उज्जैन: देश के तमाम बड़े मंदिरों में वीआईपी एंट्री का कल्चर लगातार चल रहा है. जहां आम लोगों से हटकर वीआईपी लोगों को मंदिरों में दर्शन करने की इजाजत मिल जाती है. वहीं महाकाल मंदिर में भी वीआईपी दर्शन होते हैं, लेकिन पिछले डेढ़ साल से बाबा महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है. हालांकि गुरुवार को तेलुगु देशम पार्टी के नेता व स्वच्छ आंध्र कॉर्पोरेशन के चेयरमैन पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने गर्भ गृह में पूजा-अर्चना की. जिसे लेकर विवाद शुरू हो गया है.
टीडीपी नेता ने गर्भ गृह में की पूजा-अर्चना
टीडीपी नेता के गर्भ गृह में पूजा करने की फोटो सामने आने के बाद से ही विवाद बढ़ गया है. जिसे लेकर जनता ने VIP संस्कृति की आलोचना शुरू कर दी. लोगों ने सवाल उठाया है कि महाकाल के दर्शन में भेदभाव कब खत्म होगा. भारी विरोध के बाद उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. एसडीएम कृतिका भीमावद को इस जांच की जिम्मेदारी दी गई है. गर्भगृह के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं.
विवाद बढ़ता दे कोमारेड्डी ने हटाई फोटो
विवाद बढ़ने पर कोमारेड्डी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से महाकाल मंदिर की सभी तस्वीरें हटा ली. उन्होंने इंदौर में स्वच्छता कार्यों का निरीक्षण करते हुए अन्य तस्वीरें पोस्ट की थी. माना जा रहा है कि वह इंदौर को स्वच्छता में मिले राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए अध्ययन दौरे पर थे. इस विवाद के बाद महाकाल मंदिर प्रबंधन और प्रशासन अब सवालों के घेरे में है. जांच के नतीजे का इंतजार है.
गर्भ गृह में प्रवेश क्यों बंद
गौरतलब है कि 4 जुलाई 2023 को सावन महीने में भीड़ को देखते हुए 11 सितंबर 2023 तक के लिए गर्भ गृह बंद किया गया था. उस वक्त मंदिर समिति ने कहा था कि सावन खत्म होते ही गर्भ गृह श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा, लेकिन एक साल होने के बाद भी गर्भ गृह नहीं खोला गया है. इसके अलावा मंदिर के शिवलिंग क्षरण को लेकर याचिका लगी थी.
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जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए क्षरण रोकने के सुझाव मांगे थे. जिसमें गर्भ गृह में श्रद्धालुओं की संख्या कम करने की बात कही थी. शिवलिंग क्षरण होता देख जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने प्रशासन को जांच रिपोर्ट सौंपी थी. जिसके बाद श्रद्धालुओं के गर्भ गृह में जानें पर पाबंदी को लेकर चर्चा की गई थी.