ समय पहले ही इरफान सोलंकी को इस मामले में 7 साल की सजा सुना दी गई थी. इरफान पहले से ही जेल में थे. इसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई. अब इस सीट पर आगामी 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे.
साल 2008 में बदला परिसीमन तो यह सीट बनी सामान्य: सीसामऊ विधानसभा चुनाव के इतिहास को देखें तो साल 2008 के बाद जब यहां परिसीमन बदला तो यह सीट सामान्य बन गई. उससे पहले यह सीट अनुसूचित सीट थी. भाजपा के लिए प्रतिष्ठा बनी इस सीट के लिए पार्टी ने इस उपचुनाव में जहां मुख्य रूप से वित्त मंत्री सुरेश खन्ना को प्रभारी बनाया है. वहीं, सह प्रभारी के तौर पर आबकारी राज्य मंत्री नितिन अग्रवाल हैं. जबकि कानपुर में संगठन के नजरिए से इस सीट के लिए सारा जिम्मा एमएलसी मानवेंद्र सिंह को सौंपा गया है.
भाजपा से ये नेता कर रहे दावेदारी: पूर्व विधायक उपेंद्र पासवान, एमएलसी सलिल विश्नोई, पूर्व प्रदेश मंत्री सुरेश अवस्थी, पूर्व विधायक रघुनंदन भदौरिया, अनूप पचौरी, क्षेत्रीय सह मीडिया प्रभारी अनूप अवस्थी, नीतू सिंह, श्रीकृष्ण दीक्षित, उत्तर जिलाध्यक्ष दीपू पांडेय दावेदारों में शामिल हैं.
40 से 45 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता: क्राइस्ट चर्च कालेज में राजनीति विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर डा.आशुतोष सक्सेना कहते हैं, कुल मतदाताओं के आंकड़ों में अगर मुस्लिम मतदाताओं का प्रतिशत देखें तो यह 40 से 45 प्रतिशत है. अभी तक के चुनाव में देखा गया है कि मुस्लिम वोट एकतरफा रहे हैं. अगर सपा और कांग्रेस का गठबंधन सामने आता है तो निश्चित तौर पर यह सीट भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगी. बसपा से प्रत्याशी भले ही नया हो, लेकिन कहीं न कहीं उनका प्रत्याशी भी भाजपा के ही वोट बैंक पर सेंधमारी करेगा.
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