उज्जैन। उज्जैन लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार ने कुछ दिन पहले गंदे नाले मिलने के बाद शिप्रा में डुबकी लगाकर बीजेपी सरकार को घेरा था. इसके बाद बचाव की मुद्रा में आई बीजेपी ने पूरा गंदा पानी खाली कराकर नर्मदा जल भरवाया और फिर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने डुबकी लगाकार डैमेज कंट्रोल का प्रयास किया. अब एक बार फिर शिप्रा में मछलियां मरने का मुद्दा सामने आया है. मछली मरने से पानी से बदबू आने लगी है. पंडितों और श्रद्धालुओं में आक्रोश है.
चुनाव में हमेशा मुद्दा बनती है शिप्रा की गंदगी
उज्जैन की मोक्षदानी शिप्रा लगातार चुनावी मुद्दा बनती आई है. दोनों ही पार्टियों एक दूसरे पर शिप्रा को लेकर आरोप लगाती रहती हैं. अब शिप्रा नदी में फिर मरी सैकड़ों मछलियां पाई गई हैं. सिप्रा के गऊ घाट और नरसिंह घाट की हालत बद से बदतर हो गई है. यहां श्रद्धालु बैठ भी नहीं सकते, स्नान तो दूर की बात. गऊ घाट के ऊपर मछलियों का ढेर लगा है. बता दें कि मोक्षदायिनी कही जाने वाली मां शिप्रा नदी में अब तक इंदौर, देवास व उज्जैन शहर के गंदे नाले मिलने की चर्चा जोरों पर रही है. लेकिन अब शिप्रा नदी में मछलियों के मरने की तस्वीरें लगातार सामने आने से हड़कंप है.
पुजारियों के साथ ही श्रद्धालु भी नाराज
सबसे ज्यादा बदतर हालात नरसिंह घाट व गऊ घाट पर हैं. नरसिंह घाट के पास पानी मे मछलियां मरी पड़ी हैं. गऊ घाट पर पर यही हालात हैं. हालत ये है कि घाटों पर श्रद्धालुओं का बैठना दुश्वार हो गया है. घाटों पर गणेश मंदिर के पुजारी व मौजूद श्रद्धालु भड़क उठे. श्रद्धालू गणेश शर्मा ने कहा "उज्जैन की जनता गंदगी में रहना सीख गई है. सब कुछ सहन करने की आदत हो गई है." गणेश मंदिर के पुजारी रितेश पाठक ने कहा "करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए. और आज ये हालात हैं."