चंडीगढ़: मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट (Union Budget 2024) पेश किया. चंडीगढ़ की महिलाएं बजट से असंतुष्ट नजर आई. ईटीवी भारत से बातचीत में महिलाओं ने कहा कि मिडिल क्लास के लिए केंद्र सरकार ने कोई राहत नहीं दी है. बेरोजगारी और महंगाई पर बजट में कोई ध्यान नहीं रखा गया है. महिलाओं को लेकर भी सरकार ने कुछ खास नहीं सोचा है. महिलाओं का कहना था कि सरकार को उन चीजों को सस्ता करना चाहिए जो रोजाना इस्तेमाल में हों.
बजट पर क्या बोली चंडीगढ़ की महिलाएं? चंडीगढ़ सेक्टर 35 निवासी पूनम मोहन ने कहा कि सरकार ने सोना चांदी को सस्ता किया है. उन्होंने कहा कि सोना चांदी से उन्हें कोई राहत नहीं मिली. क्योंकि वो तो एक बार खरीदा जाता है. जरूरत थी महंगाई को कम करने की. रोजमर्रा की चीजों पर छूट देने की. सरबजीत कौर नाम की महिला (Chandigarh Women On Budget) ने बताया कि आज के समय में दूध की कीमतों और अन्य खाने वाली चीजों का रेट दुगना हो चुका है. ऐसे में जहां एक महिला रसोई में एक बचत कर सकती थी. अब वो किचन में कुछ नहीं बचा पा रही. उन्होंने कहा कि हमें इस बजट से काफी उम्मीद थी, लेकिन कुछ नहीं मिला.
चंडीगढ़ को केंद्रीय बजट से क्या मिला? बता दें कि चंडीगढ़ को इस बार कुल 6513.62 करोड़ रुपये का बजट मिला है. जिसमें 651 करोड़ रिकवरी के बाद दिए जाएंगे. साल 2023-24 के बजट में चंडीगढ़ को 5327.62 करोड़ रुपये दिए गए थे. इस बार चंडीगढ़ को 426.32 करोड़ रुपये अधिक और डिवाइड बजट से 45.17 करोड़ रुपये अधिक दिए गए हैं. चंडीगढ़ का राजस्व बजट 5327.62 करोड़ रुपये है, जबकि पूंजी बजट 535 करोड़ रुपये है.
स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर: केंद्रीय बजट (Union Budget 2024) में चंडीगढ़ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विशेष तौर पर 96.27 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. जिसके तहत 50 बेड के कम्युनिटी सेंटर को 250 बेड के अस्पताल में अपग्रेड किया जाएगा. 50 बेड की पॉलीक्लिनिक को नए उपकरण और संसाधनों से मजबूत किया जाएगा. ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जाएगा. स्वास्थ्य कर्मचारियों को राज्य बीमा योजना में शामिल किया जाएगा.
चंडीगढ़ पीजीआई को मिले 2200 करोड़ रुपये: चंडीगढ़ पीजीआई को 2024-25 के लिए 2200 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. पिछले साल पीजीआई को 1924 करोड़ रुपये जारी किए गए थे. इस बार पीजीआई के रिवाइवल बजट के लिए 77 करोड़ रुपये अधिक दिए गए हैं. इसके साथ ही पूंजी के लिए 350 करोड़ रुपये दिए गए हैं. पीजीआई में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए 1500 करोड़ रुपये रखे गए हैं. पीजीआई में सामान्य ग्रांट इन और के लिए 340 करोड़ रुपये रखे गए हैं. इसके साथ ही मुख्य ग्रांट के लिए 10 करोड़ रुपये से अधिक रखे गए हैं.