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मिड-डे-मील वर्कर्स का हो रहा शोषण, शिक्षकों का बर्तन धोना और कैंपस की सफाई बनी मजबूरी, एक लेटर से हुआ खुलासा

ऊना में मीड डे वर्कर्स शिक्षकों के बर्तन और परिसर की सफाई करने को मजबूर हैं. मामले का आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक ने संज्ञान लिया है.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

ऊना में मिड-डे-मील वर्कर्स का शोषण
ऊना में मिड-डे-मील वर्कर्स का शोषण (FILE)

ऊना: हिमाचल के ऊना जिला में मिड डे मील वर्कर्स पर बच्चों के भोजन तैयार करने सहित अतिरिक्त काम का बोझ डालने का मामला सामने आया है. एलिमेंट्री स्कूल सिस्टम में बच्चों के लिए दोपहर भोजन तैयार करने वाले मिड डे मील वर्कर्स से हमेशा अतिरिक्त काम करवाया जाता है. इनमें शिक्षकों के बर्तन साफ करने से लेकर मैदान और परिसर की सफाई तक शामिल है. इसको लेकर मिड डे वर्करों ने कई बार शिकायत की है. अब जाकर मामले का आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक ने संज्ञान लिया है. आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक ने मुख्य अध्यापकों और प्रधानाचार्यों को पत्र लिखकर मामले में आवश्यक निर्देश दिए हैं. साथ ही मिड डे मील वर्कर्स से उनके जॉब प्रोफाइल के अलावा अन्य काम करवाने वालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी है.

जॉब प्रोफाइल के अलावा अन्य काम करवाने के खिलाफ मिड डे मील वर्कर्स लगातार सवाल उठाते रहे हैं. यहां तक कि मिड डे मील वर्कर्स द्वारा विभिन्न ट्रेड यूनियन के नेतृत्व में आयोजित की जाने वाली रैलियों और विरोध प्रदर्शनों में भी इस बात को खुले मंच से उठाया है. लेकिन शायद तब भी अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. लेकिन अब आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक के कार्यालय से जारी किए गए एक पत्र ने इन सभी आरोपों पर मोहर लगा दी है. इस पत्र से यह भी खुलासा हुआ है कि विभाग के नियमों को ताक पर रखकर कई स्कूलों में मिड डे मील वर्कर्स का निजी कामों के लिए भी जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है.

आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक का पत्र
आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक का पत्र (Deputy Director of Primary Education Letter)

दरअसल एलिमेंट्री सिस्टम में बच्चों के लिए दोपहर भोजन बनाने वाले मिड डे मील वर्कर्स के साथ स्कूलों में क्या व्यवहार हो रहा है, इसको लेकर भी उपनिदेशक की एक चिट्ठी में पूरी तरह कलई खुलकर सामने आ गई है. उपनिदेशक द्वारा स्कूलों के मुख्य अध्यापकों और प्रधानाचार्यों को जारी किए गए इस पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा है कि कई स्कूलों में मिड डे मील बनाने वाले कार्यकर्ताओं से अध्यापकों द्वारा अपने निजी बर्तन साफ करवाने की घटनाएं विभाग के समक्ष आई हैं.

इतना ही नहीं उनके जॉब प्रोफाइल से बाहर स्कूल परिसरों, मैदानों और उसके आसपास उगी झाड़ियों और घास की साफ सफाई व कटाई का काम भी मिड डे मील वर्कर्स के मत्थे मढ़ा जा रहा है. स्कूलों में कार्यरत शिक्षक यहीं नहीं रुके, उन्होंने स्कूल परिसर के अंदर आयोजित होने वाली विभिन्न पार्टी और कार्यक्रमों के दौरान शिक्षकों और आगंतुकों के लिए भोजन बनाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं मिड डे मील वर्कर्स पर थोप रखी है. मिड डे मील वर्कर्स यूनियन की अध्यक्ष बलविंदर कौर ने कई बार शिक्षकों के इस रवैये के खिलाफ खुले मंच से आवाज उठाई. लेकिन साल दर साल नतीजा शून्य ही रहा.

आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक सोमालाल धीमान ने कहा, "मिड डे मील वर्कर्स के साथ इस तरह के व्यवहार और उन पर जबरन कई तरह के काम थोपने का मामला उनके ध्यान में आया है. जिसके चलते उन्होंने मुख्य अध्यापकों और प्रधानाचार्यों को पत्र जारी करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी मिड डे मील वर्कर से उनके जॉब प्रोफाइल के अतिरिक्त कोई भी काम नहीं लिया जाना चाहिए. वहीं, आदेशों की अवहेलना करने वालों को विभागीय कार्रवाई सामना करना पड़ेगा".

