रांची: राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलनरत वित्त रहित शिक्षाकर्मियों ने सरकार से उनकी मांग को गंभीरता से लेने की चेतावनी दी है. राजभवन के समक्ष आंदोलन कर रहे वित्त रहित शिक्षाकर्मियों ने चंपाई सरकार को अल्टीमेटम दिया है. उनका कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं पूरी की जाती है तो आगामी 20 जून को राज्य के सभी विधायकों का आवास घेरने के बाद मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा.
झारखंड राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने कहा कि जिस तरह से हमारी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है वह कहीं से भी उचित नहीं है. जैक द्वारा शिक्षा विभाग के निर्देश पर इंटरमीडिएट कॉलेजों में सीट दिया गया है. झारखंड अधिविद्य परिषद अधिनियम 2002 और संशोधित अधिनियम 2006 में +2 स्तरीय संस्थाओं में नामांकन का सीट निर्धारण का अधिकार जैक को है. इसे विभागीय पत्र से कम नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा कि अनुदान की राशि 80% बढोतरी के विभागीय समिति के अनुशंसा एवं विभागीय प्रस्ताव पर मंत्री के अनुमोदन के बाद संलेख को विधि विभाग, वित्त विभाग एवं मंत्रिपरिषद को भेजी जाए. इसके अलावा लंबित अनुदान के भुगतान में जिला स्तर पर डीईओ द्वारा रिश्वत मांगे जाने का आरोप लगाते हुए रघुनाथ सिंह ने कारवाई की मांग की है.
वित्त रहित शिक्षाकर्मियों की ये है मांग:-
- जैक द्वारा इंटरमीडिएट कॉलेजों में नामांकन में सीट कम करने के निर्णय को वापस लिया जाए.
- एसपीटी एक्ट एवं सीएनटी एक्ट में संशोधन के संलेख जो विधि विभाग से सहमति के बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में लंबित है उसे अविलंब कैबिनेट में भेजा जाए.
- वित्तीय वर्ष 2020-21, 2021-22, 2022-23 में जिन संस्थाओं का अनुदान का मामला लंबित है उसे अविलंब दिया जाए.
- खूंटी जिला एवं पश्चिम सिंहभूम के अनुदान का मामला लैप्स कर गई है उसे अविलंब दिया जाए.
- वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुदान की बकाया राशि 27% शीघ्र भेजी जाए.
- बिहार की तरह झारखंड में भी अनुदानित शिक्षक कर्मचारियों को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए.
- अनुदान राशि में 80% की वृद्धि के विभागीय प्रस्ताव को विधि विभाग, वित्त विभाग एवं मंत्रिपरिषद को भेजी जाए.
राज्यभर में 15 हजार से अधिक हैं वित्त रहित शिक्षणकर्मी
झारखंड में 15000 से अधिक कर्मी वित्त रहित शिक्षण से जुड़े हैं. इसमें 178 प्रस्वीकृत इंटर कॉलेज, 106 प्रस्वीकृत एवं 207 राज्य सरकार से स्थापना अनुमति प्राप्त उच्च विद्यालय, 33 संस्कृत विद्यालय एवं 46 मदरसा विद्यालय है, जिसमें करीब लाखों बच्चे पढ़ाई करते हैं. ऐसे में आंदोलनरत वित्तरहित शिक्षाकर्मियों का मानना है कि सरकार उनकी मांग अब सिर्फ आश्वासन के जरिए नहीं बल्कि हकीकत में पूरा करके करे.