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मेक इन इंडिया की कई कंपनियां रेलवे के लिए तैयार कर रहीं उपकरण, अब ट्रैक पर नहीं मिलेंगे पत्थर

stones on railway tracks: अब पत्थरबाजी के लिए ट्रैक पर नहीं मिलेंगे पत्थर, सिंथेटिक स्लीपर और रबराइज्ड पैड बना रहीं कंपनियां.

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सिंथेटिक स्लीपर और रबराइज्ड पैड ट्रैक को रखेंगे सुरक्षित (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2024, 6:42 PM IST

लखनऊ: वंदे भारत ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं. ट्रेन के ट्रैक पर नीचे पत्थरों के टुकड़े उठाकर असामाजिक तत्व ट्रेनों पर पथराव कर देते हैं. कई बार तो ऐसे मामले सामने आए हैं, कि उन्हीं पत्थरों को पटरी पर रखा गया है. जब ट्रेन गुजरी तो वहीं पत्थर उछलकर सफर कर रहे यात्री को जा लगा. अब इस तरह की पत्थरबाजी पर रोक लग सकती है.

सिंथेटिक स्लीपर ट्रैक को रखेंगे सुरक्षित: ट्रैक पर छोटे-छोटे पत्थरों के टुकड़े बिछाने की अब आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी. इसकी जगह अब सिंथेटिक स्लीपर लेंगे. सिंथेटिक स्लीपर ट्रेन की पटरियों के बीच में तो बिछाए ही जा सकते हैं. साथ ही यह ट्रैक के आसपास भी डालकर ट्रैक को सुरक्षित और मजबूत किया जा सकता है. इस टेक्नोलॉजी का अब रेलवे में इस्तेमाल किए जाने की तैयारी है. आरडीएसओ में शुरू हुई इनो रेल प्रदर्शनी में देश-विदेश से कई कंपनियां हिस्सा लेने पहुंची हैं.

स्टारट्रेक कंपनी के प्रतिनिधि एके पांडेय ने दी जानकारी (Video Credit; ETV Bharat)

रेल के आधुनिकीकरण के लिए जो भी उपकरण आवश्यक हैं, ऐसे उपकरण कंपनियां निर्मित कर रही हैं. रेलवे फाटकों के ट्रैक पर अभी तक जो रोड बनाई जाती है, उसे बनाने में दिक्कत होती है. अब उसकी जगह रबर पैड लेंगे, जिससे पटरी को लेवल में बिछाया जाएगा. अब वहां पर सड़क बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.

मेक इन इंडिया के तहत स्टारट्रेक कंपनी ने ऐसे ट्रैक एंड क्लोजर डिवाइस, अंडर स्लीपर पैड्स इलेक्ट्रिक रेल ग्रीसिंग डिवाइस, रबराइज्ड पैड, रेल फास्टनिंग कॉम्पोनेंट्स और सिंथेटिक स्लीपर बनाए हैं, जो ट्रेन के सफर को सुरक्षित करने वाले साबित होंगे. मेट्रो में इस तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है. अब भारतीय रेल में भी इस तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा.

रेलवे फाटकों पर बिछाए जा रहे रबर पैड: इनो रेल प्रदर्शनी में मेक इन इंडिया कंपनी के तहत स्टारट्रेक फास्टनर्स कंपनी ने भी अपने उपकरण प्रदर्शित किए हैं. कंपनी के प्रतिनिधि एके पांडेय ने बताया, कि ट्रेन के लिए हमारे पास ट्रैक टेक्नोलॉजी है. ट्रैक में लो क्वॉलिटी नहीं होनी चाहिए. हम रबर पैड बना रहे हैं और यह रबर पैड पटरियों के लेवल मेंटेन करते हैं. पटरियों पर जो अभी लेबलिंग के लिए पत्थर डाले जाते हैं, सड़क बनाने की आवश्यकता पड़ती है. यह रबर पैड उसे पूरा कर देते हैं.

इसे भी पढ़ें-मिर्जापुर में रेलवे ट्रैक पर पत्थर और अग्निशमन यंत्र मिला, यूट्यूब पर देखकर नाबालिग रख रहा था बार-बार पत्थर - MIRZAPUR NEWS

ट्रैक के मेंटेनेंस के लिए रबर पैड और बफर स्टॉप्स, अंडर स्लीपर पैड्स, अंडर ब्लास्ट मैट्स बिछाए जा रहे हैं. जो पत्थरों की आवश्यकता को भी खत्म करेंगे और मजबूत भी होते हैं. रेलवे अब इन पैड का इस्तेमाल रेलवे फाटकों पर करने भी लगा है. लखनऊ के ही दिलकुशा क्षेत्र से गुजरने वाले ट्रैक को लेवल करने के लिए ट्रैक के अंदर और ट्रैक के आसपास रबर पैड बिछाए गए हैं. जो बेहद अच्छी किस्म के हैं. ट्रैक के अंदर बिछने वाले पत्थरों और आसपास के पत्थरों को भी वहां से हटा दिया गया है. ऐसे में यहां से गुजरने वाली ट्रेनों पर पत्थरबाजी की आशंका बिल्कुल खत्म हो गई है.