ये भी पढ़ें: हिमाचल में इन लोगों को मिलेगी मुफ्त बिजली, इनकम और आधार कार्ड के बेस पर होगा चयन

ऊना: हिमाचल के ऊना जिला में मिड डे मील वर्कर्स पर बच्चों के भोजन तैयार करने सहित अतिरिक्त काम का बोझ डालने का मामला सामने आया है. एलिमेंट्री स्कूल सिस्टम में बच्चों के लिए दोपहर भोजन तैयार करने वाले मिड डे मील वर्कर्स से हमेशा अतिरिक्त काम करवाया जाता है. इनमें शिक्षकों के बर्तन साफ करने से लेकर मैदान और परिसर की सफाई तक शामिल है. इसको लेकर मिड डे वर्करों ने कई बार शिकायत की है. अब जाकर मामले का आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक ने संज्ञान लिया है. आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक ने मुख्य अध्यापकों और प्रधानाचार्यों को पत्र लिखकर मामले में आवश्यक निर्देश दिए हैं. साथ ही मिड डे मील वर्कर्स से उनके जॉब प्रोफाइल के अलावा अन्य काम करवाने वालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी है.

जॉब प्रोफाइल के अलावा अन्य काम करवाने के खिलाफ मिड डे मील वर्कर्स लगातार सवाल उठाते रहे हैं. यहां तक कि मिड डे मील वर्कर्स द्वारा विभिन्न ट्रेड यूनियन के नेतृत्व में आयोजित की जाने वाली रैलियों और विरोध प्रदर्शनों में भी इस बात को खुले मंच से उठाया है. लेकिन शायद तब भी अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. लेकिन अब आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक के कार्यालय से जारी किए गए एक पत्र ने इन सभी आरोपों पर मोहर लगा दी है. इस पत्र से यह भी खुलासा हुआ है कि विभाग के नियमों को ताक पर रखकर कई स्कूलों में मिड डे मील वर्कर्स का निजी कामों के लिए भी जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है.

आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक का पत्र
आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक का पत्र (Deputy Director of Primary Education Letter)

दरअसल एलिमेंट्री सिस्टम में बच्चों के लिए दोपहर भोजन बनाने वाले मिड डे मील वर्कर्स के साथ स्कूलों में क्या व्यवहार हो रहा है, इसको लेकर भी उपनिदेशक की एक चिट्ठी में पूरी तरह कलई खुलकर सामने आ गई है. उपनिदेशक द्वारा स्कूलों के मुख्य अध्यापकों और प्रधानाचार्यों को जारी किए गए इस पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा है कि कई स्कूलों में मिड डे मील बनाने वाले कार्यकर्ताओं से अध्यापकों द्वारा अपने निजी बर्तन साफ करवाने की घटनाएं विभाग के समक्ष आई हैं.

इतना ही नहीं उनके जॉब प्रोफाइल से बाहर स्कूल परिसरों, मैदानों और उसके आसपास उगी झाड़ियों और घास की साफ सफाई व कटाई का काम भी मिड डे मील वर्कर्स के मत्थे मढ़ा जा रहा है. स्कूलों में कार्यरत शिक्षक यहीं नहीं रुके, उन्होंने स्कूल परिसर के अंदर आयोजित होने वाली विभिन्न पार्टी और कार्यक्रमों के दौरान शिक्षकों और आगंतुकों के लिए भोजन बनाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं मिड डे मील वर्कर्स पर थोप रखी है. मिड डे मील वर्कर्स यूनियन की अध्यक्ष बलविंदर कौर ने कई बार शिक्षकों के इस रवैये के खिलाफ खुले मंच से आवाज उठाई. लेकिन साल दर साल नतीजा शून्य ही रहा.

आरंभिक शिक्षा उपनिदेशक सोमालाल धीमान ने कहा, "मिड डे मील वर्कर्स के साथ इस तरह के व्यवहार और उन पर जबरन कई तरह के काम थोपने का मामला उनके ध्यान में आया है. जिसके चलते उन्होंने मुख्य अध्यापकों और प्रधानाचार्यों को पत्र जारी करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी मिड डे मील वर्कर से उनके जॉब प्रोफाइल के अतिरिक्त कोई भी काम नहीं लिया जाना चाहिए. वहीं, आदेशों की अवहेलना करने वालों को विभागीय कार्रवाई सामना करना पड़ेगा".

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Last Updated : 2 hours ago
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