जोधपुर. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का विकास दुनिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. भारत यूनाइटेड नेशन की ओर से तय किए गए सस्टेनेबल डेवलपमेंट लक्ष्यों की पूर्ति के लिए एक बहुत बड़े आपूर्तिकर्ता देश के रूप में उभर रहा है. शेखावत ने कहा कि हम सब जिस तरह भारत को बदलते हुए देख रहे हैं, पूरा विश्व भी इसे देख और महसूस कर रहा है. बुधवार को नई दिल्ली में अपने आवास पर आयोजित प्रेसवार्ता में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने ये बातें कही.
उन्होंने कहा कि भारत पिछले 10 वर्षों में पानी के क्षेत्र में सबसे अधिक निवेश करने वाला देश बना है. भारत ने लगभग 250 यूएस बिलियन डॉलर के बराबर निवेश पानी के विभिन्न स्पेक्ट्रम में किया है. चाहे इसमें सिंचाई हो, नदियों का शुद्धीकरण हो, पेयजल हो या फिर भूगर्भ के जल का पुर्नभरण हो. शेखावत ने कहा कि आजादी से लेकर 2019 तक केवल 16 प्रतिशत से थोड़ा अधिक घरों में ही नल से पीने का पानी मुहैया हो रहा था, लेकिन 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जल जीवन मिशन की घोषणा की, तब से इस क्षेत्र में क्रांति आई है.
30 हजार अमृत सरोवर निर्माणाधीन: उन्होंने कहा कि वाटर रिटेंशन स्टोरेज कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए सिंचाई योजना के तहत जो परियोनाएं लंबे समय से लंबित थीं, उससे अधिक परियोजनाओं को हमने चिह्नित किया. इनमें से लगभग 60 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जल संचयन के मद्देनजर देश में अब तक 70 हजार अमृत सरोवरों का निर्माण हो चुका है, जबकि 30 हजार अमृत सरोवर निर्माणाधीन हैं.
नेशनल प्रेस्पेटिव प्लान के तहत किए 30 लिंक आईडेंटिफाई : शेखावत ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेशनल प्रेस्पेटिव प्लान विजन के तहत 30 लिंक आईडेंटिफाई किए गए थे, जिसमें सप्लस बेसिन पर पानी ट्रांसफर किया जा सके. उन्होंने कहा कि हमने उसमें 15 से ज्यादा डीपीआर बनाई हैं और सभी 30 लिंक की प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाई गई है. जिन राज्यों के बीच में समझौता हुआ था, उन्होंने डीपीआर साझा की थी. एमपी और यूपी में केन-बेतवा परियोजना का सपना साकार होने जा रहा है और राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना के साथ ही ईआरसीपी के एकीकृत के लिए भी एमओयू साइन हुआ है.
देश में एक नए युग का सूत्रपात : उन्होंने कहा कि लगभग ऐसी ही पांच परियोजनाएं हैं, जो परिपक्वता की कगार पर है. उन्होंने कहा कि केन-बेतवा नदियों को जोड़ने का जो समझौता दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच प्रधानमंत्री की उपस्थिति में हुआ था, वह केवल दो नदियों को जोड़ने का काम नहीं था, बल्कि देश में एक नए युग का सूत्रपात था. इसके बाद अन्य राज्यों की सोच में भी परिवर्तन आएगा, जिससे परियोजनाओं को धरातल पर उतारने में मदद मिलेगी.