Mahakal Laddu Prasad: मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में बीते 20 सालों से बेसन के लड्डुओं का भोग लगाया जा रहा है. यही प्रसाद में भी चढ़ाया जाता है. अब मंदिर समिति बाबा महाकाल को सांची पेड़े का भोग लगाने पर विचार कर रही है. इसको लेकर तैयारियां पूरी हो गई हैं. यानि जल्द ही अब महाकाल के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद के रुप में लड्डू के साथ सांची का पेड़ा भी दिया जाएगा.
एक महीने तक खराब नहीं होता पेड़ा
बता दें कि शुद्धता के कारण बाजार में भी सांची के पेड़े की काफी डिमांड है. वहीं खास बात यह है कि सांची का पेड़ा भी लड्डू की तरह करीब एक महीने तक खराब नहीं होता. इसकी शुद्धता बनी रहती है. इसलिए मंदिर समिति बाबा महाकाल को अब लड्डू के साथ सांची पेड़े का भोग लगाने पर विचार कर रही है. इसको लेकर जल्द ही मंदिर समिति द्वारा निर्णय लिया जाएगा और मांग के अनुसार उज्जैन दुग्ध संघ को डिमांड भेजी जाएगी. मध्य प्रदेश के पशुपालन एवं डेरी विभाग के मंत्री लखन पटेल ने बताया कि "सांची के सभी प्रोडक्ट गुणवत्ता में बेहतर हैं. महाकाल के लड्डू भी सांची के घी से बनते हैं. अब महाकाल के भोग के लिए सांची के पेड़े का इस्तेमाल करना स्वागत योग्य कदम है."
लड्डू के लिए हर महीने लगता है 40 टन सांची घी
महाकाल मंदिर समिति द्वारा महाकाल को चढ़ने वाले लड्डू का निर्माण कराया जाता है. जानकारी के अनुसार प्रतिदिन 40 से 50 क्विंटल लड्डू की खपत होती है. वहीं त्योहार के समय 60 से 70 क्विंटल तक लड्डू की खपत बढ़ जाती है. इस लड्डू में शुद्ध सांची घी का इस्तेमाल किया जाता है. सांची दुग्ध संघ के अधिकारियों ने बताया कि हर महीने मंदिर समिति द्वारा करीब 40 टन सांची घी का इस्तेमाल किया जाता है.
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तिरुपति विवाद के बाद महाकाल के लड्डुओं की हो चुकी जांच
बता दें कि उज्जैन के बाबा महाकाल मंदिर में बनने वाले लड्डुओं में कोई मिलावट नहीं है. यह पूरी तरह शुद्ध हैं. दरअसल तिरुपति मंदिर के लड्डू में मिलावट होने का मामला सामने आने के बाद महाकाल के भक्तों की आस्था को देखते हुए मंदिर समिति द्वारा एफएसएसएआई द्वारा मान्यता प्राप्त लेबेरोटरी से 13 तरह के टेस्ट कराए गए थे. जिसमें कोई भी मिलावट नहीं होने की बात सामने आई थी. हालांकि वैसे भी नियमित तौर पर मंदिर समिति द्वारा प्रतिदिन लड्डुओं के गुणवत्ता की जांच की जाती है.