ट्रेन को डिरेल होने नहीं देती ट्रैक एंड क्लोजर डिवाइस: प्रतिनिधि एके पांडेय ने बताया, कि हम यहां पर सिंथेटिक स्लीपर लेकर आए हैं. हाई परफार्मेंस रेल पैड लेकर आए हैं. हाई परफार्मेंस फास्टैनिंग्स है. 100% मेक इन इंडिया बफर स्टाफ है. 100% लोकल कंटेंट है. हम लेवल क्रॉसिंग में सिंगल पैनल देते हैं बाकी कंपनियां डबल पैनल देती हैं. कहीं चार होते हैं. जब उस पर लोड आता है, तो रबर फट जाते हैं. वहां पर गड्ढा हो जाता है, लेकिन हम सिंगल पैड देते हैं. जिससे इस तरह की दिक्कत आती ही नहीं है. बफर स्टाफ्स के करीब 1000 पीस हमने इंडिया में सप्लाई किए हैं.

मेट्रो में यह इस्तेमाल हो रहा है. डीएफसी में भी दिया हुआ है. इसमें जहां पर ट्रैक खत्म होता है वहां पर ट्रेन आती है. अगर ड्राइवर ब्रेक लगाना भूल जाता है. अब ब्रेक फेल हो गई, तो ट्रेन इसको जाकर टक्कर मारती है. यह ट्रेन के साथ स्लाइड होती है. एक कैलकुलेटेड स्टॉपिंग डिस्टेंस पर रुक जाता है. यह ट्रेन को डिरेल नहीं होने देता है. वहीं पर ट्रेन रुक जाती है. इससे वहां पर ट्रेन भी सेफ रहती है. पैसेंजर भी सेफ रहेंगे. यह कंप्लीट सेफ्टी आइटम है. दिल्ली मेट्रो, लखनऊ मेट्रो, जयपुर मेट्रो, चेन्नई मेट्रो, कानपुर और आगरा मेट्रो में भी यह लगा है.

यह भी पढ़ें-ट्रेन को पलटाने के लिए रेलवे ट्रैक पर रखा पत्थर, टकराकर आगे बढ़ गई मूरी एक्सप्रेस

लखनऊ: वंदे भारत ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं. ट्रेन के ट्रैक पर नीचे पत्थरों के टुकड़े उठाकर असामाजिक तत्व ट्रेनों पर पथराव कर देते हैं. कई बार तो ऐसे मामले सामने आए हैं, कि उन्हीं पत्थरों को पटरी पर रखा गया है. जब ट्रेन गुजरी तो वहीं पत्थर उछलकर सफर कर रहे यात्री को जा लगा. अब इस तरह की पत्थरबाजी पर रोक लग सकती है.

सिंथेटिक स्लीपर ट्रैक को रखेंगे सुरक्षित: ट्रैक पर छोटे-छोटे पत्थरों के टुकड़े बिछाने की अब आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी. इसकी जगह अब सिंथेटिक स्लीपर लेंगे. सिंथेटिक स्लीपर ट्रेन की पटरियों के बीच में तो बिछाए ही जा सकते हैं. साथ ही यह ट्रैक के आसपास भी डालकर ट्रैक को सुरक्षित और मजबूत किया जा सकता है. इस टेक्नोलॉजी का अब रेलवे में इस्तेमाल किए जाने की तैयारी है. आरडीएसओ में शुरू हुई इनो रेल प्रदर्शनी में देश-विदेश से कई कंपनियां हिस्सा लेने पहुंची हैं.

स्टारट्रेक कंपनी के प्रतिनिधि एके पांडेय ने दी जानकारी (Video Credit; ETV Bharat)

रेल के आधुनिकीकरण के लिए जो भी उपकरण आवश्यक हैं, ऐसे उपकरण कंपनियां निर्मित कर रही हैं. रेलवे फाटकों के ट्रैक पर अभी तक जो रोड बनाई जाती है, उसे बनाने में दिक्कत होती है. अब उसकी जगह रबर पैड लेंगे, जिससे पटरी को लेवल में बिछाया जाएगा. अब वहां पर सड़क बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.

