प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि यदि पत्नी पर व्याभिचार के आरोप हैं तो पहले उन आरोपों पर निर्णय लिया जाना चाहिए. इसके बाद ही पत्नी की ओर से की गई भरण पोषण की मांग पर आदेश दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने पारिवारिक न्यायालय फिरोजाबाद के भरण-पोषण आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए विपक्षीगणों से जवाब मांगा है. न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने डॉ. वीरेंद्र कुमार की पुनरीक्षण याचिका पर यह आदेश दिया है.
फिरोजाबाद के डॉ. वीरेंद्र कुमार की पत्नी ने परिवार न्यायालय में भरण-पोषण के लिए वाद दायर किया गया. याची ने जवाब दाखिल कर पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाया. ऐसे में वह अंतरिम व अंतिम भरण-पोषण की हकदार नहीं है मगर परिवार न्यायालय ने 13 अप्रैल 2023 के आदेश से पत्नी को सात हजार रुपये अंतरिम भरण-पोषण देने का आदेश दिया. याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी.
याची के वकील का कहना था कि पत्नी के खिलाफ व्यभिचार के आरोप हैं. ऐसे में व्यभिचार पर निष्कर्ष दर्ज करने के बाद ही भरण-पोषण पर फैसला लिया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए पक्षों को हलफनामों का आदान-प्रदान करने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई 25 नवंबर को नियत है.
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