मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: ग्राम पंचायत दुग्गी के लोग अच्छी बारिश के लिए अभी से जुट गए हैं. भगवान भोलेनाथ और नाग देवता की पूजा अर्चना कर बारिश और अच्छी फसल की कामना कर रहे हैं. इसके लिए यहां के लोग अनोखी परंपरा को निभाते है. गांव वालों का कहना है कि पूर्वजों के समय से ही इस तरह की पूजा की जाती है. जिससे महादेव और नागदेव खुश होते हैं और अच्छी बारिश होती है. इस परंपरा की खास बात ये भी है कि ये लोग आराध्य की पूजा करने के साथ साथ पेड़ों की भी पूजा करते हैं.
क्या है अनोखी परंपरा: गांव के सभी लोग अपने अपने घरों से टोकरी में धान लेकर पहुंचते हैं. एक पेड़ के नीचे सभी इकट्ठे होते हैं. भोलेनाथ व नाग देवता की पूजा की जाती है. इसके बाद ईष्टदेव की आराधना करते हुए टोकरी में धान लेकर पेड़ के चारों ओर घूमते हुए धान छींटा जाता है. ये परंपरा वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है.
पूर्वजों के समय से ये परंपरा चली आ रही है. जंगल में पेड़ के पास महादेव और नाग देव की पूजा की जाती है. परंपरा के तौर पर अपने घर से धान लाकर पूजा की जाती है. हर साल वैशाख की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. - जयराम सिंह, ग्रामवासी
सालों से गांव के पुरुष निभा रहे परंपरा: प्राचीन सभ्यता को मानते हुए गांव के लोग इसे आगे बढ़ा रहे हैं. गांव के बुजुर्ग इस अनोखी परंपरा में गांव के बच्चों और युवाओं को भी शामिल कर रहे हैं ताकि उनके बाद आगे की पीढ़ी भी इसे आगे बढ़ाए और गांव में हमेशा अच्छी बारिश और अच्छी फसल से खुशहाली मिलती रहे. इसके अलावा ये भी कि गांव के पुरुष ही इस परंपरा को निभाते हैं.
पेड़ के पास पूजा के बाद घर में होती है पूजा: गांव वाले बताते हैं कि ये गांव की प्रथम पूजा होती है. पेड़ के पास पूजा करने के बाद सभी धान को लेकर अपने घर जाते हैं. वहां भी पूजा की जाती है. पूजा के बाद बचे हुए धान का रोपा लगाया जाता है. उसके बाद ही खरीदे गए बीजों को रोपा जाता है. गांव के बैगा को भी धान का दान दिया जाता है. बकरा चढ़ाया जाता है जिसका प्रसाद पूरे गांव के लोगों में बांटा जाता है.
घर से लाए धान के पहले यहां पूजा होती है. जो धान बचता है उसे अपने घर ले जाते हैं. -रत्तीराम, ग्रामवासी
पूरे गांव के लोग अपने घर से टोकरी में धान लाते हैं. पूरा गांव इकट्ठा होकर भूमि पूजा करते हैं. जो धान बचता है उसे पहले रोपा लगाया जाता है. खरीदे गए बीज को बाद में रोपा जाता है. बकरा चढ़ाने की भी परंपरा है.- विजय सिंह, सरपंच दुग्गी पंचायत
फसल की सिंचाई के लिए कई साधन होने के बावजूद भारत के गांवों के किसान आज भी बारिश पर निर्भर रहते हैं. इसके लिए कहीं मेंढक मेंढकी की शादी की जाती है तो कहीं गुड्डे गुड़ियों की शादी कर इंद्र देव को खुश किया जाता है.