मेक इन इंडिया के तहत स्टारट्रेक कंपनी ने ऐसे ट्रैक एंड क्लोजर डिवाइस, अंडर स्लीपर पैड्स इलेक्ट्रिक रेल ग्रीसिंग डिवाइस, रबराइज्ड पैड, रेल फास्टनिंग कॉम्पोनेंट्स और सिंथेटिक स्लीपर बनाए हैं, जो ट्रेन के सफर को सुरक्षित करने वाले साबित होंगे. मेट्रो में इस तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है. अब भारतीय रेल में भी इस तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा.

रेलवे फाटकों पर बिछाए जा रहे रबर पैड: इनो रेल प्रदर्शनी में मेक इन इंडिया कंपनी के तहत स्टारट्रेक फास्टनर्स कंपनी ने भी अपने उपकरण प्रदर्शित किए हैं. कंपनी के प्रतिनिधि एके पांडेय ने बताया, कि ट्रेन के लिए हमारे पास ट्रैक टेक्नोलॉजी है. ट्रैक में लो क्वॉलिटी नहीं होनी चाहिए. हम रबर पैड बना रहे हैं और यह रबर पैड पटरियों के लेवल मेंटेन करते हैं. पटरियों पर जो अभी लेबलिंग के लिए पत्थर डाले जाते हैं, सड़क बनाने की आवश्यकता पड़ती है. यह रबर पैड उसे पूरा कर देते हैं.

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ट्रैक के मेंटेनेंस के लिए रबर पैड और बफर स्टॉप्स, अंडर स्लीपर पैड्स, अंडर ब्लास्ट मैट्स बिछाए जा रहे हैं. जो पत्थरों की आवश्यकता को भी खत्म करेंगे और मजबूत भी होते हैं. रेलवे अब इन पैड का इस्तेमाल रेलवे फाटकों पर करने भी लगा है. लखनऊ के ही दिलकुशा क्षेत्र से गुजरने वाले ट्रैक को लेवल करने के लिए ट्रैक के अंदर और ट्रैक के आसपास रबर पैड बिछाए गए हैं. जो बेहद अच्छी किस्म के हैं. ट्रैक के अंदर बिछने वाले पत्थरों और आसपास के पत्थरों को भी वहां से हटा दिया गया है. ऐसे में यहां से गुजरने वाली ट्रेनों पर पत्थरबाजी की आशंका बिल्कुल खत्म हो गई है.



ट्रेन को डिरेल होने नहीं देती ट्रैक एंड क्लोजर डिवाइस: प्रतिनिधि एके पांडेय ने बताया, कि हम यहां पर सिंथेटिक स्लीपर लेकर आए हैं. हाई परफार्मेंस रेल पैड लेकर आए हैं. हाई परफार्मेंस फास्टैनिंग्स है. 100% मेक इन इंडिया बफर स्टाफ है. 100% लोकल कंटेंट है. हम लेवल क्रॉसिंग में सिंगल पैनल देते हैं बाकी कंपनियां डबल पैनल देती हैं. कहीं चार होते हैं. जब उस पर लोड आता है, तो रबर फट जाते हैं. वहां पर गड्ढा हो जाता है, लेकिन हम सिंगल पैड देते हैं. जिससे इस तरह की दिक्कत आती ही नहीं है. बफर स्टाफ्स के करीब 1000 पीस हमने इंडिया में सप्लाई किए हैं.

मेट्रो में यह इस्तेमाल हो रहा है. डीएफसी में भी दिया हुआ है. इसमें जहां पर ट्रैक खत्म होता है वहां पर ट्रेन आती है. अगर ड्राइवर ब्रेक लगाना भूल जाता है. अब ब्रेक फेल हो गई, तो ट्रेन इसको जाकर टक्कर मारती है. यह ट्रेन के साथ स्लाइड होती है. एक कैलकुलेटेड स्टॉपिंग डिस्टेंस पर रुक जाता है. यह ट्रेन को डिरेल नहीं होने देता है. वहीं पर ट्रेन रुक जाती है. इससे वहां पर ट्रेन भी सेफ रहती है. पैसेंजर भी सेफ रहेंगे. यह कंप्लीट सेफ्टी आइटम है. दिल्ली मेट्रो, लखनऊ मेट्रो, जयपुर मेट्रो, चेन्नई मेट्रो, कानपुर और आगरा मेट्रो में भी यह लगा है.

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