उज्जैन (PTI): उज्जैन में पक्षियों का आशियाना बनाने के लिए विशेष प्रकार के रैनबसेरे बनाए गए हैं. 51 फीट ऊंचे एक रैनबसेरे को गुजरात से यहां बाबा महाकाल के दर्शन करने आए श्रद्धालु ने तैयार करवाया है. इस महाकाल के भक्त का कहना है कि उसने ये रेनबसेरा अपने माता-पिता की स्मृतियों को संजोने के लिए बनवाया है. लेकिन अब इस रेनबसेरे का पर्यावरणविदों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर पक्षीप्रेमियों ने इसका विरोध किया है.
सीएम को लिखे पत्र में संगठनों ने ये तर्क दिए
उज्जैन के पर्यावरणविदों का कहना है "स्वतंत्र रूप से घूमने वाले पक्षियों को ऐसी सुविधा प्रदान करना "अप्राकृतिक और अव्यवहारिक" है." मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में एनजीओ 'द नेचर वॉलंटियर्स' ने दावा किया कि नवंबर 2021 में जारी राज्य सरकार के आदेश के मानदंडों का उल्लंघन करते हुए उज्जैन में ऐसे कई टॉवर बनाए जा रहे हैं. सोसायटी के अध्यक्ष पद्मश्री भालू मोंढे ने पत्र में कहा, "अनुभव यह रहा है कि 'उड़ने वाले चूहे', जैसा कि भारतीय रॉक कबूतरों को कहा जाता है, इन टॉवरों पर कब्जा कर लेंगे. यहां पर न तो राज्य पक्षी पैराडाइज फ्लाई कैचर और न ही गोल्डन ओरियोल घोंसला बनाने जाएंगे."
कबूतरों के जमघट से बीमारियां फैलने का खतरा
वहीं, वन्यजीव विशेषज्ञ और भारतीय वन सेवा के पूर्व अधिकारी सुहास कुमार ने कहा "रॉक कबूतरों में खतरनाक बैक्टीरिया और एक खास तरह का प्रोटीन होता है जो मानव फेफड़ों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है." पर्यावरणविद् अभिलाष खांडेकर का कहना है "पक्षियों के लिए सीमेंट कंक्रीट की संरचना गुजरात का एक नया चलन है. नेचर वॉलंटियर्स ने इसका विरोध किया था और 2021 में पक्षी टॉवरों के निर्माण को हतोत्साहित करने और प्रतिबंधित करने के लिए राज्य सरकार से एक आधिकारिक आदेश जारी करवाया था."
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जिला प्रशासन ने दिया स्पष्टीकरण
वहीं, वार्ड 27 के भाजपा पार्षद गोपाल बलवानी ने बताया "वसंत विहार और मुनि नगर के पास 315 पक्षियों के लिए पक्षी टॉवर बनाए गए हैं." इस मामले में उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने स्पष्ट किया "किसी व्यक्ति या एनजीओ ने ऐसे टॉवर बनाए होंगे, लेकिन सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है.'' बता दें कि पक्षियों के इन रैनबसेरों में कबूतरों का जमघट लगना शुरू हो गया है. वहीं, पंछी प्रेमियों के लिए ये रैन बसेरा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.